किसी 'डीलिंग' के लिए नहीं रखा है ओएसडी
कार्यालय में रिटायर्ड अफसर की नियुक्ति पर बोले केजीएमयू कुलपति: एक साल सीखा, अब करूंगा काम।
लखनऊ[जागरण संवाददाता]। केजीएमयू के कुलपति के तौर पर प्रो. एमएलबी भट्ट का एक वर्ष पूरा हो गया। ऐसे में उन्होंने बुधवार को उपलब्धियों के साथ-साथ भविष्य का खाका भी प्रस्तुत किया। इस दौरान उनके कार्यकाल में घटित घटनाएं, मरीजों हो रहीं दिक्कतें, दवा का संकट व विभिन्न लिए गए फैसलों पर सवाल किए गए। पेश हैं कुछ अंश.
सवाल: वर्ष भर में आपकी कौन सी प्रमुख उपलब्धिया रहीं?
जवाब : 14 अप्रैल 2017 को ज्वाइन किया था। मुझे कोई अनुभव नहीं था। अगर कसौटी पर परखूं तो पूरा इनपुट नहीं दे पाया हूं। ऐसे में खास उपलब्धि ऐसी नहीं है, मगर कई काम हुए हैं। पिछली त्रुटियों को सही किया। दूसरे वर्ष में तेजी से काम करूंगा। सवाल: एक सेवानिवृत्त अफसर को कार्यालय में ओएसडी बनाया है। चर्चा है कि यह आपके काफी करीबी हैं, और केजीएमयू में किसी कंपनी को काम मिलने में उनकी भूमिका अहम रहती है।
जवाब: हा, मैनें संविदा पर ओएसडी की नियुक्ति की है। जब लोहिया संस्थान में चिकित्सा अधीक्षक था,वह भी वहा काम करते थे। मगर ओएसडी की नियुक्ति किसी डीलिंग के लिए नहीं बल्कि कार्यालय के काम के लिए की गई है। उनका किसी परचेज से कोई लेना देना नहीं है। जो भी चर्चा की जा रही हैं, वह निराधार है। ईमानदारी ही मेरी थाती है, इस पर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं। लोग मुझे बदनाम करना चाह रहे हैं।
सवाल: ट्रामा सेंटर की सीटी स्कैन मशीन अक्सर खराब रहती है। मरीज परेशान होते हैं। नई कंपनी से टेंडर फाइनल हो चुका। वह रेवेन्यू भी अधिक दे रही है। बावजूद पुरानी कंपनी पर मेहरबानी क्यूं?
जवाब: पुरानी कंपनी पर मेहरबानी की बात गलत है। ट्रामा सेंटर में सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए फिर से दो-तीन दिन में टेंडर निकाला जाएगा। जल्द ही मरीजों की इस दिक्कत को दूर किया जाएगा। सवाल: गत वर्ष में नए विभाग खुले कम, बंद अधिक कर दिए। इसका क्या कारण रहा?
जवाब: विश्वविद्यालय में पिछले वर्षो में कई विभागों का गठन कर दिया गया था। इनका कोई औचित्य नहीं था। ऐसे में ओवर लैपिंग कर बनाए गए विभागों को फिर मर्ज कर दिया गया है। सवाल: आपके कुलपति बनने के बाद कैंसर संस्थान व ट्रामा सेंटर-टू हाथ से चला गया। आपने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई।
जवाब: केजीएमयू से ट्रामा-टू व कैंसर संस्थान की दूरी अधिक थी। ऐसे में उनका संचालन करना आसान नहीं था। वहीं शासन का भी मानना था कि कैंसर संस्थान को अलग स्वायत्ता मिले और ट्रामा सेंटर पीजीआइ चलाए। हम अपनी सेवाओं का ही विस्तार कर लें। उनको ही मैनेज कर लें बहुत है, केजीएमयू में ही चैलेंज काफी हैं। सवाल: उपलब्धियों में 42 नए वेंटीलेटर क्त्रय करने का दावा किया, मगर वर्ष भर वह डिब्बे में ही बंद रहे। प्रमुख सचिव के आदेश पर भी एक भी वेंटीलेटर नहीं चलाया जा सका।
जवाब: ऐसा नहीं है, मेरे आने से पहले मुख्यमंत्री द्वारा क्रिटिकल केयर यूनिट का उद्घाटन कराया गया था। उसमें कई वेंटीलेटर बंद थे। उन यूनिटों के वेंटीलेटर शुरू कराने के साथ-साथ करीब 56 वेंटीलेटर की स्थापना कराई है। सवाल: उपलब्धि में वर्ष भर में 24 ब्रेनडेड मरीजों का अंगदान करवाना दर्शाया है। जबकि यह झूठा आकड़ा है। 2017-18 में एक या दो ही अंगदान हुए हैं। क्या सभी अंगदान अपने खाते में जोड़ दिए?
