Kharmas : खरमास 16 दिसम्बर से शुरू होगा, 52 दिन तक अस्त रहेंगे शुक्र
Kharmas: 16 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच खरमास के कारण मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। खरमास शुरु होते ही 52 दिनों तक शुक्र अस्त रहेंगे। खरमास से पहले ही सा ...और पढ़ें

खरमास शुरु होते ही सभी वैवाहिक कार्यक्रम थम जाएंगे
जागरण संवाददाता, लखनऊ : विवाह की सीजन समाप्त होने के बाद खरमास 16 दिसम्बर से शुरू हो रहा है। खरमास शुरु होते ही सभी वैवाहिक कार्यक्रम थम जाएंगे।
खरमास 15 जनवरी को समाप्त होने के बाद नव वर्ष 2026 में पांच फरवरी से शादियों की शुरुआत होगी। ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, शादी के लिए गुरु और शुक्र का उदित होना आवश्यक है। फरवरी में सबसे अधिक 12 मुहूर्त हैं। मार्च, अप्रैल, मई और जून में शादी के लिए आठ दिन शुभ हैं।
16 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच खरमास के कारण मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। खरमास शुरु होते ही 52 दिनों तक शुक्र अस्त रहेंगे। खरमास से पहले ही सात दिसम्बर से विवाह थम जाएंगे। शुक्र के उदय होने के बाद पांच फरवरी 2026 से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। 2026 में चातुर्मास, खरमास, शुक्र एवं बृहस्पति के अस्त होने की अवधि को छोड़कर, बाकी सभी महीनों में विवाह मुहूर्त के लिए शुभ तिथियां है।
जून में अधिकमास और जुलाई-नवंबर के दौरान चातुर्मास के कारण शादी विवाह वर्जित होंगे। इस बार ज्येष्ठ माह दो माह का होगा। इस दौरान शादी विवाह नहीं होंगे। 17 मई से 15 जून और 16 जून से 14 जुलाई के बीच ज्येष्ठ माह रहेगा। इसके बाद 25 जलाई से 20 नवंबर के बीच चातुर्मास में भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे।
शादी में ग्रहों की शुभता जरूरी
शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त
शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है।वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है। अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा। तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
2026 में विवाह मुहूर्त
फरवरी- 5, 6, 8, 10, 12, 14, 19, 20, 21
मार्च- 7, 8, 9, 11, 12
अप्रैल- 15, 20, 21, 25, 26, 27, 28, 29
मई- 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13, 14
जून- 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29
जुलाई- 1, 6, 7, 11, 12
नवम्बर- 21, 24, 25, 26
दिसम्बर- 2, 3, 4, 5, 6।

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