Makar Sankranti 2019: आज लगेगी संक्रांति, जानें स्नान-दान और खिचड़ी खाने का महत्व
14 को रात्रि 2:09 बजे सूर्य देव धनुराशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन प्रयागराज कुंभ का पहला स्नान भी होगा।
लखनऊ, जेएनएन। सूर्य देव के पूजन, स्नान और दान का पुण्य पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। इस साल मकर संक्रांति खास संयोग बन रहा है, जिसकी वजह से यह और भी खास हो रही है। मकर संक्रांति के योग इस बार दो दिन बन रहा है। 14 को रात्रि 2:09 बजे सूर्य देव धनुराशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्योदय से इसका मान शुरू हो जाएगा। जो 15 जनवरी (मंगलवार) सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक मकर राशि में रहेंगे।
ये है महत्व
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने खास महत्व होता है। इसी वजह से इसे कई जगहों पर खिचड़ी भी कहा जाता है। पं.राकेश पांडेय ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से पाप का नाश होता है। चावल को चंद्रमा का प्रतीक मानते हैं, काली उड़द की दाल को शनि का और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक होती हैं। कहते हैं मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत होती है। इस मौके पर लकड़ी, तिल, दाल, चावल, पापड़, गुड़, घी नमक और कंबल का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
भागीरथ के पीछे चलीं थी मां गंगा
मकर संक्रांति को लेकर मान्यता यह भी है कि इस दिन भागीरथ के तप के साथ धरती पर आईं मां गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि आश्रम होती हुईं सागर में समाहित हुईं थीं। उसके बाद से पुण्यधाम गंगा सागर को ख्याति मिली। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इसके अलावा महाभारत के युद्ध में घायल हुए गंगापुत्र भीष्म पितामह ने इसी दिन देह त्याग किया था। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। यह भी कहा जाता है कि सब तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार। एक बार गंगा सागर में स्नान करने वाले मनुष्य को सदा-सदा के लिए पाप से मुक्ति मिल जाती है। श्री शुभ संस्कार समिति के महामंत्री ऋद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि पर्व के अवसर पर कुड़िया घाट पर खिचड़ी भोज और आदि गंगा गोमती की आरती होगी।