रायबरेली के कस्तूरबा गांधी विद्यालयों को मिला 16 करोड़ का बजट, शिक्षिकों व कर्मचारियों को मिला छह महीने का मानदेय
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में आर्थिक संकट रोड़ा नहीं बन सकेगा। शिक्षण व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए बजट आवंटित कर दिया गया है। वार्डेन समेत सभी कर्मियों के बकाया छह महीने के मानदेय के साथ ही दो महीने के खाद्यान्न के लिए बजट जारी कर दिया गया है।
रायबरेली, जागरण संवाददाता। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में आर्थिक संकट रोड़ा नहीं बन सकेगा। शिक्षण व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए बजट आवंटित कर दिया गया है। वार्डेन समेत सभी कर्मियों के बकाया छह महीने के मानदेय के साथ ही दो महीने के खाद्यान्न के लिए बजट जारी कर दिया गया है। इसके लिए करीब 16.77 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे अब आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी। जिले में 16 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय हैं। इनमें बालिकाओं के ठहरने व पढ़ाई के इंतजाम हैं।
प्रत्येक विद्यालय में सौ-सौ छात्राओं की संख्या है। नए सत्र 2021-22 का संचालन होने के बाद से अबतक मानदेय का भुगतान नहीं मिला। इन विद्यालयों में वार्डेन समेत 172 का स्टाफ है। शासन से मानदेय के लिए 16.20 करोड़ रुपये भेज दिए गए हैं। वहीं, दो महीने के खाद्यान्न के लिए 57.60 लाख रुपये का बजट आया है। गौरतलब है कि प्रत्येक विद्यालय को खाद्यान्न के लिए हर महीने 1.80 लाख का बजट निर्धारित है। ऐसे में दो महीने के 3.60 लाख रुपये भेज दिए गए हैं।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों पर एक नजर
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय1600
अध्ययनरत छात्राएं 172
शिक्षक और कर्मी 1.80 लाख
प्रत्येक विद्यालय में एक महीने के खाद्यान्न का बजट 16.20 करोड़
छह महीने के मानदेय का बजट 57.60 लाख
छह महीने से 6350 रसोइयों को मानदेय का इंतजार: जिले के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए रसोइया पूरी लगन से दोपहर का भोजन तैयार कर रही हैं। इसके बावजूद छह महीने से फूटी कौड़ी उन्हें नहीं मिली। आर्थिक तंगी से जूझ रही रसोइयों के सामने अब खाने के लाले पड़ गए हैं। जिले के परिषदीय विद्यालयों में इनकी संख्या 6350 है। विभिन्न संगठनों द्वारा आवाज भी उठाई गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जिला समन्वयक विनय तिवारी का कहना है कि मानदेय के लिए पत्राचार किया गया है।
बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कस्तूरबा विद्यालयों में तैनात स्टाफ के छह महीने का मानदेय और दो महीने के खाद्यान्न के बजट का भुगतान हो गया है। इससे आर्थिक समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। रसोइयों को मानदेय दिलाने के लिए बजट की मांग की गई।