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साक्षात्कारः माफिया राज घटा लेकिन कानून व्यवस्था से संतुष्ट नहींः राम नाईक

अपना चौथा साल पूरा करने जा रहे 84 वर्ष के राम नाईक इस बात से संतुष्ट नजर आते हैैं कि राजभवन के प्रति लोगों का नजरिया पूरी तरह बदल चुका है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 08:41 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 05:34 PM (IST)
साक्षात्कारः माफिया राज घटा लेकिन कानून व्यवस्था से संतुष्ट नहींः राम नाईक
साक्षात्कारः माफिया राज घटा लेकिन कानून व्यवस्था से संतुष्ट नहींः राम नाईक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में 22 जुलाई को अपना चौथा साल पूरा करने जा रहे 84 वर्ष के राम नाईक इस बात से संतुष्ट नजर आते हैैं कि राजभवन के प्रति लोगों का नजरिया बदल चुका है। पहले सपा और अब भाजपा सरकार के अभिभावक के रूप में अपनी भूमिकाओं के जिक्र से भी उन्हें परहेज नहीं है। साफगोई से कहते हैैं सांविधानिक रूप से दोनों ही सरकारें हमारी थीं और दोनों को पूरी ईमानदारी से सुझाव दिये। नाईक बेहिचक कहते हैैं-'केंद्र और राज्य में एक ही सरकार होने से राजभवन का काम सहज हो जाता है।' योगी सरकार के अब तक सवा साल के काम को राज्यपाल पूरे नंबर देने को तैयार हैैं कि प्रदेश विकास की दिशा में बढ़ रहा है और माफिया राज पर करारा हमला हुआ है। लेकिन, कानून व्यवस्था पर वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं। कहते हैैं-'इसमें सुधार की जरूरत है।' अपनी सक्रियता और कामकाज के तौर-तरीके से सुर्खियों में रहने वाले 84 प्लस के लाटसाहब (राज्यपाल) राम नाईक ने अपने चार साल के कार्यकाल पर दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रमुख अजय जायसवाल से लंबी बातचीत की :-

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रामनाईक से सवाल और उनके जवाब 

  • बतौर राज्यपाल आपने सपा की सरकार भी देखी और अब योगी सरकार है? राजभवन से संबंधों के संदर्भ में क्या अंतर पाते हैैं? 

राज्यपाल होने के नाते पूर्व की और मौजूदा सरकार को मैं अपनी ही कहूंगा। मुख्य अंतर संवाद का कहा जा सकता है। पौने तीन वर्ष सपा सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कभी-कभार राजभवन आते। उनसे मेरे मधुर संबंध भी थे। लेकिन सवा साल पुरानी मौजूदा सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ औसतन 15 दिन के अंतराल पर काम-काज व मुलाकात के लिए आते रहते हैैं। पत्र व्यवहार होने के साथ ही मैं उन्हें भी सुझाव देता रहता हूं जिन पर अमल होता भी दिखाई देता है जबकि पहले ऐसा कम होता था। वास्तव में राज्यपाल अपने सांविधानिक दायित्व को सकारात्मक दृष्टिकोण से निभाते हुए केंद्र व राज्य सरकार के बीच सेतु की भूमिका में रहता है। पूर्व में जहां केंद्र व राज्य में अलग-अलग पार्टी की सरकार होने से मुझे मुश्किलें पेश आती थी वहीं अब एक ही पार्टी की सरकार होने से प्रदेश का भला हो रहा है। मेट्रो, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि पर  तेजी से काम हो रहे हैैं। नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री के यहां (यूपी) से होने का फायदा भी प्रदेश को मिल रहा है। काशी में भी बदलाव दिख रहा है।

  •  सरकार बदलने पर क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं? 

पूर्व की सपा सरकार पर कोई टिप्पणी न करते हुए यही कहूंगा कि उसने जैसा किया वैसा जनता ने जवाब दे दिया। राजभवन के दरवाजे पहले की ही तरह सभी के लिए खुले हैं। समस्याओं को लेकर आने वालों के साथ ही धन्यवाद देने वालों की संख्या पहले से बढ़ी है। हां, इतना जरूर है कि यहां आने वालों के भाव में अंतर दिखता है। पूर्व में राजभवन आने वालों में यह संदेह रहता था कि उनकी फरियाद पर क्या कुछ होगा लेकिन अब सब मानते हैं कि उन्हें तेजी से न्याय मिलेगा और उनके काम होंगे। यही कारण है कि पहले वर्ष जहां उनसे 5810 लोग मिले थे वहीं चौथे वर्ष 6751 लोग उनसे अब तक मिल चुके हैैं।

  • मौजूदा सरकार तो आपको पूरी तवज्जो देती दिखती है?

