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अब फेल ओवरी से निकलेंगे अंडे, अमेरिका में सफल प्रयोग के बाद भारत में भी जल्‍द म‍िलेगी सुव‍िधा

63वीं ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनकोलॉजी (एआइसीओजी) में गुरुवार को बांझपन पर चर्चा हुई।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 08:03 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 03:39 PM (IST)
अब फेल ओवरी से निकलेंगे अंडे, अमेरिका में सफल प्रयोग के बाद भारत में भी जल्‍द म‍िलेगी सुव‍िधा
अब फेल ओवरी से निकलेंगे अंडे, अमेरिका में सफल प्रयोग के बाद भारत में भी जल्‍द म‍िलेगी सुव‍िधा

लखनऊ, जेएनएन। महिलाओं में बांझपन का ग्राफ बढ़ रहा है। उनमें कम उम्र में ही अंडे बनने बंद हो रहे हैं। कारण, ओवरी (अंडाशय) का फेल होना है। ऐसे में अब ओवरी का टुकड़ा लेकर उसे लैब में फिर सक्रिय किया जा सकेगा। इसके जरिये प्राकृतिक गर्भाधान संभव हो सकेगा। अमेरिका में सफलता के बाद भारत में भी जल्द ही सुविधा उपलब्ध होगी।

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63वीं ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनकोलॉजी (एआइसीओजी) में गुरुवार को बांझपन पर चर्चा हुई। इस दौरान मुंबई की डॉ. रिश्मा ढिल्लन पई ने कहा कि देश में ओवेरियन फेल्योर बढ़ रहा है। 19 वर्ष की युवती में भी मासिकचक्र, अंडा बनना बंद हो रहा है। ऐसे में वह बांझपन का शिकार हो रही हैं। नियमित मासिक चक्र के लिए जहां हार्मोन थेरेपी दी जाती है।

वहीं, प्लेटलेट रिच प्लाज्मा, स्टेम सेल तकनीक, दवाएं अंडों की संख्या बढ़ाने में सहायक हैं। मगर, अब इन विट्रो एक्टीवेशन (आइवीए) तकनीक फेल्योर ओवरी को सक्रिय कर सकेगी। इसमें परखनली के साथ-साथ प्राकृतिक तरीके से भी महिला में गर्भाधान संभव है। अमेरिका में तीन बच्चों का जन्म आइवीए से हो चुका है। डॉ. रिश्मा समेत कुछ देश के भी डॉक्टरों ने अमेरिका में आइवीए का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। देश में भी इसी वर्ष से यह सुविधा उपलब्ध होगी।

ओवरी से टुकड़ा निकाल मिलाते हैं मैटीरियल

डॉ. रिश्मा के मुताबिक, बायोप्सी की तरह महिला की ओवरी से मांस का टुकड़ा निकालते हैं। इसे लैबोरेटरी में महीन टुकड़ों में कर लिया जाता है। इसमें प्रोटीन काईनेज एक्टीवेटर समेत अन्य मैटीरियल मिलाए जाते हैं। न्यूनतम दो से तीन दिन लैब में प्रोसीजर चलता है। इसके बाद लेप्रोस्कोप से उसे फेलोपियन ट्यूब के नीचे व ओवरी में रिप्लेस कर दिया जाता है। अगले माह से पीरियड्स व ओवरी में अंडे का निर्माण शुरू हो जाता है। इसके जरिये नेचुरल प्रेग्नेंसी मुमकिन है। वहीं जिन लोगों में नेचुरल संभव नहीं तो उनका अंडा लेकर लैब में फर्टीलाइज कर इंजेक्ट कर दिया जाता है।

टेस्ट से जानें कितने अंडे

डॉ. रिश्मा के मुताबिक, अमूमन महिलाओं में पहले 40 वर्ष में अंडे कम होते थे। 45 वर्ष में बनना बिल्कुल बंद हो जाते थे और 50 वर्ष में मीनोपॉज हो जाता था। वहीं अब 19 वर्ष की किशोरियों में भी अंडे बनने बंद हो रहे है। ऐसे में एंटीमुलेरियन हार्मोन (एएमएच) व सोनोग्राफी टेस्ट से अंडा काउंट किए जा सकते हैं।


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