जागरण संवादीः राष्ट्रवाद को विषाणु कहने पर शुरू हुई गर्मागर्म बहस
राष्ट्रवादी पत्रकार और चिंतक बल्देव भाई शर्मा और नीरजा माधव ने तो सधी टिप्पणी दी लेकिन जब सवालों की झड़ी लगी तो जगदीश्वर चतुर्वेदी उलझते ही गए।
लखनऊ (जेएनएन)। मसला था राष्ट्रवाद के साहित्य से संबंध का लेकिन मार्क्सवादी विचारधारा की सुई चुभोकर प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी ने लखनऊ वालों को भड़का दिया। मंच पर विराजमान राष्ट्रवादी पत्रकार और चिंतक बल्देव भाई शर्मा और नीरजा माधव ने तो सधी टिप्पणी दी लेकिन जब सवालों की झड़ी लगी तो जगदीश्वर चतुर्वेदी उलझते ही गए। शुक्रवार को दैनिक जागरण संवादी के चौथे संस्करण के उद्घाटन के बाद पहले दिन श्रोताओं, दर्शकों से भरे भारतेंदु नाट्य अकादमी सभागार में पहले दिन ही बहस चरम छूने लगी।
दरअसल, मंच पर नीरजा माधव व बल्देव भाई ने जब साहित्य को राष्ट्रवाद का प्रथम पोषक बताते हुए अपनी बात रखी तो कोलकाता से आये प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी ने अचानक ‘राष्ट्रवाद को विषाणु’ बताकर माहौल गर्मा दिया और वे श्रोताओं के बीच लाइव ट्रोलिंग का हिस्सा बन गए। इस पहले उद्घाटन सत्र के तुरंत बाद अवध की खोती विरासत पर चर्चा में जुटीं सेलिब्रिटी लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने न केवल विरासत के पुराने वैभव का खजाना खोला बल्कि उसे श्रोताओं-दर्शकों के बीच अपनी खूबसूरत आवाज में बांटा भी।
तीसरा सत्र राजनीति, महिला और सेक्स लखनऊ के प्रबुद्ध वर्ग के लिए ऐसा विषय था जिस पर पहले कभी खुलकर चर्चा नहीं हुई थी, लेकिन जब हुई तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी और सोशल मीडिया पर सर्वाधिक ट्रोल ङोलने वाली सपा की महिला नेता पंखुड़ी पाठक ने कहा कि राजनीति महिलाओं के लिए आज भी अनकन्वेंशनल पेशा है।
संवादी के अन्य सत्रों में बड़े पर्दे पर छोटे शहरों की कहानियां विषय पर फिल्म लेखिका और ट्रैवलिंग राइटर अद्वैता काला, पंकज त्रिपाठी की बातचीत और सेलिब्रिटी राइटर अश्विन सांघी के सत्र में युवा लेखकों को काफी कुछ सीखने को मिला। संवादी के पहले दिन की अंतिम प्रस्तुति दास्तानगोई रही।