Shaurya Gatha: लखनऊ में एक साथ लगे थे जय बजरंग बली और अल्लाहू अकबर के जयकारे
गदर पर आधारित किताब फ्रीडम स्ट्रगल इन यूपी में किसी गुमनाम क्रांतिकारी के हवाले से एक अपील दर्ज है जिसमें हिंदू और मुसलमानों को एकजुट होने की बात कही जा रही है।
लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। तहजीब-ए-शहर लखनऊ में आजादी का बिगुल बज चुका था। अंग्रेजी शासकों के अंदर दहशत घर कर गई थी। रेजीडेंसी और दिलकुशा में छिपने की मजबूरी और हिंदू मुस्लिम फौलादी एकता के आगे अंग्रेजों ने हथियार डाल दिया था। कानपुर से आ रहे क्रांतिकारी चंदरनगर गेट से गुजरते हुए जय बजरंग बली के नारे लगा रहे थे तो दूसरी फैजाबाद की तरफ से आई क्रांतिकारियों की टोली ने चिनहट में मुस्लित क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ किला बंदी की। मुस्लिम क्रांतिकारी अल्लाहो अकबर और हिंदू जय बजरंग बली के जयकारे के साथ पूरे शहर में लोगों के अंदर जोश भरने का काम कर रहे थे। इधर गदर की तैयारियां तेज थीं.। स्थानीय लोगों में वह, जो अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े होने का मन बना चुके थे, गोले-बारूद इकट्ठा कर रहे थे, मगर गुपचुप.। मेरठ से शुरू हुई क्रांति के काफी दिन बीत जाने के बाद भी शहर में शांति. समझ से परे थी। अवध का मुख्य आयुक्त हेनरी लॉरेंस हर रोज भारत के गर्वनर जनरल को टेलीग्राम पर यही सूचना देता, 'यहां सब ठीक है'।
स्वतंत्रता की पिपासा शांत करने के लिए शुरू हुए इस गदर में सेनानियों को जोड़ने के प्रयास जारी थे। लोगों को एकजुट किया जा रहा था। उन्हें बताया जा रहा था कि अंग्रेजों की नीतियां उनकी बेहतरी के लिए नहीं हैं। अंग्रेज केवल उनके शोषक हैं। राजधानी में रक्तरंजित क्रांति शुरू होने के पहले ही इसे धर्मयुद्ध की शक्ल दी जाने लगी थी। लोगों से अपील की जाने लगी थी कि वह इसमें शरीक हों, क्योंकि अंग्रेज उनके धर्म पर आघात कर रहे हैं। भारतीयों को धर्म के नाम पर एकजुट करना आसान है, बजाय इसके कि उन्हें कारण बताकर किसी सत्ता के विरुद्ध खड़े होने को कहा जाए। गदर के शुरुआती दौर से ही ऐसे पर्चे मिलने के उदाहरण इतिहास के दस्तावेजों में उपलब्ध हैं, जिनमें हिंदू और मुसलमानों को एकजुट होने की बात अंग्रेजों की समझ से परे थी।
गदर पर आधारित किताब 'फ्रीडम स्ट्रगल इन यूपी' में किसी गुमनाम क्रांतिकारी के हवाले से एक अपील दर्ज है, जिसमें हिंदू और मुसलमानों को एकजुट होने की बात कही जा रही है। इसमें मुहम्मद साहब, महाबीर जी (बजरंग बली) और अन्य देवी देवताओं के नाम पर दोनों संप्रदायों को एकजुट करने की बातें दर्ज हैं.। कुल मिलाकर, गदर के पहले इसे धर्मयुद्ध का रूप दिया गया और यही कारण था कि दोनों संप्रदायों के लोगों ने एकजुट हुए और खूब लड़े।अवध सरकार ने जारी किया घोषणापत्रइसलिए मैंने क्रूर और बुरा बर्ताव करने वाले काफिर फिरंगियों को खदेड़ने का निर्णय लिया है।
बिरजिस कदर की मोहर लगे अवध के घोषणापत्र में कहा गया था कि सभी हिंदू और मुसलमान सभी लोग जान लें कि चार चीजें सभी को प्यारी होती हैं। पहला धर्म, दूसरा सम्मान, तीसरा जीवन और चौथा संपत्ति। यह सारी चीजें केवल स्थानीय सरकार के संरक्षण में ही संभव हैं। स्थानीय सरकार के अंदर कोई भी किसी के धर्म पर आघात नहीं करेगा। 'वह लोग जो इन धर्मो का पालन करते हैं वह यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाएं। वह जो उनके साथ मित्रता रखते हैं, निश्चित रूप से उन्हीं के जैसे हो जाएंगे।