लखनऊ, [कुसुम भारती]। तल्लीनता से ईयर फोन पर बात करते तान्या चली जा रही थी। यह पूछने पर कि कितनी देर फोन इस्तेमाल करती हैं और क्या यह जानती हैं कि ईयर फोन का ज्यादा देर तक इस्तेमाल नुकसानदेह है तो जवाब मिलता है, 'कभी इस बारे में सोचा ही नहीं। मगर, इतना जानती हूं कि फोन पर रहना ज्यादा देर तक बात करना या म्यूजिक सुनना नुकसानदेह है।
उम्र बढऩे के साथ कम सुनाई देना तो आम है, मगर युवा पीढ़ी जब इसका शिकार हो, तो कहीं न कहीं यह गंभीर समस्या हो सकती है। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि ध्वनि प्रदूषण, लाउड म्यूजिक, मोबाइल पर लगातार बात करना या गाने सुनना कहीं न कहीं कानों को नुकसान पहुंचाता है। दैनिक जागरण इस मौके पर आपको एक्सपर्ट्स की राय बता रहा है।
एग्जाम के दिनों में मोबाइल से रहती हूं दूर
अवध कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर की स्टूडेंट, शाचिका सिंह कहती हैं कि मोबाइल पर घंटों बातें करना या फिर पसंदीदा म्यूजिक सुनने के लिए देर तक हेडफोन का इस्तेमाल करना, एक समय के बाद नुकसानदेह हो सकता है। यह बात हम सब जानते हैं, फिर भी मानते नहीं हैं। एग्जाम के दिनों में मैं वैसे भी मोबाइल से दूर रहती हूं।
हानिकारक तरंगें पहुंचाती हैं नुकसान
12वीं की स्टूडेंट, अनिशा कहती हैं कि मैं खासतौर से मोबाइल का इस्तेमाल म्यूजिक सुनने के लिए करती हूं। हालांकि, मैं यह जानती हूं कि इसकी हानिकारक तरंगें न केवल दिमाग के लिए, बल्कि कानों के लिए भी बहुत हानिकारक हैं। हां, मैं पूरी कोशिश करती हूं कि म्यूजिक सुनते समय वॉल्यूम कम रखूं, ताकि ज्यादा नुकसान न करे।
लाउड म्यूजिक के बीच गुजरता है दिन
लोगों की फरमाइश पर तेज संगीत बजाने वाले डीजे राहुल कहते हैं कि यह मेरा प्रोफेशन ही नहीं पैशन भी है। ऐसे में रोज जिम, क्लब और प्राइवेट पार्टियों में करीब 10-12 घंटे लाउड म्यूजिक के बीच गुजारना पड़ता है। हाई फ्रीक्वेंसी म्यूजिक कहीं न कहीं नुकसानदेह है पर, 80 फीसद लोग लाउड म्यूजिक ही पसंद करते हैं। वैसे, मैं केवल स्लो म्यूजिक सुनना पसंद करता हूं।
140 डेसीबल का एक्सपोजर खतरे की घंटी
केजीएमयू में ईएनटी डिपार्टमेंट के प्रो. वीरेंद्र वर्मा बताते हैं कि कम वॉल्यूम पर आधा या एक घंटा म्यूजिक सुनते हैं, तो कोई नुकसान नहीं होता। कभी-कभी सामान्य होते हुए भी यदि कम सुनाई देने की समस्या हो, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। पर, 140 डेसीबल या उससे ऊपर का एक्सपोजर बहरेपन का खतरा उत्पन्न करता है। इसलिए जितना हो सके कम से कम वॉल्यूम का इस्तेमाल करें। हियरिंग एड या ऑपरेशन से समस्या दूर की जा सकती है।
बहरेपन के लक्षण
कानों में गर्म लगना, सीटी बजना, सायं-सायं की आवाज आना ये सब शुरुआती लक्षण हैं, इनको अनदेखा न करें। वहीं, अचानक सुनाई न देना या कम सुनाई देना वायरल न्यूरोनाइटिस इंफेक्शन होता है। ऐसा होने पर तुरंत ईएनटी डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
ये न करें
कान में किसी तरह का तेल या दवा न डालें, न ही कान की सफाई करें। काम में जितना मैल बनता है, वह खुद-ब-खुद साफ होता रहता है।
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