जेएनयू के प्रो. राकेश भटनागर बनाये गये बीएचयू के नए कुलपति
ऐसे हालात में कार्यकाल पूरा किए बगैर ही तत्कालीन कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी को लंबी छुट्टी पर जाना पड़ा। बाद में कुलसचिव डा. नीरज त्रिपाठी को कार्यकारी कुलपति बनाया गया।
वाराणसी (जेएनएन)। आखिरकार पांच माह के लंबे इंतजार के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय को नए कुलपति मिल ही गए। जेएनयू के प्रोफेसर राकेश भटनागर को राष्ट्रपति (विश्वविद्यालय के विजिटर) की ओर से नए कुलपति के रूप में प्रो. भटनागर की तैनाती को हरी झंडी दे दी गई है। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता की ओर से शुक्रवार की देर रात नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर पुष्टि की गई। इस संबंध में बीएचयू को ई-मेल प्राप्त हो गया है।
विदित हो कि सितंबर 2017 को बीएचयू में छात्रा से छेड़खानी के मामले ने इस कदर माहौल खराब हुआ कि परिसर में धरना, प्रदर्शन, आगजनी और तोडफ़ोड़ हुए।
ऐसे हालात में कार्यकाल पूरा किए बगैर ही तत्कालीन कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी को लंबी छुट्टी पर जाना पड़ा। बाद में कुलसचिव डा. नीरज त्रिपाठी को कार्यकारी कुलपति बनाया गया। इस बीच पूर्णकालिक कुलपति के न होने से परिसर में आए दिन अशांति का माहौल बना रहा। कभी बीएचयू अस्पताल में बवाल तो कभी हॉस्टल के छात्र आंदोलित होते रहे। उधर, नए कुलपति के लिए बनी सर्च कमेटी, मानव संसाधन मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन से भी नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर लंबा वक्त लगा। अंतत: करीब साढ़े पांच माह बाद बीएचयू को प्रो. राकेश भटनागर के रूप में नए कुलपति मिले।
स्वायत्तता की लड़ाई में दिया था इस्तीफा
प्रो. राकेश भटनागर वर्ष 2012 में कुमाऊं विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति नियुक्त हुए थे। वहां उन्हें असहज स्थितियों का सामना करना पड़ा था। नियुक्तियों में दबाव, कम बजट और कार्य में दखलअंदाजी को लेकर वह विश्वविद्यालय के स्वायत्तता के लिए संघर्षरत रहे। अंतत: राज्य सरकार के असहयोगपूर्ण रवैये से क्षुब्ध होकर 21 मई 2013 को उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया।
चुनौतियां
-बीएचयू परिसर का माहौल स्थिर करना होगा।
-नियुक्तियों में पारदर्शिता व पूर्व नियुक्तियों की जांच।
-बीएचयू अस्पताल की अव्यवस्था सुधारना।
-विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल को सुदृढ़ करना होगा।
-छात्र-छात्राओं में असंतोष के माहौल को खत्म कराना होगा।
-परिसर में बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश।