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संसाधनों का अभाव नहीं रोक सका उड़ान : किसान के लाडलों ने डॉक्टर बन हासिल किया मुकाम

राज्यपाल ने जैसे ही बेटे को डिग्री सौंपी, अभिभावक की आंखों से खुशी के आंसू छलक आए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 09:35 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 07:48 AM (IST)
संसाधनों का अभाव नहीं रोक सका उड़ान : किसान के लाडलों ने डॉक्टर बन हासिल किया मुकाम
संसाधनों का अभाव नहीं रोक सका उड़ान : किसान के लाडलों ने डॉक्टर बन हासिल किया मुकाम

लखनऊ (संदीप पांडेय) । केजीएमयू के मेधा समागम में गांव की फसल भी लहलहाई। किसानों के बेटों ने सुपर स्पेशियलिटी डिग्री हासिल कर जीवटता की मिसाल पेश की। ऐसे में राज्यपाल ने जैसे ही उन्हें डिग्री सौंपी, अभिभावक की आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। पूछते ही उनके मुंह से बरबस निकला... हमार लल्ला गांव का पहला डॉक्टर बन गया। मंच से लौटे मेधावियों ने उन्हें संभाला। साथ ही सफलता के पीछे की कहनी भी बयां की।

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पापा के साथ खेत में बहाया पसीना

तमिलनाडु के काली पट्टी गांव निवासी मेघनाथ ने पीडियाट्रिक्स में गोल्ड मेडल हासिल किया है। उनके पिता किसान हैं। 12वीं तक पढ़ाई उन्होंने सरकारी स्कूल से की है। इस दौरान आमदनी के लिए पापा के साथ खेती में भी पसीना बहाया। गांव में डॉक्टर न होना उन्हें हमेशा सालता रहा। कारण, बीमार होने पर लोगों को 50 किमी दूर इलाज के लिए जाना पड़ता था। उन्होंने कहा कि गांव अब पहला डॉक्टर बन गया हूं। मेघनाथ कहते हैं कि नौकरी के साथ-साथ वह गांव में कैंप लगाकर लोगों की सेवा भी करेंगे।

कस्बे का बना इकलौता न्यूरोलॉजिस्ट

फैजाबाद के दर्शननगर निवासी सुधाकर पांडेय ने डीएम न्यूरोलॉजी में टॉप किया। उन्होंने कहा कि पिता ने खेती करके ही पढ़ाया है। उम्र बढऩे पर अब उन्होंने व्यवसाय शुरू किया है। सुधाकर के मुताबिक वह दर्शन नगर में पहले न्यूरोलॉजिस्ट बने हैं। अभी तक कस्बे में किसी ने डीएम न्यूरोलॉजी की पढ़ाई नहीं की है। ऐसे में लखनऊ में प्रैक्टिस करूंगा। वहीं समय-समय पर कस्बे में जाकर स्थानीय लोगों को चिकित्सकीय सुविधाएं भी मुहैया कराऊंगा।

गांव में जगी सेहत की उम्मीद

गुरु प्रसाद रेड्डी ने प्लास्टिक सर्जरी एमसीएच में टॉप किया है। उन्हें सर्वोच्च अंक हासिल करने पर गोल्ड मेडल मिला है। आंध्र प्रदेश के रोर्रागुंटा गांव निवासी गुरु प्रसाद के पिता शिक्षक हैं। उनके गांव में कोई डॉक्टर नहीं है। वह अपने गांव के पहले डॉक्टर बने हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी माटी को कभी भूल नहीं सकता। माता-पिता अभी वहीं रहते हैं। मैं गांव वालों को समय-समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध अवश्य कराऊंगा।

गांव को मिला आर्थोपेडिक सर्जन

डॉ. पुरुषोत्तम कुमार आर्थोपेडिक में एमएस किया। उन्हें बेस्ट थीसिस पर गोल्ड मेडल मिला। छत्तीसगढ़ के बड़ी करेली निवासी डॉ. पुरुषोत्तम शुरुआती पढ़ाई पास के एक कस्बे से की। इस दौरान उन्हें डॉक्टर बनने का फैसला किया। मंगलवार को वह डिग्री पाकर गांव के पहले डॉक्टर बन गए। 


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