कांशीराम की जयंती पर BSP मुखिया मायावती बोलीं- कड़वा रहा अनुभव, अकेले लड़ेंगे 2022 का विधानसभा चुनाव
KanshiRam Birth Anniversary मायावती ने कहा कि बसपा पश्चिम बंगाल केरल तमिलनाडु व पुडुचेरी में अकेले अपने बूते पर ही लड़ रही है। यूपी में भी पार्टी अकेले पंचायत और विधानसभा चुनाव लड़ेगी। हम अंदर ही अंदर तैयारी में लगे हैं और अच्छा रिजल्ट दिखाएंगे।
लखनऊ, जेएनएन। धुर विरोधी समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी ने उससे दूरी तो चुनाव के तुरंत बाद ही बना ली थी, लेकिन पार्टी की मुखिया मायावती अब बार-बार गठबंधन से तौबा किए जा रही हैं। बसपा संस्थापक कांशीराम की 87वीं जयंती पर उन्होंने दोहराया कि बसपा अब अकेले ही चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन के साथी को तो उनका वोट ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन दूसरी पार्टी बसपा को अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती। इसलिए, अब किसी दल से बसपा का गठबंधन नहीं होगा।
पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में कांशीराम को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के बाद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पत्रकारों से रूबरू हुईं। उन्होंने कहा कि बसपा पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु व पुडुचेरी में अकेले अपने बूते पर ही लड़ रही है। यूपी में भी पार्टी अकेले पंचायत और विधानसभा चुनाव लड़ेगी। हम अंदर ही अंदर तैयारी में लगे हैं और अच्छा रिजल्ट दिखाएंगे।
इससे भाजपा को फायदा होने के सवाल पर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि हम यह नहीं देखते। फैसले पार्टी हित में लेते हैं क्योंकि बसपा, पार्टी ही नहीं मूवमेंट भी है। अन्य दलों की तरह बसपा द्वारा प्रदर्शन न करने पर मायावती ने खुद ही स्थिति स्पष्ट की। बोलीं कि बसपा बात-बात पर धरना-प्रदर्शन, मीडिया में गलत-सही छाए रहने का प्रयास, ज्यादा शोशेबाजी व तामझाम नहीं करती। दूसरों की तरह दिखावट, बनावट व पूंजीपतियों के धनबल पर शाहखर्ची आदि से पार्टी काफी दूर है। प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की सक्रियता के सवाल पर कहा कि देश में लोकतंत्र है और हर पार्टी को अपने हिसाब से तैयारी करने का अधिकार है।
कैबिनेट का फैसला था चीनी मिलें बेचना : बसपा सरकार में बेची गईं चीनी मिलों में घोटाले के आरोपों पर मायावती ने कहा कि सभी सरकारें इस प्रकार के फैसले लेती रहती हैं। बसपा की सरकार में भी बंद चीनी मिलों को बेचने का फैसला किसी मंत्री या मुख्यमंत्री का निजी नहीं था, बल्कि यह कैबिनेट का सामूहिक फैसला था। इसमें नियम-कानून का पालन किया गया था। केंद्र व प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों, बेरोजगारी और खराब कानून व्यवस्था से गरीब व मेहनतकश लोगों का जीवन कठिन हो रहा है। यूपी में एनकाउंटर और संपत्ति ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को भी उन्होंने जातिगत और द्वेष भावना वाला बताया।
कृषि कानून वापस ले केंद्र सरकार : पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि तीन कृषि कानूनों से किसान सहमत नहीं हैं तो केंद्र सरकार को इन्हें वापस ले लेना चाहिए। साथ ही मांग की कि जिन किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हुई है, उनके पीड़ित परिवार को उचित आर्थिक सहायता और परिवार एक सदस्य को नौकरी दी जाए।