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राजनीति का अखाड़ा बना लखनऊ का केजीएमयू, ओपीडी से सर्जरी तक वेटिंग...डॉक्टर छोड़ रहे नौकरी

केजीएमयू में डॉक्टरों में आपसी खींचतान चरम पर है। आए दिन डॉक्टरों की टेबल पर कहीं न कहीं से कागजों को बंडल का गिरता है। ऐसे में बेवजह के जवाब-तलब से कई डॉक्टर आजिज आ चुके हैं। वहीं कुछ डॉक्टरों के प्रमोशन वर्षों से लंबित रहे हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 08:12 AM (IST)
राजनीति का अखाड़ा बना लखनऊ का केजीएमयू, ओपीडी से सर्जरी तक वेटिंग...डॉक्टर छोड़ रहे नौकरी
नए साल में गठिया रोग के विभागाध्यक्ष का नौकरी छोड़ना बड़ा झटका माना जा रहा है।

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में ओपीडी से लेकर सर्जरी तक लंबी वेटिंग है। यहां सामान्य मरीजों को दिखाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं कैंपस में व्याप्त राजनीति से डॉक्टरों का नौकरी छोड़ने का सिलसिला जारी है। ऐसे में मरीजों की आफत दिनोंदिन बढ़ रही है। नए साल में गठिया रोग के विभागाध्यक्ष का नौकरी छोड़ना बड़ा झटका माना जा रहा है। केजीएमयू में डॉक्टरों में आपसी खींचतान चरम पर है। आए दिन डॉक्टरों की टेबल पर कहीं न कहीं से कागजों को बंडल का गिरता है। ऐसे में बेवजह के जवाब-तलब से कई डॉक्टर आजिज आ चुके हैं। वहीं कुछ डॉक्टरों के प्रमोशन वर्षों से लंबित रहे हैं। ऐसे में सिस्टम से परेशान एक के बाद एक डॉक्टर इस्तीफा दे रहा है।

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केजीएमयू प्रशासन भी राजनीति के दलदल से उबर नहीं पा रहा है। वह डॉक्टरों को स्वस्थ्य माहौल व उन्हें सरकारी सेवा में रोक पाने में नाकाम हो रहा है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। गठिया रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनुपम वाखलू ने इस्तीफा का कारण कैंपस की अंदरूनी राजनीति को बताया है। ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

पहले देखते थे 10 हजार मरीज, अब सिर्फ 2000

केजीएमयू में करीब 32 विभागों की ओपीडी चल रही है। यहां पहले हर रोज ओपीडी में आठ से 10 हजार मरीज देखे जाते आते थे। वहीं अब ओपीडी में 2000 के करीब देखे जा रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन पंजीकरण में महीनों बाद की डेट मिल रही है। वहीं डॉक्टरों के संकट से समस्या और बढ़ने के आसार हैं। ऐसे ही अब मरीजों की रूटीन सर्जरी भी घट गई हैं। कोरोना के बाद शुरू हुईं रूटीन सर्जरी 50 फीसद ही रह गई हैं। वहीं अंग प्रत्योरोपण का काम ठप है।

कई विभागों में नहीं बचे विशेषज्ञ

नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉ. संत कुमार पांडेय इकलौते थे। इन्होंने इस्तीफा देकर निजी अस्पताल ज्वॉइन कर लिया। ऐसे में नेफ्रोलॉजी विभाग को यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत सिंह को सौंप कर काम चलाया जा रहा है। इंडोक्राइनोलॉजी में डॉ. मधुकर मित्तल, डॉ. मनीष गुच्च दोनों छोड़कर चले गए। अब इस विभाग की कमान भी दूसरे विभाग के डॉक्टरों को सौंपी गई है। वहीं न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. सुनील कुमार केजीएमयू छोड़ चुके हैं। किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉ. मनमीत सिंह व गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. साकेत कुमार, डॉ. जोशी के जाने से अंग प्रत्यारोपण का काम प्रभावित है। अस्पताल प्रबंन विभाग के डॉ. यूबी मिश्र ने केजीएमयू छोड़ दिया। एनाटॉमी के डॉ. नवनीत कुमार व प्लास्टिक सर्जरी के डॉ. विजय कुमार को राजकीय कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया। यह पद भी खाली पड़े हैं। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके सिंह को अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया जा चुका है। इसके अलावा सीवीटीएस विभाग के डॉ. विजयंत राजन समेत तमाम विभागों से डॉक्टर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। कई विभाग में एक ही फैकल्टी है। लिहाजा, मरीजों का हाल बेहाल है।

वहीं इस मामले पर केजीएमयू के प्रवक्‍ता डॉ सुधीर स‍िंह ने कहा क‍ि डॉक्टरों का संस्थान छोड़ने का फैसला निजी है। संकाय सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही विभागों में डॉक्टरों की कमी पूरी हो जाएगी।  


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