सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग आप को बना रहा है मनोरोगी
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण ने केजीएमयू के प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी को कार्यालय में आमंत्रित किया। इस दौरान डॉ. आदर्श ने लोगों को जागरूक किया।
लखनऊ, जेएनएन। दौड़-धूप भरी जिंदगी में डिप्रेशन आम होता जा रहा है। लोग जरा-जरा सी बात पर गुस्सा करते हैं और कई बार तो अपना जीवन ही खत्म कर लेते हैं। सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग और जिंदगी में सफल होने का दबाव युवाओं पर भी खराब असर डाल रहा है। वह मनोरोग की ओर बढ़ रहे हैं। दैनिक जागरण ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) के मौके पर पाठकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी व निराकरण के लिए प्रश्न पहर कार्यक्रम आयोजित किया। केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने पाठकों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया।
टीवी व सोशल मीडिया से पैरेंटिंग खतरनाक
आजकल एकल परिवार बढ़ रहे हैं। इसमें भी मम्मी-पापा दोनों नौकरी करते हैं। ऐसे में बच्चे की पैरेंटिंग टीवी व सोशल मीडिया से हो रही है। जो धारावाहिक बन रहे हैं या सोशल मीडिया पर जो कुछ परोसा जा रहा है उसमें कंज्यूमर का हित नहीं देखते। बच्चे मोबाइल पर दिनभर गेम्स खेलते हैं या कुछ भी देखते रहते हैं। ऐसे में उनके अंदर गुस्सा व हिंसा बढ़ रही है। वह थोड़ा बड़े होते हैं तो सोचते हैं कि जो उन्हें पसंद है वही करें। मन की बात पूरी न होने पर वह हत्या तक कर देते हैं। ऐसे में अभिभावक बच्चे पर बहुत ध्यान दें।
न बनाएं सफल होने का दबाव
मस्तिष्क की बुद्धिमत्ता नौ तरह से देखी जाती है। इसमें पढऩे-लिखने के अलावा खेलने, डांस करने, कला बनाने आदि की भी बुद्धिमत्ता को परखना चाहिए। बच्चा इनमें से किसी एक में बेहतर हो सकता है। मगर अपने यहां सिर्फ पढ़ाई-लिखाई में ही अच्छा होने को सफलता की गारंटी माना जाने लगा है। इससे बच्चे पर मानसिक दबाव बढ़ता है।
कम करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल
डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि तनाव भरी जिंदगी और बदलती लाइफ स्टाइल के कारण लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। जिंदगी में सफल होने के बढ़ते दबाव के बीच सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग मनोरोग की ओर धकेल रहा है। युवा सबसे ज्यादा डिप्रेशन में इन्हीं कारणों से रहते हैं। उनमें एकाग्रता में कमी के कारण जरूरी बातें भूलने की समस्या बढ़ रही है। बिना बात के वह घबराते हैैं। इसका कारण ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसआर्डर (ओसीडी) और डिस्ट्रेक्शन है यानी आप भूतकाल व भविष्यकाल में खोए हुए है। ऐसे में खुशहाल जिंदगी चाहते हैं तो आप वर्तमान में जीना सीख लें। गुटखा, तंबाकू, शराब व अन्य तरह के किसी भी नशे से दूर रहें और रिलेक्सिंग एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल करें। इससे मन-मस्तिष्क स्वस्थ रहेगा और मानसिक बीमारियां नहीं होंगी।
प्रश्न : मुझे बेवजह डर लगता है और जरूरी चीजें भूल जाता हूं, क्या करूं? नौशाद बेग, गोंडा
उत्तर : अपनी सोच बदलें, क्योंकि आप ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसआर्डर (ओसीडी) से ग्रस्त हैं। आप भविष्य की चिंता करते हैं और भूतकाल में जो बीत गया है उसे सोचा करते हैं। मन के विचारों में असंतुलन हैं, जिसके चलते चीजें भूल जाते हैं। वर्तमान में जीना सीखें सबकुछ ठीक हो जाएगा।
प्रश्न : मैं एक बार ट्रेन की भीड़ में फंस गया था, तब से भीड़ देखकर डरता हूं और तेज म्यूजिक से घबराहट होती है? चंद्रभान कश्यप, लखनऊ
उत्तर : आपको एगोरा फोबिया हो गया है। आप जो सोचते हैं वह विचार और भावना शरीर को प्रभावित करती है। खराब अनुभव के कारण हमेशा ऐसा होगा यह न सोचें। डर का सामना करने की हिम्मत रखें। अपनी सोच को बदलेंगे तो इन खराब भावनाओं की तीव्रता कम हो जाएगी।
प्रश्न : मेरे एक-दो विषय में नंबर कम हैं, इससे मम्मी-पापा नाराज रहते हैं। मैं डिप्रेशन के कारण कुछ नहीं कर पा रहा ? विवेक श्रीवास्तव गोंडा
उत्तर : जीवन के अनुभव मानसिक भावनाओं को प्रभावित करते हैं। आप अपनी सोच को बदलें और बेहतर करने की कोशिश में जुटें। अगर कोई विषय कमजोर है तो अच्छा टीचर ढूंढ़ लें। उदासी को मन पर हावी न होने दें।
प्रश्न : मैं पहले कवि सम्मेलन में दस-दस कविताएं बिना कागज देखे पढ़ लेता था। अब भूल जाता हूं, क्या करूं? हामिद लखनवी, लखनऊ
उत्तर : आपका वर्तमान पर फोकस नहीं हैं। फिर आप दिनभर में दस गुटखा भी खाते हैं। इसे कम करें। डिस्ट्रेक्शन यानी ध्यान वर्तमान पर न देने से यह समस्या होती है। क्या हो चुका है और क्या होगा यह भूल जाएं। वर्तमान पर ध्यान दें।
प्रश्न : मेरे सिर में दर्द रहता है, चिड़चिड़ापन भी महसूस होता है। जॉब के कारण डिप्रेशन में हूं? भावना, लखनऊ
उत्तर : कई बार तनाव के असर से ऐसा होता है। सारे जीवन में परिस्थितियां मन के मुताबिक होंगी, ऐसा नहीं होता। आपको टेंशन टाइप हेडेक हो गया। ऐसे में आप ब्रेन स्टार्मिंग करें। इसमें पेपर पेंसिल मैथेड अपनाया जाता है। समस्या के समाधान के कई तरीके कागज पर लिखें जो सही हैं और जो खराब हैं वह सब। इसके बाद सोचें कि कौन सा तरीका अपनाना सही होगा। इससे इंटरलाइजिंग सिस्टम पर असर पड़ता है। जो व्यवहार पर खराब प्रभाव डालता है। ऐसे में यह सोचें कि मैं खुश रह सकती हूं।
प्रश्न : मेरे पिता की मौत के बाद मां काफी परेशान हैं। वह अजीब बातें करती हैं, क्या करूं? पीके श्रीवास्तव, लखनऊ
उत्तर : आपकी मां की उम्र 76 वर्ष है। उन्हें डिमेंशिया हो गया है। पिता की मौत के बाद उन्हें बिहेवियर साइकोटिक की समस्या हो गई है। किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
प्रश्न : मेरो बेटा 17 साल का है पिछले एक हफ्ते से वह अनाप-शनाप कुछ भी कहता रहता है और कपड़े उतारकर फेंक देता है? महादेव तिवारी, गोंडा
उत्तर : यह लक्षण साइकोसिस या मेनिया के हैं। आप उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। अच्छे एक्सपर्ट की सलाह से इसका इलाज शुरू करवाएं तभी यह ठीक होगा।