अवैध या गलत आदेश दृष्टांत के रूप में स्वीकार नहींः हाईकोर्ट
31 जनवरी 2013 के शासनादेश से प्राथमिक विद्यालयों में अनुदेशक पद पर नियुक्ति की अर्हता कला विषय से इंटरमीडिएट या बीए निर्धारित की गयी है।
इलाहाबाद (जेएनएन)। हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई अवैध या गलत आदेश दृष्टांत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट कानून के विपरीत आदेश जारी नहीं कर सकती। कोर्ट कानून का पालन कराने के लिए है न कि कानून के विपरीत निर्देश जारी करने के लिए। हाईकोर्ट ने अनुदेशकों की 11 माह की संविदा नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल याचिकाएं ख़ारिज कर दी है। 31 जनवरी 2013 के शासनादेश से प्राथमिक विद्यालयों में अनुदेशक पद पर नियुक्ति की अर्हता कला विषय से इंटरमीडिएट या बीए निर्धारित की गयी है।
जिनके पास यह अर्हता नही थी चयन में शामिल नहीं किया गया। याची गण प्राविधिक कला विषय से इंटर व सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से शास्त्री डिग्री धारक है। महाराष्ट्र के ड्राइंग ग्रेड को कोर्ट ने आर्ट विषय नहीं माना। याची का कहना था कि दूसरे जिले में टेक्निकल ड्राइंग वालों को अनुदेशक नियुक्त किया गया है।इसलिए उन्हें भी नियुक्ति पाने का अधिकार है। जस्टिस एसपी केशरवानी ने श्रीमती विमलेश कुमारी सहित 74 लोगों की याचिका खारिज कर दी है और शासनादेश को वैध करार दिया है।