World Wildlife Day 2021: इनकी बदौलत देश-दुनिया में बजा लखनऊ का डंका, जानिए कैसे
World Wildlife Day 2021 लखनऊ के चिड़ियाघर में सर्वाधिक चर्चा में बब्बर शेर वृंदा रहा। गंभीर बीमारी के कारण मर्सी किलिंग दिया जाना था। मार्च 1998 में सर्कस से पकड़ा गया था। वर्ष 1998 में चिड़ियाघर की हथिनी चंपाकली चर्चा में आ गई थी।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। वैसे तो लखनऊ में ऐसा कोई जंगल नहीं है, जहां विविध प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हों, लेकिन चिड़ियाघर हर किसी को वन्यजीवों के करीब लाने का काम करता है। हर साल करीब 15 लाख लोग जू में वन्यजीवों को देखने के साथ ही उनसे जुड़ी तमाम जानकारियां पाते हैं। चिड़ियाघर के ये वन्यजीव इसलिए भी खास हो गए, क्योंकि इनके कारण देश-दुनिया के शिखर पर लखनऊ चिड़ियाघर का नाम छाया रहा।
चिड़ियाघर के किसी वन्यजीव पर आफत आई तो देश-दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों ने मदद के लिए एक सुर से आवाज उठाई थी। सर्वाधिक चर्चा में बब्बर शेर वृंदा रहा, जिसे गंभीर बीमारी के कारण मर्सी किलिंग दिया जाना था, पर देश-दुनिया के वन्यजीव प्रेमी इसके विरोध में उतर आए थे।
इस बब्बर शेर को मार्च 1998 में सर्कस से पकड़ा गया था। सर्कस पर वन्यजीवों के प्रदर्शन पर लगी रोक के कारण ही वन विभाग ने यह कार्रवाई की थी। सर्कस के छोटे से पिंजड़े में अधिक समय रहने से उसकी रीढ़-टेढ़ी हो गई थी। इससे वह सीधे चल भी नहीं पाता था।
उसे आंखों से कम दिखने लगा था। उम्रदराज होने के साथ ही बीमारियों से घिरे वृंदा ने खाना भी कम कर दिया था। तमाम इलाज किया गया, लेकिन जब कोई सुधार नहीं दिखा तो चिड़ियाघर प्रशासन ने वर्ष 1999 में उसे मर्सी किलिंग (दया मृत्यु) देने का निर्णय लिया था। चिड़ियाघर प्रशासन का यह निर्णय अखबारों में प्रमुखता से छपा तो देश ही नहीं विदेश में रह रहे वन्यजीव वृंदा के पक्ष में उतर आए। दुआ ही नहीं दवाएं भी देश-विदेश से आने लगी थी। आखिरकार चिड़ियाघर प्रशासन को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा और कुछ समय बाद वृंदा की मौत हो गई।
ब्रिटेन से आई हथिनी की दवा:
- वर्ष 1998 में चिड़ियाघर की हथिनी चंपाकली चर्चा में आ गई थी। चंपाकली गर्भवती थी। गर्भ में नन्हा हाथी उलटा था। जू प्रशासन को चिंता हो रही थी कि कैसे प्रसव होगा। खबरें छपीं तो ब्रिटेन समेत कई देशों के वन्यजीव चिकित्सकों ने अपने सुझाव के साथ ही दवा भी भेजी थी।
- वर्ष 2000 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जापान के अपने समकक्ष को हाथी का बच्चा भेंट करना चाहते थे। सड़क मार्ग से जा रहे बच्चे की हालात खराब हो गई थी और उसे बीमार हालत में चिड़ियाघर लाया गया। यह घटना भी चर्चा में रही और जापान के राजदूत के अलावा भारत के रक्षा मंत्री भी हाथी के बच्चे को देखने पहुंचे।
- नन्हें सारस हैप्पी के पंख तराशने का मामला आया तो दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों ने हंगामा मचा दिया, लिहाजा उसे सुरक्षित गोंडा के पक्षी विहार में छोड़ना पड़ा।