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बच्चों को स्मार्ट फोन देना है खतरनाक, झेलनी पड़ सकती है पैरेंट्स को ये दिक्कत

पहली बार इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी ने बनाई गाइड लाइन। किशोरों को भी एक हफ्ते में पांच घंटे ही मोबाइल का प्रयोग करने दें। बिहैवियरल एडिक्शन से हो रहे सुसाइड।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 12:59 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 06:50 PM (IST)
बच्चों को स्मार्ट फोन देना है खतरनाक, झेलनी पड़ सकती है पैरेंट्स को ये दिक्कत
बच्चों को स्मार्ट फोन देना है खतरनाक, झेलनी पड़ सकती है पैरेंट्स को ये दिक्कत

लखनऊ, जेएनएन। छोटे बच्चों को रोने से रोकने और बहलाने के लिए स्मार्ट फोन देना आपके लिए महंगा पड़ सकता है। बच्चे को दो साल की उम्र से पहले स्क्रीन एक्सपोजर नहीं होना चाहिए। यहां तक की किशोर व किशोरियों को भी हफ्ते में अधिकतम पांच घंटे ही स्मार्ट फोन पर सोशल मीडिया का प्रयोग करना चाहिए। इससे उनका बौद्धिक विकास बाधित हो रहा है।

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डिजिटल मीडिया जिसमें मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर आदि शामिल हैं उसके प्रयोग की गाइड लाइन पहली बार इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी ने तैयार की है। यह जानकारी इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री के एडिटर डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने दी। वह गुरुवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 71 वीं नेशनल कांफ्रेंस ऑफ इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी में संबोधित कर रहे थे। इस नेशनल कांफ्रेंस में भारत व 14 देशों के करीब तीन हजार मनोचिकित्सक हिस्सा ले रहे हैं। 

डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि अधिकतम हफ्ते में छह घंटे ही स्मार्ट फोन का प्रयोग करना चाहिए। भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण किशोरावस्था में सुसाइड है और यह बिहैवियरल एडिक्शन (व्यवहार में लत) होने के कारण हो रहा है। स्मार्ट फोन की लत से बच्चों के बौद्धिक विकास पर खराब असर पड़ रहा है। यही नहीं तनाव, डिप्रेशन, एंजाइटी व एग्रेशन (आक्रमकता) बढ़ रही है।

आगे बढ़कर युवाओं का करियर भी इससे तबाह हो रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं व पुरुषों को भी हफ्ते में अधिकतम छह घंटे ही स्मार्ट फोन का प्रयोग करना चाहिए। खासकर गृहणियां और ऐसे पुरुष जो कामकाजी नहीं हैं। क्योंकि इससे वह समाज से पूरी तरह कटते जा रहे हैं और डिप्रेशन का शिकार बन रहे हैं। यही कारण है कि पहली बार इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी द्वारा गाइड लाइन तैयार की गई है। इसमें बच्चों से लेकर बड़े लोगों तक को हफ्ते में पांच से छह घंटे ही डिजिटल मीडिया का प्रयोग करना चाहिए। 

विकसित देशों से ज्यादा मोबाइल पर समय दे रहे भारतीय 

डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि विकसित देशों से ज्यादा भारत के लोग स्मार्ट मोबाइल फोन पर समय खपा रहे हैं। प्रति व्यक्ति प्रति घंटा मोबाइल फोन प्रयोग के मामले में हम अमेरिका, ब्रिटेन, जापान जैसे देशों से आगे हैं।


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