शुगर और ब्लड प्रेशर का उतार-चढ़ाव हानिकारक, अब लेप्टिन लेगा इंसुलिन की जगह
कलाम सेंटर में आयोजित हुई चौथी क्रोनोमेडिसिन कॉफ्रेस। लेप्टिन हार्मोन की वजह से मोटापा बढ़ता है। इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
लखनऊ, जेएनएन। शरीर में अलग-अलग समय में अलग-अलग हार्मोन रिलीज होते हैं। इनकी रेंज हर वक्त अलग होती है। इसकी वजह से कई बार हमारे शरीर में इंसुलिन का बैलेंस बिगड़ जाता है जो कि मरीज के लिए हानिकारक होता है। इसकी मॉनिटङ्क्षरग के लिए आजकल एम्ब्यूलॉट्री ग्लूकोज प्रोफाइल तकनीक आ गयी है जिसकी मदद से 14 दिन तक शुगर लेवल चेक किया जा सकता है। यह जानकारी बीबीडी के डॉ. अनुज महेश्वरी ने कलाम सेंटर में आयोजित क्रोनोमेडिसिन की चौथी कॉफ्रेस में दी।
लेप्टिन लेगा इंसुलिन की जगह
जमशेदपुर से आये कंसलटेंट डॉ. अनिल कुमार विक्रम ने बताया कि फैटी टिश्यू के रिलीज होने वाले लेप्टिन हार्मोन की वजह से मोटापा बढ़ता है। इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। लेप्टिन रेजिस्टेंट करके हम इंसुलिन का लेवल नियंत्रित कर सकते हैं। भविष्य में आने वाली दवाइयों से इंसुलिन को रिप्लेस किया जा सकेगा। लेप्टिन से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है शुगर लेवल भी कम होता है।
सुबह होते हैं अधिकतर अटैक
डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि सोने के समय ब्लड प्रेशर दिन के मुकाबले 10 से 20 प्रतिशत कम हो जाता है। इसे डिपर पैटर्न कहते हैं, लेकिन ब्लड प्रेशर के मरीजों में देखा गया है कि सुबह उठने के बाद उनका ब्लड प्रेशर काफी हाई होता है। ऐसे में उन्हें बेड से उठते ही एक्सरसाइज या सैर के लिए नहीं निकलना चाहिए। यहां तक कि उठते ही टॉयलेट नहीं जाना चाहिए। हाई ब्लडप्रेशर की वजह से उन्हें अक्सर हार्ट अटैक और स्ट्रोक हो जाता है। इसमें कम से कम आधा घंटा रिलैक्स होने के बाद ही टायलेट जाना चाहिए। डॉ. संजय अरोरा ने बिना दवा के स्लीप मैनेजमेंट के तरीके बताए।