अमेठी में राष्ट्रीय राजमार्ग पर तकिया-बिस्तर लेकर धरने पर बैठे लाल प्रताप, प्रशासन पर बात न सुनने का आरोप
पिछले 8- 10 सालों से तिलोई तहसील को रायबरेली से जोड़ने की मांग करने वाले लाल प्रताप सिंंह सप्ताह भर से भवानी नगर के लाल प्रताप सिंह ओदारी चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे थे। बात बनती न देखा वह सोमवार को हाईवे पर तकिया बिस्तर लेकर आ गए।
अमेठी, संवाद सूत्र। तिलोई तहसील को रायबरेली से जोड़ने की मांग को लेकर सप्ताह भर से भवानी नगर के लाल प्रताप सिंह ओदारी चौराहे पर प्रदर्शन करते रहे। प्रशासन की अनदेखी से नाराज उन्होंने मंगलवार की सुबह साढ़े दस बजे के करीब रायबरेली - सुलतानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तकिया-बिस्तर लगा दिया। वहीं अर्धनग्न अवस्था में लेट गए। यह जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। उनसे वार्ता कर आश्वासन देकर धरना समाप्त कराया।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रदर्शन की सूचना मिलते ही कोतवाली प्रभारी राकेश कुमार सिंह पुलिस बल के साथ पहुंच गए। धरना खत्म कराने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। 12 बजे के करीब सीओ तिलोई डा. अजय कुमार सिंह भी आ गए। काफी मान मनौव्वल कर उन्हें वस्त्र धारण कराया। इसके बाद भी वह धरना समाप्त करने को तैयार नहीं थे।
उनका कहना था कि वे 26 वां धरना दे रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी नींद में है। पिछले 8- 10 सालों से वह तिलोई तहसील को अमेठी जिले से काटकर रायबरेली में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। दोपहर बाद एसडीएम फाल्गुनी सिंह भी मौके पर पहुंची। उन्होंने लाल प्रताप सिंह से बात की। उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी बात उच्चाधिकारियाें तक पहुंचाएंगी। तब उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग पूरी न हुई तो वे 15 दिन बाद मोटरसाइकिल रैली निकालकर लोगों को जागरूक करेंगे। इस मौके पर मुख्य रूप से पूर्व प्रधान मो यूसुफ, मो यूनुस, सबीना, राजू गूजर, सीताराम, रामू, रंजीत यादव आदि मौजूद रहे।
सलोन व तिलोई तहसील को रायबरेली से किया था अलग
2010 में अमेठी जब जिला बना तो उस वक्त सलोन व तिलोई तहसील को रायबरेली से अलग कर इसमें शामिल किया गया था। सपा की अखिलेश यादव सरकार में सलोन की विधायक आशा किशोर थी और तिलोई से मयंकेश्वर शरण सिंह। दोनों एमएलए तब सपा में रहे। उस वक्त दोनों तहसीलों को वापस रायबरेली में करने की उठी। कहा जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दोनों विधायकों से राय मांगी।
सलोन विधायक ने अपनी तहसील को रायबरेली में शामिल करने की वकालत की, जबकि तिलोई विधायक तटस्थ रहे। इसके बाद सरकार की पहल पर सलोन को 2015 में अमेठी से अलग कर दिया गया। वहीं तिलोई की स्थिति यथावत बनी रही। तब से इसे रायबरेली में शामिल करने की मांग चली आ रही है। एक बार लोग हाईकोर्ट भी गए, लेकिन पैरोकारी के अभाव में नतीजा शून्य रहा।