केजीएमयू खुद के संसाधनों से शुरू करेगा डिब्बों में बंद 42 वेंटीलेटर
कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने दिए निर्देश, जल्द संविदा पर होगी भर्ती। पिछले दो सालों से स्टॉफ न होने के कारण डिब्बे में बंद हैं वेंटीलेटर।
लखनऊ, (जेएनएन)। केजीएमयू पिछले दो सालों से डिब्बे में बंद 42 वेंटीलेटर को जल्द शुरू करेगा। अब वह शासन की ओर से पद मिलने का इंतजार नहीं करेगा। केजीएमयू प्रशासन वेंटीलेटर को चलाने के लिए जरूरी स्टॉफ को खुद संविदा पर भर्ती करेगा। यह निर्देश केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने बुधवार को अधिकारियों के साथ की बैठक में दिए। फिलहाल केजीएमयू प्रशासन का यह कदम गंभीर रूप से बीमार मरीजों में नई जान फूंकने का काम करेगा।
कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया कि 42 नए वेंटीलेटर ट्रामा सेंटर में स्थित क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग और शताब्दी अस्पताल में स्थित पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में शुरू होंगे। अभी केजीएमयू के पास करीब 150 वेंटीलेटर हैं। इन नए वेंटीलेटर के शुरू होने से मरीजों को और राहत होगी। स्टॉफ न भर्ती हो पाने के कारण पिछले करीब दो वर्षों से यह वेंटीलेटर डिब्बे में बंद हैं। 42 वेंटीलेटर को चलाने के लिए करीब 284 कर्मचारियों की जरूरत होगी। एक वेंटीलेटर को चलाने के लिए करीब सात कर्मचारियों की जरूरत होती है। इसमें टेक्निशियन, नर्सिंग स्टॉफ व सफाईकर्मी आदि शामिल हैं। इनके वेतन पर हर महीने करीब 28 लाख रुपये से अधिक का खर्चा आएगा। इसे केजीएमयू प्रशासन अपने स्रोतों से होने वाली आय से खर्चा करेगा।
13 लाख रुपये का एक वेंटीलेटर
केजीएमयू में जो 42 वेंटीलेटर रखे हुए हैं। इसमें प्रत्येक वेंटीलेटर की कीमत 13 लाख रुपये है। यानी इतने दिनों से करीब 5 करोड़ 46 लाख रुपये के वेंटीलेटर बंद पड़े हैं। केजीएमयू में एक वेंटीलेटर का प्रतिदिन शुल्क करीब एक हजार रुपये है। बाहर प्राइवेट में 25-25 हजार रुपये तक वसूले जाते हैं। ऐसे में जाहिर है दो साल पहले यह शुरू होते तो केजीएमयू को राजस्व का नुकसान न होता।