KGMU: सीएम-पीएम फंड के गरीब मरीजों से वसूला जा रहा जांच शुल्क
ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर में सीएम-पीएम फंड का विकल्प गायब होने से नहीं हो रही कैशलेस जांच।
लखनऊ, [आशीष त्रिवेदी]। केजीएमयू में सीएम-पीएम फंड के तहत जिन गरीब मरीजों की पैथोलॉजी जांचें निश्शुल्क होनी चाहिए, उनसे शुल्क वसूला जा रहा है। यह कारनामा विभाग ई हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर में सीएम-पीएम फंड का विकल्प गायब होने की आड़ में कर रहे हैं। जो जांचें इस सॉफ्टवेयर में दिए गए विकल्प के आधार पर कैशलेस होनी चाहिए वह नहीं हो पा रहीं। कैशलेस जांच न होने पर गरीब मरीजों से विभाग शुल्क वसूल रहे हैं। शिकायतें सामने आने के बाद चिकित्सा अधीक्षक द्वारा सभी विभागों को पत्र जारी कर नाराजगी जताई गई है।
केजीएमयू में विभिन्न विभागों में भर्ती ऐसे मरीज जिनका इलाज सीएम राहत कोष व पीएम राहत कोष के फंड से किया जा रहा है, उन्हें भी पैथोलॉजी जांच के नाम पर जेब ढीली करनी पड़ रही है। आमतौर पर ई हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर के माध्यम से कैशलेस जांचें होती हैं। यह बिल्कुल निश्शुल्क होती हैं। मगर पिछले कई महीनों से सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी उत्पन्न हो गई है। यह गड़बड़ी जानबूझकर की गई है या फिर नहीं लेकिन इसकी आड़ में बड़ा खेल हो है। मरीजों से जांच शुल्क लेकर करवाई जा रही हैं और उनका ब्योरा भी ढंग से नहीं दिया जा रहा। दरअसल, सरकार द्वारा सीएम व पीएम फंड के माध्यम से गरीब मरीजों का निश्शुल्क इलाज व जांचें होती हैं। इसके लिए हर साल बजट जारी किया जाता है।
विभाग केजीएमयू को ब्योरा देते हैं कि उनके यहां इस मद से कितने मरीजों ने लाभ उठाया। उसके बाद केजीएमयू प्रशासन विभागों के खाते में इलाज पर खर्च की गई रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। जो ई हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन होता है। मगर ई हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी से यह खेल हो रहा है।
दो साल पहले ही ऑनलाइन हो गया था सीएम-पीएम फंड
केजीएमयू की ई-हॉस्पिटल सुविधा 16 नवंबर 2016 को पूरी तरह लागू हो गई थी। इसमें सभी विभागों को निर्देश दिए गए थे कि वह दवाएं तक ऑफलाइन न लिखें। सीएम-पीएम फंड भी ऑनलाइन हो गया था।