Kashi Tamil Sangamam के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे भाषाई एकता का अनूठा प्रयास
तमिलों को काशी में अपनापन महसूस होता है तो इसलिए कि यहां पर बहुत पुराने समय से उनका आना रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप सामने आने के बाद पूरे देश से यहां आने वालों की उत्कंठा तीव्र हुई है।
लखनऊ,हरिशंकर मिश्र। काशी से पूरे देश को संदेश जाता है और गंगा को साक्षी रखते हुए यहां जब काशी-तमिल संगमम् की शुरुआत हुई तो मानो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को भी संदेश मिल गया कि आप भाषा पर कितनी भी राजनीति करो, लोगों के मन में भेद पैदा नहीं किया जा सकता। जिस हिंदी का वह विरोध करते हैं, उसमें रची-बसी काशी से तमिलों का न केवल सांस्कृतिक-आध्यात्मिक रिश्ता है, बल्कि उनके लिए यह विषय ही महत्वहीन है।
काशी-तमिल संगमम् के बहाने वाराणसी ने इस बार अपने दायरे को भी विस्तार दिया है। तमिल काशी में हमेशा से आते रहे हैं, परंतु इस बार उनके कदम प्रयागराज और अयोध्या की ओर भी हैं। तीनों प्राचीन नगरों का यह त्रिकोण आने वाले दिनों में धार्मिक पर्यटन की नई गाथा कहता दिखाई दे सकता है। प्रयागराज में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम और अयोध्या में राममंदिर आकर्षण का केंद्र हैं ही। काशी और तमिलनाडु दोनों भावनात्मक रूप से शिव से सीधे जुड़े हुए हैं और इसीलिए संगमम् के एक-एक कार्यक्रम में धर्म और संस्कृति की ध्वजा अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ शीर्ष पर फहराती नजर आई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका उद्घाटन करके ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और मजबूती दी तो भाषा की राजनीति करने वालों को सीधा जवाब भी दिया। यह काशी का अपना प्रभाव है कि वह अपने संस्कारों, संस्कृति और सरोकारों के साथ लोकमानस में मजबूती से प्रतिबिंबित होता है। तमिलनाडु से आए नौ शैव पीठों के आधीनम (धर्माचार्य) का वंदन भी सनातन आस्था को आलोकित करता नजर आया।
बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के शोध ने काशी और तमिलनाडु के रिश्तों को और गहरे पारिभाषित कर भविष्य में इस संबंध के और मजबूत होने की आधारशिला रख दी। उनके शोध के अनुसार काशी और तमिलनाडु के लोगों के बीच आनुवांशिक समानता भी मिली है। दोनों क्षेत्रों के लोगों के डीएनए भी एक ही जैसे हैं। यह डीएनए संस्कृतियों में भी देखा जा सकता है।
काशी-तमिल संगमम् के तहत तमिलनाडु से एक माह तक छात्र, शिक्षक, विज्ञानी, कलाकार, शिल्पी आदि समूहों में आते रहेंगे और यहां के विद्वानों से विचार विनिमय करेंगे। उत्तर-दक्षिण के सार्थक मिलन के रूप में इसे देखा जा सकता है तो राजनीतिक निहितार्थ भी खोजे जा सकते हैं। दक्षिण के लोग प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में आएंगे तो भाजपा को वहां राजनीतिक आधार बनाने में मदद मिलेगी। द्रमुक और अन्नाद्रुमुक जैसे क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व से घिरे तमिलनाडु में अपनी पैठ बनाने के लिए कुछ अलग करना जरूरी है और काशी इसके लिए उपयुक्त स्थान है।
तमिल अपनी भाषा, परंपरा, संस्कृति और नृत्य-संगीत के लिए आग्रही होते हैं और उन्हें सम्मान देकर उनके दिल में जगह बनाई जा सकती है। आने वाले दिनों में तमिलनाडु और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं और संगमम् के बहाने भाजपा को वहां प्रवेश का रास्ता मिल सकता है। यह अनायास नहीं था कि संगमम् के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री जब हवाईअड्डे पर उतरे तो दक्षिण भारतीय वेशभूषा में थे और उन्होंने नमस्कार की जगह ‘वणक्कम’ कहकर लोगों का अभिवादन किया।
काशी में आयोजित संगमम् तो शुरुआत भर है। भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जो देश में सांस्कृतिक-धार्मिक समन्वय को बढ़ाएंगे। इसका कैलेंडर तैयार किया जा रहा है। इसके आर्थिक पहलू भी हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से होटल उद्योग जैसे व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा। केवल काशी नहीं, अयोध्या और प्रयागराज भी इससे लाभान्वित होंगे। दक्षिण भारत का कुंभ कहा जाने वाला तेलुगु समाज का मेला ‘पुष्करम’ भी इस बार काशी में ही लगने जा रहा है। अप्रैल में इसका आयोजन होगा। इस बार काशी का आकर्षण अलग ही है और श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी से अधिक होगी।
तमिलों को काशी में अपनापन महसूस होता है तो इसलिए कि यहां पर बहुत पुराने समय से उनका आना रहा है। केदारघाट से हनुमान घाट के बीच में दक्षिण टोला बसा हुआ है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप सामने आने के बाद पूरे देश से यहां आने वालों की उत्कंठा तीव्र हुई है। ऐसे में तमिल-काशी संगमम् जैसे आयोजनों का मंच बड़ा हो जाता है और मंच से जब प्रधानमंत्री मोदी भाषाई एकता का संदेश देते हैं तो उसके अर्थ और गहरे होते हैं। इसमें यह निहित होता है कि भले ही कुछ क्षेत्रों में भाषा की राजनीति हो, परंतु हिंदी के समावेशी स्वरूप के कारण इसके विरोधियों का राजनीतिक हित साध पाना संभव नहीं है।
[वरिष्ठ समाचार संपादक, उत्तर प्रदेश]