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शकुंतला विवि के तंत्र में फंसी थी बीएड की छात्रा, 6 दिन पहले फंदे पर मिली थी लटकती

19 अप्रैल को पुनर्वास में फंदे पर लटकी मिली थी छात्रा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 11:28 AM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 11:46 AM (IST)
शकुंतला विवि के तंत्र में फंसी थी बीएड की छात्रा, 6 दिन पहले फंदे पर मिली थी लटकती
शकुंतला विवि के तंत्र में फंसी थी बीएड की छात्रा, 6 दिन पहले फंदे पर मिली थी लटकती

लखनऊ[जागरण संवाददाता]। डॉ. शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में बीएड की छात्रा पारुल सिंह ने बीते दिनों आत्महत्या कर ली थी। उसके अभिभावक ने परीक्षा विभाग के अधिकारी सहित तीन के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। अभी तक हुई जाच में जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसके अनुसार, छात्रा को अंग्रेजी विभाग और परीक्षा विभाग के बीच खूब दौड़ाया गया। अक्टूबर 2016 से 10 नवंबर 2016 तक के चिकित्सा अवकाश के कारण वह अनुपस्थित थी। इसका प्रार्थना पत्र उसने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में सात दिसंबर 2017 को ही दे दिया था। इसमें प्रजेंटेशन छूट जाने की बात कही गई। चार महीने तक न तो अंग्रेजी विभाग और न ही परीक्षा विभाग यह तथ्य सामने ला पाया कि उसका प्रजेंटेशन हुआ था और उसे दस में से छह अंक भी विभाग ने दिए थे। इसके बावजूद दोबारा प्रजेंटेशन उससे मागा जा रहा था। दोनों विभाग के बीच संवादहीनता के कारण उसे चक्कर लगाने पड़े। वहीं, छात्रा पारुल ने सात दिसंबर को प्रार्थना दिया था और 12 अक्टूबर से लेकर 10 नवंबर तक का चिकित्सीय अवकाश दिखाया था। इस पर अंग्रेजी विभाग की शिक्षिका डॉ. कविता त्यागी ने टिप्पणी लिखी कि यह छात्रा एमए में इंग्लिश के पेपर कोड 504 में फेल थी और वह प्रजेंटेशन में अनुपस्थित थी। ऐसे में उसका प्रजेंटेशन लेने को मैं तैयार हूं। इस पर परीक्षा नियंत्रक की ओर से 20 दिसंबर 17 को टिप्पणी लिखी गई कि इसे लेकर मैं सहमत हूं। यही नहीं 19 मार्च 2018 को अंग्रेजी विभाग ने प्रजेंटेशन व असाइनमेंट के अंक भी दोबारा परीक्षा विभाग को भेज दिए। नहीं बताई गई सच्चाई, ऐसे में भागदौड़ करती रही छात्रा

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परीक्षा विभाग ने अंग्रेजी विभाग को यह सूचित नहीं किया कि प्रजेंटेशन व असाइनमेंट में पहले ही छात्रा को दस में से छह अंक दिए गए हैं। ऐसे में दोबारा प्रजेंटेशन नहीं लिया जा सकता। अगर परीक्षा विभाग ने छात्रा के प्रार्थना पत्र पर उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार जाच कर यह पहले ही बता दिया होता कि दोबारा प्रजेंटेशन लेना नियम विरूद्ध है तो शायद मामला इतना आगे न बढ़ता। यही नहीं इसके बाद अंग्रेजी विभाग ने छात्रा की अंक तालिका अपने पास रख ली और मौन साध लिया। ऐसे में छात्र को सच्चाई नहीं बताई गई और वह दौड़ती रही। फिलहाल प्रारंभिक जाच में यही तथ्य सामने आए हैं। अगर सच्चाई शुरूआत में ही पता चल जाती तो छात्र को इतनी दौड़ भाग नहीं करनी पड़ती। हॉस्टल के कमरे में फंदे पर लटकी मिली छात्रा

मृतका देवरिया जिले के जगहटा भाटपार रानी गांव निवासी कमला पति सिंह की बेटी पारुल (23) बीएड की छात्रा थी। 19 अप्रैल को डॉ. शकुंतला मिश्र शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में छात्रा कमरा नंबर 219 में फंदे पर लटकी मिली थी। घटना की जानकारी पर प्रबंधन और पूरा कॉलेज प्रशासन मौके पर पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। मृतक छात्रा के पिता ने कॉलेज प्रशासन पर लगाए थे आरोप

छात्रा के पिता ने कॉलेज प्रंबधन पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि वार्डेन ने छात्रों को हॉस्टल के कमरे का दरवाजा नहीं तोड़ने दिया। अगर समय से बेटी को फंदे से उतार लिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी।

क्या कहते हैं अधिकारी ?

कार्यवाहक कुलपति प्रवीर कुमार का कहना है कि अभी जो भी प्रारंभिक तथ्य सामने आए हैं उनके मुताबिक, किसी निष्कर्ष पर सीधे पहुंचना उचित नहीं होगा। मैने मामले की जाच के लिए प्रो. शेफाली यादव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है वह जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी।


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