राजन-साजन ने योगी आदित्यनाथ से मांगा काशी में कलाधाम
प्रख्यात गायकबंधु पद्मभूषण पं.राजन मिश्र और साजन मिश्र ने देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में कलाधाम के निर्माण की पहल की है।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रख्यात गायकबंधु पद्मभूषण पं.राजन मिश्र और साजन मिश्र ने देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में कलाधाम के निर्माण की पहल की है। उनकी इच्छा है कि इसका निर्माण कबीर चौरा पर किया जाए जो काशी की सांस्कृतिक पहचान है और जहां आना-जाना कलाकारों के लिए सहूलियत भरा होगा। शनिवार को दोनों भाइयों नेे इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और उन्हें पूरी योजना का प्रस्ताव दिया। राज्य सरकार यदि इसकी मंजूरी देती है तो सांस्कृतिक क्षेत्र के लिए यह मील का पत्थर होगा।
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कलाधाम की परिकल्पना अमेरिका के प्रसिद्ध संग्र्रहालय हाल ऑफ फेम की तर्ज पर की गई है। पद्मविभूषण गिरजा देवी और पंडित छन्नू लाल मिश्र एवं अन्य कलाकारों से विचार-विमर्श के बाद कलाधाम की योजना तैयार की गई और मुख्यमंत्री को पूरी योजना सौंपने का निर्णय किया गया। मुख्यमंत्री को दिए पत्र में पं. राजन-साजन मिश्र ने कहा है कि सांस्कृतिक क्षेत्र में काशी की गौरवशाली परंपरा है और यहां जन्मे कई प्रतिष्ठित कलाकारों ने देश का नाम रोशन किया है। उनके योगदान और धरोहर को संजोने के लिए एक बड़ी दीर्घा जरूरी है। मुख्यमंत्री को सौंपे प्रोजेक्ट में इस पूरी योजना पर 37 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है। पं. राजन-साजन मिश्र ने बताया कि यूनेस्को ने भी काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा दिया है और यह पहचान बनाए रखना जरूरी है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी काशी कलाधाम का प्रोजेक्ट उनकी ओर से सौंपा गया है। मिश्र बंधुओं ने कहा कि यदि कबीर चौरा पर यह दीर्घा बनाई जाती है तो इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व और बढ़ जाएगा और कलाकारों को भी सहूलियत होगी।
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दिल की धड़कन से लेकर नाड़ी तक में लय
पूरी दुनिया में खयाल गायकी का डंका बजवाने वाले पं. राजन-साजन मिश्र का मानना है कि दुनिया की हर चीज में संगीत है। हर मनुष्य के भीतर सुर चल रहा है। दिल की धड़कन में भी लय है और नाड़ी में भी। बस, उसे सुनने की समझ होनी चाहिए। पंडित राजन-साजन मिश्र ने शनिवार को प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी के साथ दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित सरस परिचर्चा में भी भाग लिया। इस दौरान कला जगत के प्रतिष्ठित लोगों के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि फ्यूजन आजकल कन्फ्यूजन खड़ा कर रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि यह खिचड़ी में घी की तरह हो तो उसका प्रभाव असर डालेगा। लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने इस विषय को आगे बढ़ाया और कहा कि फ्यूजन के प्रभाव भी असर डालते हैं बशर्ते उन्हें उथले ढंग से न पेश किया जाए। फ्यूजन के लिए अध्ययन, सलीका और समझ जरूरी है। मालिनी ने लोकगायकी के अन्य पहलुओं पर भी विस्तार से बात की।
मिश्र बंधुओं ने पारिवारिक संस्कारों पर जोर दिया और कहा कि कोई इंसान वैसे ही ढलता है, जैसे उसे परिवार से संस्कार मिलते हैं। बड़ों की सीख ही जिंदगी में तरक्की की सीढ़ी बनती है। दोनों ने कहा कि बच्चों को भी प्रकृति के करीब ले जाना चाहिए। उन्हें बचपन से ही ऐसे संस्कार देने की जरूरत है। इस अवसर पर पं. राजन-साजन मिश्र व मालिनी अवस्थी ने दैनिक जागरण के अभियान आधा गिलास पानी की प्रशंसा करते हुए उसके पोस्टरों पर अपने हस्ताक्षर भी किए।