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KBC-12 Season : KBC की हॉटसीट पर अमिताभ बच्‍चन ने जाना पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का दर्द, समर्पित की ये पक्तियां

KBC-12 Season मजबूत आत्मविश्वास और बेटी होने का गर्व लिए हुए अरुणिमा आज भी दुर्गम पर्वत चोटियों को फतह करने के अपने अभियान को आगे बढ़ा रहीं हैं। वह शो में जीतने के बाद धनराशि दान करेंगी। उनका कहना है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते रहें।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 02:24 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 06:21 AM (IST)
KBC-12 Season : KBC की हॉटसीट पर अमिताभ बच्‍चन ने जाना पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का दर्द, समर्पित की ये पक्तियां
अरुणिमा सिन्हा ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर विश्व भर में भारत का मान बढ़ाया था।

लखनऊ, जेएनएन।  KBC-12 Season : चलने वाले राह में, रुकना न हार के। यह पंक्तियां पर्वतारोही (माउंटेनियर) अरुणिमा सिन्हा पर एकदम मुफीद बैठती हैं। जी हां, दुर्गम पहाड़ियों की चोटियों पर तिरंगा लहरा चुकी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा आज (11 दिसंबर) टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति की कर्मवीर एपिसोड में महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट हैं। ये वही दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर विश्व भर में भारत का मान बढ़ाया था। जिसके बाद अरुणिमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

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मजबूत आत्मविश्वास और बेटी होने का गर्व लिए हुए अरुणिमा आज भी दुर्गम पर्वत चोटियों को फतह करने के अपने अभियान को आगे बढ़ा रहीं हैं। वह शो में जीतने के बाद धनराशि दान करेंगी। उनका कहना है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते रहें, सफलताएं आपकी कदम चूमेगी। अरुणिमा की इस उपलब्धि पर हर वर्ग के लोगों ने खुशी जाहिर की है।

 

23 की उम्र में खोया पैर, 25 में एवरेस्ट फतह 

दिव्यांग होने से पहले अरुणिमा भारतीय वालीबाल टीम की सदस्य थीं और 11 अप्रैल 2011 में जब लखनऊ से दिल्ली पद्मावती एक्सप्रेस से लौट रही थी, तो उसे अकेला पाकर बदमाशों ने उनके गले से सोने की चेन लूटने की कोशिश की। अरुणिमा ने बदमाशों के दुस्साहस का विरोध किया, तो अरुणिमा को ट्रेन से नीचे फेंक दिया गया, दूसरी ओर से आती एक ट्रेन के नीचे आने से अरुणिमा का बायां पैर तो घुटने से नीचे कट गया था और दायें पैर की कई हड्डी टूट गई थी। ट्रैक पर बुरी तरह घायल पड़ा कोई भी इंसान ऐसी अवस्था में जीने की आशा ही छोड़ दे, पर जिजीविषा की मिसाल अरुणिमा ने हौसलों को समेटा और बेहतर इलाज के बाद कृत्रिम अंग के सहारे फिर से खड़ी हुई। चूंकि पैर क्षतिग्रस्त हो चुके थे, ऐसे में अरुणिमा का वालीबाल करियर तो खत्म हो गया, पर अपने साहस को खत्म नहीं होने दिया।

इस दर्दनाक हादसे के बाद अरुणिमा ने जिंदगी को और मजबूती के साथ जीने का साहस किया। उन्‍होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जो औरों के लिए भी नजीर हो। महज दो साल बाद 2013 में अरुणिमा ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर विश्व रिकॉर्ड कीर्तिमान बनाया। यह वह समय था जब अरुणिमा ने महज 23 साल की उम्र में अपने पैर खो दिए थे। 25 साल की उम्र में विश्व स्तरीय माउंटेनियर बनकर उभरीं।

शो के दौरान अमिताभ ने अरुणिमा से पूछा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना कोई आम बात तो है नहीं, कितने लोगों ने प्रयास किया होगा, हार मानी होगी, पर आपने इस अवस्था में चढ़कर दिखाया उसके बारे में क्या कहेंगी? इस पर अरुणिमा ने कहा- ''अस्पताल के बेड पर थी और न्यूज पेपर आ रहे थे। फ्रंट पेज देखा तो उसपर लिखा था कि अरुणिमा के पास टिकट नहीं था। टीटी ने टिकट मांगा तो अरुणिमा कूद गई। अगले दिन देखा तो उसपर लिखा था कि अरुणिमा सुसाइड के लिए गई थी। उसी पेपर पर स्‍पोट्स पेज पर (माउंटेनिंग का एक आर्टिकल था। उसमें दिए रूट्स पढ़ें। फिर मन में डिसाइड किया कि जिसको लोंग मेरी सबसे बड़ी कमजोरी बोल रहे अब उसी को हथि‍यार बनाना है। ''

इस पर महानायक अमिताभ बच्चन ने पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता की कुछ पंक्तियां समर्पित करते हुए कहा - 

तू न थकेगा कभी,

तू न रुकेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी,

कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।


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