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KGMU: महंगी दवाओं से करोड़ों कमाने वाले डॉक्टरों की खैर नहीं, गिर सकती है गाज

रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष पर सीबीआइ के शिकंजे के बाद केजीएमयू में हड़कंप है । रेलवे अस्पताल की तरह केजीएमयू में भी हो रहा है कैंसर की दवाओं का खेल।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 03:14 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 08:59 AM (IST)
KGMU: महंगी दवाओं से करोड़ों कमाने वाले डॉक्टरों की खैर नहीं, गिर सकती है गाज
KGMU: महंगी दवाओं से करोड़ों कमाने वाले डॉक्टरों की खैर नहीं, गिर सकती है गाज

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज होने से हड़कंप है। कारण, अवैध कमाई का जरिया बनी कैंसर की महंगी दवाओं में कई के हाथ सने हैं। ऐसे में बेनामी व अकूत संपत्ति का सम्राज्य खड़ा करने वाले डॉक्टर घबराए हुए हैं। लिहाजा, जांच की आंच संस्थान के अन्य डॉक्टरों तक पहुंच सकती है।

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दरअसल, रेलवे अस्पताल में कैंसर की दवाओं में लोकल पर्चेज (एलपी) कर घपला किया गया है। इस मामले में रेलवे अस्पताल में तैनात डॉ. सुनीता गुप्ता की जांच की गई। सीबीआइ ने जब जांच का दायरा बढ़ाया तो केजीएमयू में तैनात उनके पति रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव गुप्ता भी घेरे में आ गए। दोनों के आय-व्यय का ब्योरा कमाई से 86 गुना अधिक पाया गया। डॉक्टर दंपती पर सीबीआइ द्वारा मुकदमा दर्ज करने से केजीएमयू में हड़कंप है। 

तीन लाख तक के इंजेक्शन खरीदवाए
कारण, कैंसर के दवाओं की खरीद में लंबा खेल किया गया है। यहां महंगी दवाओं की खरीद में करोड़ों के वारे-न्यारे किए गए हैं। 10 हजार से लेकर तीन लाख तक के इंजेक्शन खरीदवाए गए। यह पूरा रैकेट महानगर स्थित एक मेडिकल स्टोर व चौक के मेडिकल स्टोरों से संचालित हो रहा है।

यहां भी एलपी का पकड़ा जा चुका है खेल
दरअसल, केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में पूर्व कुलपति के कार्यकाल में एलपी के जरिये महंगी दवाओं का खेल पकड़ा जा चुका है। यहां पहले डॉक्टर ने प्रस्ताव भेजकर सेंट्रल स्टोर में एंटी कैंसर व एंटीबॉडी की महंगी दवाएं मंगवाईं। ये दवाएं स्टोर में आने के बाद मरीजों को इन्हें लिखना बंद कर दिया गया। ऐसे में लाखों की ये दवाएं डंप रहीं। उधर, दूसरे ब्रांड की उसी सॉल्ट की महंगी दवाएं लोकल पर्चेज के जरिये खरीदने का खेल शुरू कर दिया गया। मामला पकड़ में आने पर सात अप्रैल 2017 को गड़बड़ी करने वाले डॉक्टरों को नोटिस दिया गया था। मगर प्रशासनिक फेरबदल के बाद मामला रफा-दफा कर दिया गया था।

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14 लाख की दवाएं, रातोंरात गायब
वर्ष 2015 में रेडियोथेरेपी विभाग से 14 लाख की दवाएं गायब कर दी गईं। रातोंरात ये महंगी दवाएं निकालकर बाजार में बेच दी गईं। एक बार रंगे हाथ पकड़े गए वार्ड ब्वॉय को निकाल दिया गया, जबकि डॉक्टर को सिर्फ नोटिस ही दिया गया। 

हॉस्पिटल से लेकर, दूसरे प्रदेशों तक में खरीदीं जमीनें
रेडियोथेरेपी विभाग के डॉक्टरों ने कैंसर की दवा व पैथोलॉजी जांच के जरिये जमकर अवैध कमाई की है। विभाग के कई पूर्व चिकित्सकों ने जहां सेवाकाल के दौरान ही परिजनों के नाम पर राजधानी में बड़े अस्पताल व डायग्नोस्टिक सेंटर खोल दिए, वहीं संस्थान में मौजूद डॉक्टरों की संपत्ति की फेहरिस्त भी लंबी है। चर्चा है कि विभाग के एक डॉक्टर की संपत्ति आय से कई गुना ज्यादा है। उन्होंने लखनऊ के गोमती नगर इलाके में करोड़ों का बंगला और प्लॉट खरीदे हैं। वहीं, चर्चा ये भी है कि गोरखपुर, उत्तराखंड, दिल्ली व गाजियाबाद में भी उन्होंने परिजनों ने नाम पर करोड़ों की जमीनें खरीदी हैं। 

कभी भी पड़ सकता है सीबीआइ का छापा
सीबाआइ का केजीएमयू में कभी भी छापा पड़ सकता है। सीबीआइ यहां डॉ. राजीव गुप्ता के कक्ष के अलावा अन्य डॉक्टरों की भी पड़ताल कर सकती है। यहां के कई डॉक्टरों का सीबीआइ ब्योरा जुटा रही है। 

निलंबित किए जा सकते हैं डॉ. राजीव
कुलसचिव राजेश राय के मुताबिक डॉ. राजीव गुप्ता पर सीबीआइ द्वारा मुकदमा दर्ज कराने की जानकारी समाचार पत्रों से मिली है। आधिकारिक पत्र आने या उनकी गिरफ्तारी होने पर डॉ. राजीव गुप्ता पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसमें निलंबन की कार्रवाई भी शामिल है। 

क्या कहते हैं जिम्मेदार 
 रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि पुराना मामला है। सीबीआइ ने घर पर रेड डाली थी। घर में पैसा बरामद हुआ था। यह पैसा मैंने अपना मकान बनवाने व बच्चों के एजुकेशन के लिए जुटाया था। यह मेहनत से कमाया पैसा था। सीबीआइ कोर्ट में पैसा वापसी के लिए रिट भी दायर की गई है। 

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