KGMU: वेंटिलेटर पर कैसे फटा मरीज का फेफड़ा, कराई जाएगी जांच
सीएमएस बोले कुलपति से वार्ता कर कमेटी गठित की जाएगी। उधर पीडि़त परिजनों ने शासन से शिकायत करने को कहा है।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में वेंटिलेटर पर फेफड़ा फटने से हुई मरीज की मौत की जांच होगी। सीएमएस ने मामले को गंभीर माना है। साथ ही कुलपति से वार्ता कर जल्द जांच कमेटी गठन का दवा किया है। उधर, परिजन ने शासन से मामले की शिकायत करने की बात कही है।
दरअसल, प्रयागराज निवासी जयशंकर तिवारी (45) को ब्रेन हेमरेज हो गया था। इसके बाद उन्हें सांस की दिक्कत भी बढ़ गई। भाई शिवाकांत तिवारी ने जयशंकर को 24 मार्च को ट्रॉमा सेंटर में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर विभाग के आरआइसीयू में भर्ती कराया। उनका दावा है कि जयशंकर की हालत में सुधार था। अचानक, 17 अप्रैल को आरआइसीयू को क्रिटिकल केयर मेडिसिन को सौंप दिया गया। यहां इलाज कर रहा स्टाफ हटा दिया गया। ऐसे में मरीज जयशंकर को क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सीसीएम यूनिट में शिफ्ट कर दिया गया। यहां वेंटिलेटर पर शिफ्टिंग में लापरवाही हुई। इससे मरीज का फेफड़ा फट गया। कारण, 16 अप्रैल के एक्स-रे में फेफड़ा सही था। वहीं शिफ्टिंग के बाद 18 अप्रैल के एक्स-रे रिपोर्ट में फेफड़े की फटने की पुष्टि हुई। उसकी किडनी ने भी काम करना बंद कर दिया। ऐसे में शनिवार एक बजे के करीब मौत हो गई। शिवाकांत तिवारी ने केजीएमयू के सीसीएम यूनिट के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मामले की शिकायत शासन से की जाएगी। वहीं संस्थान के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने भी मामले को गंभीर बताया। साथ ही कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट से वार्ता कर जांच कमेटी गठन का दावा किया है।
क्लिप या जेल से सील कर बच सकती थी जान
जयशंकर का फेफड़ा फटने पर उनमें चेस्ट ट्यूब डालकर प्लूरा से एयर निकालने का डॉक्टरों ने दावा किया था, मगर एक्सपर्ट इसे सामान्य प्रक्रिया मानते हैं। दूरबीन विधि से चेस्ट में पहुंचकर प्लूरा से एयर निकालने के साथ-साथ फेफड़े की फटी लेयर या नलिका को जेल या क्लिप के जरिये सील किया जाता है। मगर, यह प्रोसीजर समय रहते करना होता है। इससे मरीज की रिकवरी फास्ट होती है और फेफड़ा कोलैप्स होने से बच जाता है।