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UP में गहराता खालिस्तान आतंकियों का नेटवर्क, वारदात के बाद छिपने के लिए आते हैं यहां...

खालिस्तान आतंकियों का नेटवर्क उत्तर प्रदेश में गहरा रहा है। खासकर असलहे हासिल करने व किसी वारदात के बाद छिपने के लिए वे उत्तर प्रदेश के कई शहरों का रुख करते रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 08:38 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 07:24 AM (IST)
UP में गहराता खालिस्तान आतंकियों का नेटवर्क, वारदात के बाद छिपने के लिए आते हैं यहां...
UP में गहराता खालिस्तान आतंकियों का नेटवर्क, वारदात के बाद छिपने के लिए आते हैं यहां...

लखनऊ, जेएनएन। खालिस्तान आतंकियों का नेटवर्क उत्तर प्रदेश में गहरा रहा है। खासकर असलहे हासिल करने व किसी वारदात के बाद छिपने के लिए वे उत्तर प्रदेश के कई शहरों का रुख करते रहे हैं। पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़े खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेएफ) के बलवंत सिंह का भी लखनऊ के अलावा लखीमपुर व कुछ अन्य शहरों में गहरा नेटवर्क रहा है।

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शामली में दो अक्टूबर, 2018 को पुलिसकर्मियों की रायफल लूटने की दुस्साहसिक वारदात हुई थी। बाद में इस घटना में पकड़े गए आरोपितों ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर हमले की साजिश का बड़ा राजफाश किया था। तब शामली पुलिस ने करम सिंह, गुरुजेंट उर्फ जिंटा व अमरीत उर्फ अमृत को गिरफ्तार किया था। तीनों ने खुद को खालिस्तान कमांडो फोर्स से जुड़ा होने का दावा किया था। उप्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने इस घटना से कुछ माह पूर्व इस संगठन के कई सक्रिय सदस्यों को पकड़ा था। एटीएस व पंजाब पुलिस ने मिलकर 19 सितंबर 2017 को बब्बर खालसा के वांछित अभियुक्त जितेंद्र सिंह टोनी व सतनाम सिंह को लखीमपुर खीरी से पकड़ा था।

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पूछताछ में सामने आया था कि पटियाला (पंजाब) की नाभा जेल से 27 नवंबर, 2016 को भाग निकले अभियुक्तों को असलहे सप्लाई करने व सहयोग देने के मामले में आरोपित जितेंद्र सिंह टोनी की तलाश थी। जितेंद्र सिंह ने जेल में हमला करने वालों को असलहे बेचे थे। एटीएस ने 16 अगस्त, 2017 को एटीएस लखनऊ से गिरफ्तार किए गए बब्बर खालसा के अभियुक्त बलवंत सिंह से हुई पूछताछ के आधार पर लखीमपुर के सिकंदरपुर निवासी सतनाम सिंह को पकड़ा था। जांच में यह सामने आया था कि लखनऊ के ऐशबाग स्थित एक गुरुद्वारे में ग्रंथी के वेश में छिपकर रह रहे बलवंत सिंह ने सतनाम के जरिए असलहा हासिल किया था और उसे उन्नाव में छिपकर रह रहे जसवंत सिंह काला को दिया था।

राज ही बना रह गया बलवंत सिंह का लोकल नेटवर्क

इसे खुफिया तंत्र की विफलता कहें या फिर पुलिस के मुखबिरों की कमजोरी। केजेएफ के जिस आतंकी बलवंत सिंह को दो साल पहले पंजाब पुलिस ने एटीएस की मदद से गिरफ्तार किया था, वह जेल से छूटा और फिर लखनऊ उसी गुरुद्वारा आया जहां उसने पहले भी कई साल बिताए। बलवंत सिंह के लोकल नेटवर्क और यहां से उसे बड़ी संख्या में हथियार किसने दिए, पुलिस और जांच एजेंसियां इसका पता नहीं लगा सकीं। आइटी गुरुद्वारा कई साल से एक घर में चल रहा है, जिस पर कुछ भी दर्ज नहीं है। यहां सेवादार रहते हैं जो कि दिन में नौकरी पर जाते हैं। बलवंत सिंह का लखनऊ में लोकल नेटवर्क बहुत बड़ा है। उसके संबंध कुछ बड़े हथियार तस्करों से भी हैं। पूरे ऐशबाग में यह चर्चा है कि बलवंत सिंह जेल से छूटकर वापस इसी गुरुद्वारा में आकर रहने लगा था। यदि इस सूचना पर पुलिस और खुफिया एजेंसियां मिलकर काम करती तो ड्रोन से पंजाब में हथियार गिराने से पहले उसे पकड़ा जा सकता था। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले बलवंत सिंह यहां से अचानक गायब हो गया। गुरुद्वारे में ज्ञानी बनकर बलवंत सिंह कई साल से केजेएफ की गतिविधियां संचालित कर रहा था।

मुजफ्फरनगर में पकड़ा गया था असलहा सप्लायर

उप्र एटीएस व पंजाब पुलिस ने फरवरी 2019 में खालिस्तान की मांग कर संगठनों से जुड़े आरोपितों को असलहों की खेप सप्लाई करने वाले गुड्डू उर्फ संजय राठी को मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से गिरफ्तार किया था। उसने अमृतसर निवासी दलजीत सिंह उर्फ बब्बल व सतनाम सिंह उर्फ मन्नी को असलहे सप्लाई किये थे।


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