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किसान यात्राः हर दिल को छूने की कोशिश में राहुल का हाथ

राहुल गांधी को देखने का आकर्षण आम जनता, गरीब किसानों में लाजिमी है। मगर आकर्षण को आत्मीयता में बदलने को राहुल कोई कोर-कसर छोडऩा नहीं चाहते।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 16 Sep 2016 09:10 PM (IST)Updated: Fri, 16 Sep 2016 09:16 PM (IST)
किसान यात्राः हर दिल को छूने की कोशिश में राहुल का हाथ

लखनऊ (जेएनएन)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को देखने का आकर्षण तो आम जनता, गरीब किसानों में लाजिमी है। मगर इस आकर्षण को आत्मीयता में बदलने को भी राहुल कोई कोर-कसर छोडऩा नहीं चाहते। शुक्रवार को चित्रकूट के सर्किट हाउस से बांदा तक के सफर में कांग्रेस उपाध्यक्ष का हाथ हर दिल को छूने की कोशिश में दिखा। जुबां पर चर्चा छोड़ ही गए कि धूप में कच्चा फल अब पका सा दिख रहा है।

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देवरिया से दिल्ली किसान यात्रा बहुत लंबी है। यात्रा प्रबंधकों ने इसे समयबद्ध किया है, लेकिन राहुल इससे पूरी तरह बेफिक्र हैं। शुक्रवार को उनका काफिला जैसे ही चित्रकूट डाक बंगले से निकला कि थोड़ी ही दूरी पर महिलाओं का धरना-प्रदर्शन चल रहा था। वह राहुल गांधी से कुछ कहने को बैठी भी नहीं थीं। उनकी गाड़ी धरना स्थल से आगे भी आ गई, लेकिन अचानक राहुल ने कार रुकवाई और सीधे उस भीड़ में घुस गए। एसपीजी के पसीने छूट गए। जवान भागे और उन्हें सुरक्षा घेरे में लिया। वहां सुकून से बतियाकर राहुल गाड़ी में बैठ गए। थोड़ी ही आगे कुछ लोग और प्रदर्शन कर रहे थे। वह राहुल को अपनी समस्या बताने के लिए सड़क पर खड़े थे। सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें किनारे हटने का इशारा किया, लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष ने ड्राइवर से इशारा कर गाड़ी रुकवाई और पूरी बात सुनी। फिर चित्रकूट के रास्ते पर कुछ महिलाएं उनकी झलक पाने को खड़ी थीं। उन्हें देख राहुल ने कार धीमी करवाई और सबके हाथ जोड़े।

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कामतानाथ मंदिर में दर्शन और पोद्दार इंटरकालेज में सभा के बाद राहुल बस में सवार हो गए। इसमें आगे की सीट पर सवार राहुल गांधी ने इस 75 किलोमीटर के सफर को रोड शो बना दिया। बदौसा से कुछ दूरी पहले एक स्वागत मंच बनाया गया था। बस रुकवाकर राहुल सीधे मंच पर पहुंच गए और वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। फिर वह भीड़ की तरफ बढ़े और गांव के गरीब, लेकिन लालायित बच्चों से भी हाथ मिलाया। इसके बाद बदौसा में कांग्रेस उपाध्यक्ष को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विशेश्वर बाजपेयी के घर भोजन के लिए रुकना था। उनकी बस रुकते ही यहां के लोग बस के करीब पहुंच गए। वह बुंदेलखंड की दुखद कहानी सुनाने लगे। बस के गेट पर खड़े होकर उन्होंने सबकी बात सुनी और फिर वहां व्यवस्था के लिहाज से खड़े एसडीएम को पास बुलाया। पूछा कि इनकी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं होता। अफसर ने कुछ तर्क दिया तो बोले, पुरानी बातें छोड़ो और सोचो कि इनकी समस्या कैसे दूर होगी। फिर पैदल ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के घर चले गए। इतने में तेज बारिश शुरू हो गई। राहुल गांधी भोजन कर लौटे तो सुरक्षा कर्मियों ने वहीं गाड़ी लगा दी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बारिश में भीगते, ग्रामीणों से बतियाते, हंसते हुए बस तक आए। यहां से बदौसा में खाट सभा और फिर सीधे उन्हें महोबा जाना था। मगर, राहुल गांधी की नजर पड़ी कि सड़क किनारे लोग खड़े हैं तो वह गेट पर आ गए। इस पूरे सफर में यही लगा कि राहुल गांधी अपनी पुरानी छवि को तोड़कर सबके दिल को छूना चाहते हैं।


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