पिता बने एएसपी बेटे के मातहत, लखनऊ में दोनों की तैनाती
लखनऊ के विभूति खंड थाने में तैनात सिपाही जनार्दन सिंह को गर्व तो पहले ही हासिल हो चुका, अब खुशी का वह विरला पल भी हासिल होगा जब अपने ही आइपीएस बेटे के मातहत के रूप में काम करेंगे।
लखनऊ [सौरभ शुक्ला]। हर पिता का सिर फख्र से तब और ऊंचा हो जाता है जब बेटा उससे ऊंचा मुकाम हासिल कर ले। उसका तो यह सपना ही होता है कि जो खुद न बन सका वो बेटे को बना दे।
लखनऊ के विभूति खंड थाने में तैनात सिपाही जनार्दन सिंह को यह गर्व तो पहले ही हासिल हो चुका है, अब खुशी का वह विरला पल भी हासिल होगा जब वह अपने ही आइपीएस बेटे के मातहत के रूप में काम करेंगे। दरअसल, उन्नाव से तबादले पर लखनऊ के एएसपी (उत्तरी) बनाए गए आइपीएस अनूप सिंह के पिता जनार्दन इसी क्षेत्र के थाना विभूतिखंड में बतौर दीवान तैनात हैं। बेटे के मातहत के रूप में काम करने में कितना सहज होगा, इस पर जनार्दन सिंह गर्व से कहते हैं कि वह ऑन ड्यूटी कप्तान को सैल्यूट करेंगे। आइपीएस अनूप सिंह भी कुछ इसी भाव से कहते हैं कि वह घर पर पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेंगे, लेकिन फर्ज निभाने के दौरान प्रोटोकॉल का पालन करेंगे।
जनार्दन सिंह ने बताया कि बेटा बहुत ही सख्त व ईमानदार है। उधर बेटे की राय के बिता के बारे में अलग ही है। आइपीएस अनूप सिंह बताते हैं कि उन्होंने फर्ज और संस्कार पिता से सीखे हैं। वह गाजियाबाद के बाद नोएडा में तैनाती के बाद उन्नाव में एएसपी रहे हैं।
स्कॉलरशिप के पैसे भी भेज देता था बेटा
जनार्दन सिंह मूल रूप से बस्ती के नगर थाना क्षेत्र के पिपरा गौतम गांव के रहने वाले हैं। नौक री के सिलसिले में अलग-अलग जिलों में रहे। बेटे की प्रारंभिक शिक्षा बाराबंकी से हुई है। ग्रेजुएशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया था, पीजी जेएनयू से। सिविल सर्विसेज की तैयारी की और पहली बार में सफलता प्राप्त की। आइपीएस बन गए। जनार्दन सिंह के मुताबिक जेएनयू विवि में अच्छे अंक पाने पर बेटे को स्कॉलरशिप मिलती थी। अपने सीमित खर्च के चलते मना करने के बाद भी वह स्कॉलरशिप के रुपये भी घर भेज देता था।
बेटा रहेगा सरकारी बंगले और मैं अपने घर में
जनार्दन सिंह ने बताया कि परिवार में उनकी पत्नी कंचन सिंह, बेटी मधु और बहू अंशुल है। वह परिवार के साथ गोमतीनगर के विक्रांत खंड के अपने घर पर रहेंगे। बेटा अधिकारी है, इसलिए वह अपने सरकारी आवास में रहेगा।