नमी की कमी से उपज प्रभावित होने पर आठ जिले सूखाग्रस्त घोषित
रबी फसलों में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने के कारण ललितपुर, महोबा, जालौन, कानपुर नगर, चित्रकूट, झांसी, हमीरपुर व बांदा को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी है।
लखनऊ। रबी फसलों में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने के कारण ललितपुर, महोबा, जालौन, कानपुर नगर, चित्रकूट, झांसी, हमीरपुर व बांदा को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी है। केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार ने किसानों को राहत प्रदान करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करना शुरू कर दी हैं।
सूखे और कम बारिश के कारण रबी के सीजन में अपेक्षित बोआई नहीं हो पाने, नमी की कमी एवं तापमान बढऩे से उपज प्रभावित हुई थी। पूरे प्रदेश में दस से 15 फीसद पैदावार घट जाने का अनुमान है। इसमें बुंदेलखंड के सात जिलों के अलावा कानपुर नगर में नुकसान अधिक रहा। जिलाधिकारियों से मंगायी गयी रिपोर्ट के अनुसार उक्त आठ जिलों में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान रबी फसलों को हुआ। राजस्व विभाग के मुताबिक रबी सीजन में जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई। बीते दिनों केंद्र सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव राघवेंद्र सिंह ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को पत्र भेज कर सूखे व कम वर्षा से रबी फसलों की बोआई का रकबा घटने और पैदावार को नुकसान का ब्यौरा मांगा था।
राहत आयुक्त कार्यालय ने गत वर्ष सूखाग्रस्त घोषित किए 50 जिलों में रबी फसलों को हुए नुकसान का ब्यौरा तलब किया था। इनमें से सात जिलों कानपुर नगर, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, झांसी, जालौन और महोबा के डीएम द्वारा प्रेषित रिपोर्ट में 33 प्रतिशत या उससे ज्यादा क्षति की सूचना दी गई। इसी आधार पर 1261 करोड़ रुपये का मैमोरैंडम तैयार कर केंद्र सरकार को प्रेषित किया गया लेकिन उक्त जिलों को विधिवत सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया था। राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के एतराज पर जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की गयी और ललितपुर जिले को भी शामिल किया गया, जिस पर कैबिनेट की मुहर लगाना शेष है।
अब संशोधित मैमोरैंडम
सूखा प्रभावित जिलों के किसानों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को पूर्व में प्रेषित प्रस्ताव में संशोधन किया जाएगा क्योंकि प्रभावित जिलों की संख्या सात से बढ़कर अब आठ हो गयी है। ललितपुर में हुए नुकसान को समाहित करते हुए संशोधित मैमोरैंडम जल्दी भेज दिया जाएगा ताकि किसानों को सहायता मिल सके।