पौष पूर्णिमा पर पारलौकिक आनंद की कामना का पर्व कल्पवास शुरू
पौष पूर्णिमा पर गंगा यमुना, सरयू, पंचनद, संगम जैसे तमाम पावन स्थलों पर लौकिक और पारलौकिक आनंद की कामना का पर्व कल्पवास शुरू हो गया है।
लखनऊ (जेएनएन)। पौष पूर्णिमा पर गंगा यमुना, सरयू, पंचनद, संगम जैसे तमाम पावन स्थलों पर लौकिक और पारलौकिक आनंद की कामना का पर्व कल्पवास शुरू हो गया है। मुख्य स्नान गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर हुआ। यहां मंगलवार को पुण्य बेला में स्नान करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग पहुंचे। उन्हें न प्रशासनिक अव्यवस्था से कोई वास्ता था, न किसी से मदद की आस। मन में सिर्फ एक भाव था संगम में स्नान और ईश्वर का ध्यान। संगम तट पर पहुंचकर यम-नियम से स्नान किया। प्रशासन ने 23 लाख श्रद्धालुओं के स्नान का दावा किया है। उत्तर प्रदेश में संगम के बाद दूसरा बड़ा स्नान स्थल रामनगरिया मेला है। संगम के बाद यहां विशाल क्षेत्र में फैला तंबुओं का शहर कल्पवासियों से आबाद होने लगा है। एक और मेला पांच नदियों के संगम स्थल पंचनद पर लगा है। इसके अलावा लगभग पूरे प्रदेश में पौष पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में लोगों ने पावन डुबकी लगाई।
तस्वीरों में देखें-पौष पूर्णिमा पर पावन डुबकी
दरअसल पौष पूर्णिमा माघ मेला का प्रथम स्नान होता है। इसी के साथ माघ मास आरंभ हो जाता है। इस पावन माह में संगम में स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे। संगम के अलावा अक्षयवट घाट, रामघाट, काली घाट, दारागंज घाट सहित हर गंगाघाटों पर श्रद्धालुओं ने स्नान-दान किया। आम श्रद्धालुओं के साथ संत-महात्माओं ने भी संगम व गंगा में डुबकी लगाई। सेक्टर चार व पांच में घाटों की व्यवस्था दुरुस्त न होने से स्नानार्थियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, वहीं कपड़ा बदलने के लिए व्यवस्था न होने से महिलाओं को परेशानी हुई। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस, पीएसी, आरएएफ के जवान मुस्तैद रहे।
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