चौधरी टोला की जमीन से 2018 में हटा हत्या व कब्जे का शाप
एक ही साल में हत्या के दोषियों को मिली सजा और 30 साल पुराना अवैध कब्जा भी हटा, राजधानी की पहली भूमाफिया हाजरा बेग ने किया सालों कब्जा, सावित्री सिंह ने भी ठोका था दावा, एलडीए ने कराई जमीन मुक्त, अब आवंटियों को मिला कब्जा
लखनऊ (ऋषि मिश्र)। अलीगंज के पुराने बजरंगबली मंदिर से लगी चौधरी टोला की अपशगुनी जमीन के लिए 2018 का साल शापमुक्ति का वर्ष रहा। इस जमीन पर कब्जे के विवाद में फरवरी 1994 में गोपाल मिश्रा की हत्या हुई थी। जिसमें शुक्रवार को मुख्य आरोपी अभय सेठ दोषी सिद्ध हुआ। कत्ल होने के बावजूद अवैध कब्जे का ये विवाद समाप्त नहीं हुआ था। यहां एलडीए की ओर से भूमाफिया घोषित की गई हाजरा बेग फरवरी 2018 तक काबिज रहीं। 80 के दशक के अंत में प्राधिकरण ने यहां 100 से अधिक व्यवसायिक भूखंड नियोजित किये थे। जिन पर कब्जे नहीं दिये जा पा रहे थे। हाजरा के साथ में कथित किसान नेता सावित्री सिंह भी यहां काबिज होने की कोशिश में लगी थीं। अवैध कब्जे की ये गाथा 2018 में जाकर समाप्त हुई। यहां इस साल फरवरी में जब कब्जा हटाया गया तब हाजरा और सावित्री दोनों को ही जेल जाना पड़ा।
अलीगंज में पुराना बजरंगबली मंदिर के पीछे 50 हजार वर्ग फीट जमीन का ये बेशकीमती टुकड़ा हमेशा से भूमाफिया की नजरों में रहा। हाजरा बेग इस पर काबिज थीं। मगर अभय सेठ ने कब्जे की कोशिशें शुरू की। गोपाल मिश्र इसमें कहीं न कहीं अभय सेठ के आड़े आए थे और उनको एक फर्जी एनकाउंटर में मरवा दिया गया था। इस हत्या के बाद अभय सेठ ने इस जमीन की ओर रुख नहीं किया मगर हाजरा का कब्जा बना रहा। साल 2010 के बाद हाजरा बेग और कथित किसान नेता सावित्री सिंह के बीच यहां कब्जे के लिए नई लड़ाई शुरू हो गई। यहां झुग्गी झोपड़ी बसाई गई। जिसमें बाकायदा किराया लिया जाने लगा। फरवरी में खाली कराया कब्जा सावित्री और हाजरा गई थीं जेल
फरवरी तक यहां लगभग चार सौ से ज्यादा की आबादी रह रही थी। हाजरा पर वसूली का आरोप था। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने आरोप लगाया कि वे यहा हाजरा खान को पैसा देकर रहते हैं। जबकि हाजरा खान का कहना है कि यह मेरी जमीन है और मैं इस पर राजा राम मोहन राय मिशन नाम से एक संस्था चलाती हूं। हाजरा खान ने सावित्री सिंह पर आरोप लगाया कि वह यहा के लोगों को बरगलाती है और इसीलिए उन्होंने 25 जनवरी को उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। जबकि सावित्री सिंह ने भी यहां विरोध किया था। दोनों को ही पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा कर के जेल भेज दिया था। तब से ये जमीन एलडीए के कब्जे में है। यहां आवंटियों को कब्जे दिये जा चुके हैं। लविप्रा के नजूल अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि अलीगंज के चौधरी टोला की जमीन से करीब 30 साल बाद अवैध कब्जे हटाए थे। जिसको लेकर कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। अब आवंटियों को कब्जे दिये जा चुके हैं।