Sanskaarshala: इंस्टाग्राम और फेसबुक से नहीं, माता-पिता के साथ समय बिताने से मिलते हैं अच्छे संस्कार
Sanskaarshala इस आधुनिक युग के इस इंटरनेट जमाने में लोग ऐसा भटक गए हैं कि उन्हें अपनों की सुध ही नहीं है। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों को जब भी स्मार्टफोन दें तो उन्हें उसके बारे में अच्छी जानकारी दें।
लखीमपुर, [आलोक मिश्र]। Sanskaarshala: आज के आधुनिक युग में स्मार्टफोन (Smart phone) हर किसी की जरूरत बन गई है। इंटरनेट मीडिया (Internet Media) का जाल ऐसा फैला है कि लोगों के दिन की शुरुआत इसी से होती है। पहले लोग उठते थे तो अपने मां बाप के चरण छूते थे, लेकिन आज के युग में इंटरनेट मीडिया इतना हावी हो गया है कि बच्चों के दिमाग पर सुबह उठते ही वह सबसे पहला कार्य मोबाइल देखने का करते हैं। अपने द्वारा लगाई गई फोटो व सुझाव पर कैसे कमेंट आए हैं, ऐसी जानकारी लेते हैं।
राखी को उनके माता-पिता ने जो सीख दी थी वह डिबेट में उसने उस बात को साझा किया और अपनी बातों को सही तरीके से रखा। लेकिन उसने उससे पहले अपना सुझाव फेसबुक पर भी डाल रखा था। उस में आए हुए कमेंट के बारे में जब उसने सोचा तो वह उचक गई और डिबेट के समय एकदम शांत हो गई। ऐसे में बच्चों को अभिभावकों के द्वारा जो सीख मिले उस पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, जो बात मां-बाप बताते हैं वह हमेशा सही होता है।
बच्चे जब भी स्कूल से घर जाएं तो उन्हें अपनी कापी किताबों को उचित स्थान पर रखना चाहिए जिससे जब स्कूल जाने लगे तो उन्हें समय से मिल जाए और वह समय से स्कूल पहुंच सकें। इस आधुनिक युग के इस इंटरनेट जमाने में लोग ऐसा भटक गए हैं कि उन्हें अपनों की सुध ही नहीं है। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों को जब भी स्मार्टफोन दें तो उन्हें उसके बारे में अच्छी जानकारी दें।
संस्कारशाला Sanskaarshala में ऐसा दर्शाया गया है कि जब प्रिया को पहला इनाम मिला तो वह मेडल लेकर मंच से नीचे आई और राखी के गले में मेडल को डाल दिया और फेसबुक पर उस पोस्ट को पोस्ट कर दिया। इस पर प्रियंका ने भी कमेंट लिखा, उसने कहा बेस्ट फ्रेंड बेस्ट डिवेटर राखी ही है। इसलिए हमेशा अपने मां-बाप वह अपने बुजुर्गों की बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए यही सीख संस्कारशाला दे रही है। लेखक, प्रधानाचार्य, ग्रीन फील्ड एकेडमी लखीमपुर