लखीमपुर, [पूर्णेश वर्मा]। पीलीभीत-बस्ती नेशनल हाईवे के ऐरा पुल पर हुए भीषण सड़क हादसे को भले ही लोग नियति का खेल कह कर एक दूसरे को ढांढस बंधा रहे हैं, पर मामले की तह में जाने पर जो सच्चाई सामने आ रही है वह नियम और कानून की धज्जियां निजी और सरकारी तंत्र के गठजोड़ के एक स्याह पन्ने जैसी है। यह बस भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी विकास शुक्ल की है। बस का परमिट रिजर्व पार्टी का था, लेकिन उससे सवारियां ढोई जा रहीं थीं। बस में 42 सवारियों की जगह साठ से ज्यादा यात्री सवार थे।
ठूंस-ठूंस कर भरी गई थी सवारियां
बता दें कि बस का परमिट रिजर्व पार्टियां ढोने का था, लेकिन वह दैनिक यात्रियों को ढो रही थी। उस पर भी बस में क्षमता से डेढ़ गुणा सवारियां ठूंस-ठूंस कर भरी गई थीं। धौरहरा रूट पर हुए भीषण हादसे के बाद जब दस लोगों की जान चली गई और 29 से ज्यादा घायल हो गए तो प्रशासनिक अमला भी परिवहन नियमों के पन्ने बुधवार को पलटने लगा। इसमें नियमों की अनदेखी का वो अध्याय खुला, जिसने व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए।
परिवहन विभाग का दावा हादसे का शिकार हुई बस की फिटनेस को लेकर तो अव्वल है, पर परमिट की बात पर कोई खुलकर नहीं बोल रहा। दरअसल जो बस हादसे का शिकार हुई, उसका परमिट आल इंडिया का रिजर्व पार्टियां लाने-ले जाने का है। इसी परमिट की आड़ में ये बस धौरहरा से लखनऊ तक दैनिक यात्रियों लेकर हर रोज फर्राटा भर रही थी।
परमिट शर्तों का उल्लंघन मिला तो होगी कार्रवाई
बस का परमिट फिलहाल 2023 तक के लिए है। बस परिवहन विभाग में पंजीकरण के अनुसार 42 सीटर है, पर बुधवार को उसमें 60 से ज्यादा सवारियां भरी थीं। यह हाल अकेले धौरहरा रूट का नहीं, जिले के तकरीबन हर रूट पर ऐसी प्राइवेट बसें परमिट का खेल करके लखनऊ और दिल्ली तक फर्राटा भर रहीं हैं।
एआरटीओ प्रवर्तन आरके चौबे ने बताया बस का आल इंडिया परमिट रिजर्व पार्टियां ढोने का है। जांच की जाएगी, अगर परमिट शर्तों का उल्लंघन पाया जाएगा, तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी।
अस्पताल से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक चीख-पुकार
भीषण सड़क हादसे में आठ लोगों की मौत हो जाने के बाद घटनास्थल से लेकर जिला अस्पताल और पोस्टमार्टम हाउस तक चीख-पुकार मची रही। जिला अस्पताल में जहां घायलों के इलाज और अधिकारियों की आवाजाही को लेकर काफी अफरा-तफरी का माहौल रहा, वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर मृतकों के परिवारजन का करुण क्रंदन गूंजता रहा।