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KGMU भर्ती घोटाला: छह कर्मचारियों को नोटिस, साल 2004-05 में 94 पदों पर हुआ था घपला

कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दो दिन के अंदर जवाब मांगा गया है। विज्ञापन से लेकर नियुक्तियों तक में तमाम गड़बडिय़ां पाई गईं। मामले की जांच करवाने के निर्देश दिए गए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 11:32 AM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 11:32 AM (IST)
KGMU भर्ती घोटाला: छह कर्मचारियों को नोटिस, साल 2004-05 में  94 पदों पर हुआ था घपला
KGMU भर्ती घोटाला: छह कर्मचारियों को नोटिस, साल 2004-05 में 94 पदों पर हुआ था घपला

लखनऊ(जेएनएन)। केजीएमयू में 2004-05 में कर्मचारियों के 94 पदों पर हुई भर्ती के मामले में छह कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है। रजिस्ट्रार राजेश कुमार राय की ओर से कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दो दिन के अंदर जवाब मांगा गया है। नियुक्तियों में घपला हुआ था और तत्कालीन मंडलायुक्त प्रशांत त्रिवेदी की जांच रिपोर्ट पर कार्यपरिषद ने कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे, लेकिन प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की राजभवन व शासन में दोबारा  शिकायत होने के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया है।

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केजीएमयू में वर्ष 2004-05 में कर्मचारियों के 94 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। विज्ञापन से लेकर नियुक्तियों तक में तमाम गड़बडिय़ां पाई गईं। मामले की जांच करवाने के निर्देश दिए गए। तत्कालीन मंडलायुक्त प्रशांत त्रिवेदी ने इसकी जांच की तो 28 अगस्त 2012 में इसे कार्यपरिषद में रखने के निर्देश दिए और वर्ष 2013 में कार्यपरिषद में इसे रखकर दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। इसके बाद से लेकर आज तक कार्रवाई नहीं हुई। मामले की दोबारा शिकायत होने के बाद रजिस्ट्रार राजेश कुमार राय की ओर से उन कर्मचारियों को नोटिस जारी की गई है,  जो वर्ष 2013 में मीटिंग सेक्शन में तैनात थे। नोटिस का जवाब दो दिन में देना होगा।

रजिस्ट्रार की कार्रवाई पर उठे सवाल

रजिस्ट्रार राजेश कुमार राय द्वारा कर्मचारियों को नोटिस जारी किए जाने के मामले में सवाल भी खड़े हो रहे हैं। लिपिक के 16 पदों के सापेक्ष 254 अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए गए, जबकि नियम के अनुसार 160 अभ्यर्थियों को बुलाना चाहिए था, जाहिर है कि नीचे की मेरिट वालों को लाभ देने के लिए यह किया गया। इसी तरह सफाई निरीक्षक के चार पदों के सापेक्ष 200 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। यानी गड़बड़ी हुई। अब सवाल यह उठता है कि इसके जिम्मेदार अधिकारियों जैसे तत्कालीन रजिस्ट्रार आदि पर कार्रवाई के लिए पत्र क्यों नहीं लिखा गया?


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