Karthik Purnima 2020 : श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, सुरक्षा के चलते भीड़ रही कम
Karthik Purnima 2020 कोरोना संक्रमण का दिखा असर गंदगी भी रहा कारण। कुड़ियाघाट पर पिछले साल के मुकाबले स्नान करने वालों की संख्या कम रही। कोरोना संक्रमण के साथ ही गंदगी होने से भी लोग स्नान करने नहीं आए।
लखनऊ, जेएनएन। Karthik Purnima 2020 : कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान कर दान पुण्य करने की सनातन परपंरा का निर्वहन अभी भी किया जाता है। कोरोना संक्रमण के भय के बीच सोमवार को राजधानी की आदि गंगा गोमती के घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और गरीबों को दान दिया। कुड़ियाघाट पर पिछले साल के मुकाबले स्नान करने वालों की संख्या कम रही। कोरोना संक्रमण के साथ ही गंदगी होने से भी लोग स्नान करने नहीं आए।
झूलेलाल घाट के साथ ही संझिया व अग्रसेन घाट पर भी लोगों ने स्नान किया। लक्ष्मण मेला घाट के अलावा खदरा के शिव मंदिर घाट ओम ब्राह्मण समाज के धनंजय द्विवेदी ने स्नान कर आदि गंगा गोमती को निर्मल व स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया। कार्तिक पूर्णिमा से करीब डेढ़ महीने तक लगने वाला ऐतिहासिक कतकी मेला नहीं लगा।
गंगा स्नान के बाद महिलाएं सामानों की खरीदारी करती हैं। करीब 400 साल से चली आ रही मेले की परंपरा इस बार कोरोना संक्रमण की भेट चढ़ गई। पहले डालीगंज पुल से मूंगफली मंडी तक मेला लगता था जो चार साल पहले मनकामेश्वर उपवन घाट और फिर झूलेलाल घाट पर पिछले तीन साल से लग रहा था। इस बार मेला नहीं लगा।
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि कार्तिक मास की पूर्णिमा सूर्योदय के पहले से ही लग गई। रोहिणी और सर्वार्थ सिद्धि होने से पूर्णिमा खास हो गई। दान पुण्य का विशेष योग होने से लोगों ने स्नान के बाद दान किया। मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुर नामक असुर का वध कार्तिक पूर्णिमा को ही किया था और श्री विष्णु जी का मत्स्य अवतार भी इसी दिन को हुआ था। इस दिन दान का विशेष पुण्य मिलता है।