जवाब: ऐसा नहीं है। यह तो मैंने विभाग से आकड़ा मागा था। एक वर्ष का ही आकड़ा है। यदि इस पर संशय है तो मैं जानकारी लूंगा, फिलहाल उत्तर भारत में केजीएमयू में ही सबसे अधिक अंगदान किए गए हैं। सवाल: अमृत फार्मेसी, सोसाइटी, एचआरएफ में तीन चरणों में दवा की खरीदारी हो रही है, फिर भी मरीज बाहर से दवा ले रहे हैं।
जवाब: केजीएमयू में फार्मेसी सिस्टम सुधारा जाएगा। पूरा पीजीआइ की तर्ज पर एचआरएफ सिस्टम लागू होगा। सोसाइटी को समाप्त कर दिया जाएगा। मरीजों की दवा समस्या को जल्द हल किया जाएगा। सवाल: सूची में सस्ती दवाएं शामिल हैं, मगर आपके विभाग में ही कैंसर रोगियों को बाहर से महंगी दवाएं डॉक्टर मंगवा रहे हैं।
जवाब: ऐसा मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। सीएमएस-एमएस को विभाग का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दूंगा। बाहर से दवा मंगवाने वाले डॉक्टरों पर सख्ती की जाएगी। सवाल: संस्थान का बजट सात सौ करोड़ से अधिक है, पर मरीजों को स्टेचर तक समय पर उपलब्ध नहीं हैं।
जवाब: स्टेचर पर्याप्त हैं, यदि कम होंगे तो मंगवाए जाएंगे। दरअसल, तीमारदार मरीज को ले जाकर स्टेचर इधर-उधर छोड़ देते हैं। इसलिए समस्या हो जाती है। सवाल: आपके कार्यकाल में महिला तीमारदार के साथ दुष्कर्म और ट्रामा अग्निकाड हुआ। वहीं निलंबित कर्मी फिर बहाल हो गए।
जवाब: दुष्कर्म की घटना के बाद महिला सुरक्षा को लेकर एक कमेटी बनाई गई है। सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत की गई। वहीं अग्निकाड में निलंबित किए गए इंजीनियर व कर्मियों पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके। ऐसे में उन्हें बहाल कर दिया गया। अब अग्नि सुरक्षा को लेकर तेजी से इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रमुख उपलब्धिया
- राष्ट्रीय रैंकिंग में विश्वविद्यालय को 15वा स्थान मिला
- सस्ती दवा के लिए पाच अमृत फार्मेसी खोलीं
- एसजीपीजीआइ की तर्ज पर एचआरएफ सिस्टम लागू किया
- पैथोलॉजी, वाइरोलॉजी को एनएबीएल की मान्यता
- हिमेटोलॉजी में पहली बार स्टेम सेल से ब्लड कैंसर का इलाज शुरू
- न्यूरोलॉजिकल डिस आर्डर की विशेष ओपीडी
- 400 किलोवाट का सोलर एनर्जी
- ऊंचाहार एनटीपीसी घटना, ठाकुर गंज गैस लीकेज, पारा ट्रैक्टर ट्राली दुर्घटना में मरीजों का मुफ्त इलाज कराया
- क्ष्टरवेंशन रेडियोलॉजी में आधुनिक उपकरणों की स्थापना
- मानव मिल्क बैंक की मंजरी, स्पोर्ट इंजरी मेडिसिन के लिए धन स्वीकृत
- 11 राष्ट्रीय एवं एक अंतरराष्ट्रीय एमओयू
- स्वास्थ्य शिविरों में 22, 644 लोगों का नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण
- 43 एमडी, 10एमएस, दो एमसीएच, 60 एमएचए की सीटें स्वीकृत।