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कारगिल विजय दिवस: मेहर सिंह ने छह पाकिस्तानी मारे तो कैप्टन बत्र बोले-ये दिल मांगे मोर Lucknow News

कारगिल में विजय हासिल करने वाले मश्कोह सेवियर बने लखनऊ के जांबाज मेजर रीतेश शर्मा की कहानी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 01:39 PM (IST)
कारगिल विजय दिवस: मेहर सिंह ने छह पाकिस्तानी मारे तो कैप्टन बत्र बोले-ये दिल मांगे मोर Lucknow News
कारगिल विजय दिवस: मेहर सिंह ने छह पाकिस्तानी मारे तो कैप्टन बत्र बोले-ये दिल मांगे मोर Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। फिल्म एलओसी कारगिल में कैप्टन विक्रम बत्र का किरदार निभाते हुए अभिषेक बच्चन ने ‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर प्वाइंट 5140 पर विजय हासिल करने का सिग्नल दिया था। इस चोटी को जीतने के लिए राइफलमैन मेहर सिंह ने पराक्रम का परिचय दिया। इन दिनों कैप्टन विक्रम बत्र की यूनिट 13 जम्मू व कश्मीर राइफल्स मध्य कमान आ गई है।

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युद्ध में वीरचक्र हासिल करने वाले नायब सूबेदार मेहर सिंह की यूनिट 1999 में सोपोर में तैनात थी। ब्रिगेड कंमाडर ने अचानक यूनिट को कारगिल युद्ध में शामिल होने का आदेश दिया। छह कमांडिंग ऑफिसर का सैनिक सम्मेलन 12 जून को हुआ तो पता चला कि हमको तोलोलिंग के आगे प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करना है। यूनिट द्रास पहुंची तो कैंप पर पाकिस्तान की आर्मी ने भारी आर्टी फायर किया। मेहर सिंह बताते हैं कि पत्थरों की आड़ में सारी रात गुजारी। हमारी ए और बी कंपनी अपने टास्क को पूरा कर आगे बढ़ चली तो कमांडिंग ऑफिसर ले. कर्नल योगेश कुमार जोशी ने हमारे कंपनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्र को प्वाइंट 5140 पर कब्जा करने का निर्देश दिया।

कंपनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्र ने कंपनी को एकत्र किया और कहा कि डेल्टा कंपनी के बहादुर जवानों आज यह मौका आ गया है, जिसका हमें इंतजार था। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए हमें खून भी बहाना पड़े तो भी हमारी डेल्टा कंपनी प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करेगी। हमने 19 जून 1999 सुबह चार बजे तोलोलिंग पहाड़ी से चढ़ना शुरू किया। एक सेक्शन को लेकर मेहर सिंह पाकिस्तानी बमबारी के बीच रात भर चलते हुए सुबह चार बजे दुश्मन के बंकर तक पहुंचे और बंकर में मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों पर दुर्गे मां की जयकार बोलते हुए टूट पड़े। दुश्मन के साथ गुत्थम -गुत्था की लड़ाई हुई। पाकिस्तानी आर्मी के छह सैनिकों को मारकर प्वाइंट 5140 पर कब्जा किया। पोस्ट पर कब्जा करने का मैसेज कैप्टन विक्रम बत्र ने ले. कर्नल वाइके जोशी को ये दिल मांगे मोर कहकर दिया।

रीतेश शर्मा लामार्टीनियर कॉलेज से पढ़ाई के बाद नौ दिसंबर 1995 को सेना में अफसर बने। वह 30 मई 1999 को 15 दिनों की छुटटी के लिए घर आए थे। इस बीच सूचना मिली कि जाट रेजीमेंट के जवानों की पेट्रोलियम टुकड़ी की कारगिल में कोई खोज खबर नहीं मिली है। मेजर रीतेश अपनी 17 जाट रेजीमेंट पहुंच गए।

मेजर रीतेश ने चोटी संख्या 4875 पर तिरंगा लहराने के बाद ¨पपल एक व ¨पपल दो पर भी तिरंगा लहराया। छह व सात जुलाई की मध्य रात्रि मश्कोह घाटी में पाकिस्तान की ओर से भीषण गोलीबारी हुई।

इसमें मेजर शर्मा तो घायल हो गए लेकिन मेजर शर्मा ने अपनी कमान सेकेंड इन कमांड कैप्टन अनुज नैयर को सौंपी। कैप्टन नैयर शहीद हुए और उनकी 17 जाट रेजीमेंट ने मश्कोह घाटी में तिरंगा लहरा दिया। उनकी यूनिट को इसके लिए मश्कोह सेवियर के खिताब से नवाजा गया। कारगिल युद्व के बाद 25 सितंबर 1999 को कुपवाड़ा में आतंकी ऑपरेशन के दौरान वह घायल हो गए और नार्दर्न कमांड अस्तपाल में छह अक्टूबर को उन्होंने अंतिम सांस ली।


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