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Kanpur Kidnaping Case : डीजीपी एचसी अवस्थी ने तलब की संजीत अपहरण कांड की रिपोर्ट

Kanpur Kidnaping Case डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने प्रकरण में दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 01:41 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 07:15 AM (IST)
Kanpur Kidnaping Case : डीजीपी एचसी अवस्थी ने तलब की संजीत अपहरण कांड की रिपोर्ट
Kanpur Kidnaping Case : डीजीपी एचसी अवस्थी ने तलब की संजीत अपहरण कांड की रिपोर्ट

लखनऊ, जेएनएन। कानपुर पुलिस एक बार फिर अपनी कार्यशैली को लेकर सवालों के घेरे में है। कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र में संजीत अपहरण कांड को लेकर पुलिस की लापरवाही पर सवाल खड़े हो रहे हैं। डीजीपी मुख्यालय ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने प्रकरण में दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि प्रकरण में अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट भी जल्द दी जाए। मामले में बर्रा थानाध्यक्ष रणजीत राय के निलंबन के बाद जल्द कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों व कर्मियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

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बता दें कि कानपुर के बर्रा निवासी चमन सिंह का बेटा संजीत 22 जून से लापता है। उनका बेटा संजीत पैथोलॉजी गया था, जिसके बाद वह घर वापस नहीं लौटा। इस पर थाना पुलिस से शिकायत करके राहुल पर बेटे के अपहरण का संदेह जताकर मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद आरोपित फोन पर बेटे को छोड़ने के लिए 30 लाख रुपये की फिरौती की मांग करने लगे। पीड़ित पिता का आरोप है कि पुलिस के कहने पर उन्होंने घर बेचकर 30 लाख रुपये की फिरौती अपहर्ताओं को दे दी। इसके बाद भी पुलिस अब तक न तो आरोपी को पकड़ पाई है और ना ही उनका बेटा लौटा है। 

डीजीपी से परिवार को मिलने रोक दिया था पुलिस ने : कानपुर के बिकरू कांड के बाद डीजीपी, एडीजी कानून व्यवस्था ही नहीं, खुद मुख्यमंत्री भी शहर आए थे। उधर, संजीत के परिवार वाले पुलिस की चौखट पर रोजाना गिड़गिड़ा रहे थे। जब परिवार ने इन अधिकारियों से मिलने जाने की कोशिश की तो पुलिस ने रोक दिया। संजीत की बहन रुचि ने बताया कि थाना प्रभारी बोले, हमारी चार टीमें जांच कर रही हैं। भरोसा रखो, जल्द ही संजीत को तलाश लिया जाएगा। संजीत के परिवार वालों ने बताया कि थाने और चौकी की ओर से मदद नहीं मिलती देख वे आला अधिकारियों के पास जाना चाहते थे, लेकिन हर बार पुलिसकर्मी उन्हें रोक लेते थे। यह भी कहते थे, मीडिया में बताया तो भाई की जान को खतरा हो सकता है। इसी वजह से पूरा परिवार घर पर ही रहा। जब मकान, जेवर बेचकर जुटाए गए पैसे भी चले गए तो सब्र का बांध टूट गया। हमारा तो सब कुछ चला गया और भाई भी नहीं मिला। यह सब बर्रा पुलिस के कारण हुआ। 23 दिन तक वे घटना को दबाते रहे।

मकान और जेवर बेचकर जुटाए थे 30 लाख : कानपुर के बर्रा पांच के रहने वाले चमन यादव का बेटा संजीत लैब टेक्नीशियन है जो 22 जून को बाइक समेत लापता हो गया था। पीड़ित परिवार ने बर्रा थाने में घटना की जानकारी दी, लेकिन पुलिस उसे नहीं तलाश पाई। तीन दिन बाद संजीत के पिता के मोबाइल पर बदमाशों ने फोन करके उसे छोड़ने के लिए 30 लाख की फिरौती मांगी, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने के लिए योजना बनाई और परिवार से कहा 30 लाख रुपये का इंतजाम कीजिए। पुलिस का प्लान था कि जब बदमाश फिरौती की रकम लेने आएंगे तब उन्हें दबोच लिया जाएगा। इस पर पीड़ित परिवार ने अपना मकान 20 लाख रुपये में बेचा और बेटी की शादी के लिए बनवाए जेवर बेचकर 30 लाख रुपये का इंतजाम किया।

थाना प्रभारी रणजीत राय निलंबित : पैथोलॉजी कर्मचारी संजीत यादव के अपहरण के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एसएसपी ने बर्रा थाना प्रभारी रणजीत राय को निलंबित कर दिया है। सर्विलांस सेल के प्रभारी हरमीत सिंह को नया प्रभारी बनाया है। हालांकि नए थाना प्रभारी की नियुक्ति को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि इस मामले में सर्विलांस सेल भी फेल साबित हुई है। अपहरणकर्ता लगातार स्वजन से बात कर रहे थे, लेकिन सर्विलांस सेल उनका सुराग लगाने में सफल नहीं कर सकी। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि जांच के बाद थाना प्रभारी रणजीत राय की लापरवाही सामने आई है। उन्होंने सतर्कता का परिचय नहीं दिया। उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। 

परिवार ने चौकी प्रभारी पर भी लगाए आरोप : पीड़ित परिवार ने निलंबित थाना प्रभारी रणजीत राय के साथ जनता चौकी प्रभारी राजेश कुमार की भी अपहरणकर्ताओं से मिलीभगत की आशंका जाहिर की है। परिवार के मुताबिक 22 जून को अपहरण के दूसरे दिन 23 जून को चौकी जाने पर राजेश कुमार ने टरका दिया। रात में दोबारा पहुंचने पर गुमशुदगी दर्ज की। 26 जून को अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। 29 जून को फिरौती के लिए फोन आने पर पुलिस के पास पहुंचे तो जांच की बात कहकर टरका दिया गया। संजीत के पिता चमन सिंह का आरोप है, इसके बाद पुलिस बिकरू कांड में व्यस्तता का हवाला देकर टरकाती रही।

गाड़ी में बैठे रहे थाना प्रभारी, बोले-पता था बैग फेंकने को कहेंगे : फिरौती देने के दिन थाना प्रभारी छह पुलिसकर्मी लेकर गए। खुद वह अपनी निजी कार में बैठे रहे। दो-तीन सिपाही पुल के आसपास टहलते रहे। चमन सिंह ने बताया कि पुलिसवाले वर्दी में नहीं थे। पुलिस ने भांजे हरीश और उसके दोस्त प्रकाश एक किलोमीटर आगे भेज दिया। पुलिसकर्मी चमन के आसपास टहलते रहे। अपहरणकर्ता के कहने पर रुपये का बैग नीचे रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया। काफी देर बाद थाना प्रभारी आए। बोले, मुझे अंदेशा था कि बैग पुल से नीचे फेंका जाएगा। नीचे जाकर जब चमन ने देखा तो पता लगा कि वहां घेराबंदी के लिए पुलिसकर्मी तैनात ही नहीं किए गए थे। एसपी साउथ ने भी बयान में कहा था कि अगर पुलिस टीम नीचे लगी होती तो अपहरणकर्ता पकड़े जाते।


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