देखिए, पूर्व में मेरे पत्रों का संज्ञान न लेने के पीछे के कारणों को तो अखिलेश यादव ही जानें लेकिन वर्तमान सरकार में राजभवन के पत्रों पर कार्यवाही होती दिखती है। मौजूदा मुख्यमंत्री द्वारा पत्रों का जवाब देने के साथ ही उनका संज्ञान लेने का ही नतीजा है कि अब राज्य सरकार, उत्तर प्रदेश दिवस मना रही है जबकि अखिलेश ने इस दिशा में कुछ नहीं किया था। मेरी पहल पर सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश दिवस मनाया जाना मेरे कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अखिलेश सरकार से कुष्ठ रोगियों को प्रतिमाह ढाई हजार दिलाने को दूसरी बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है।  

  • क्या वजह है कि हालिया एक-दो मसलों पर भी आप अखिलेश के निशाने पर आए?

- कौन क्या मेरे बारे में बोलता है उससे मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं राजनीतिक बयान पर टीका-टिप्पणी नहीं करता। मैं सदैव संवैधानिक व्यवस्था का पालन करते हुए ही काम करता रहा हूं और आगे भी यही करता रहूंगा। पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले के मामले में मैैंने सिर्फ अपने कर्तव्य का निर्वाह किया।

  • योगी सरकार में गवर्नेंस पर क्या कहेंगे?

मौजूदा सरकार में गवर्नेंस की स्थिति में सुधार दिखाई दे रहा है। सरकार के सकारात्मक रुख से जिस तरह के अब निर्णय हो रहे हैैं, उससे निश्चित तौर पर आगे भी बेहतर नतीजे आएंगे। पर्यटन के क्षेत्र में भी राज्य में बहुत संभावनाएं हैैं जिस पर सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम सराहनीय हैैं।

  • मौजूदा सरकार में कानून-व्यवस्था पर क्या कहना है?

देखिए, मौजूदा सरकार में माफिया राज कम हो रहा है। हालांकि, अपराध की दूसरी तरह की घटनाएं होने से मैैं अभी राज्य की कानून-व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं। यही कहूंगा कि इस दिशा में अभी और सुधार करने की जरूरत है।

  • राज्यपाल के रूप में चौथे वर्ष का कार्यकाल कैसा रहा?

सालभर में क्या खास किया इसका पूरा ब्योरा 22 को बताऊंगा। पूर्व की भांति 'राजभवन में राम नाईक' नाम से चौथे वर्ष के कार्यकाल का ब्योरा उसी दिन पेश करूंगा। 17 जुलाई तक बतौर राज्यपाल मेरे 1457 दिन हो चुके हैैं। इस दरमियान कुल 24,995 लोगों से मुलाकात की और 1421 कार्यक्रमों में भाग लिया। इनमें 531 कार्यक्रम लखनऊ से बाहर के हैैं। मैं कह सकता हूं कि मैैं अपने चार वर्ष के कार्यकाल में किए गए कार्यों को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट हूं।

  •  उच्च शिक्षा की स्थिति सुधारने को क्या कर रहे हैं?

मैं 28 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति हूं। शैक्षिक सत्र नियमित होने के साथ ही अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार हो रहा है। सुधार के संबंध में सरकार को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी हैै। नकल विहीन परीक्षाएं हो रही हैैं। रिक्त पद भरे जा रहे हैैं। कुलपतियों का कार्यकाल तीन से पांच वर्ष करने का भी प्रस्ताव है। मैं तो छात्रसंघ चुनाव के भी पक्ष में हूं और विश्वविद्यालय प्रशासन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव करा भी रहे हैैं।

  • अंतिम वर्ष की क्या प्राथमिकताएं  होगी?

राज्यपाल के पद का दायित्व निभाते हुए मेरी कोशिश यही रहेगी कि उत्तर प्रदेश में उद्योगों को तेजी से बढ़ावा मिले और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और सुधार हो। चूंकि सूबे की कानून-व्यवस्था में सुधार के साथ ही अब बिजली की स्थिति बेहतर हुई है और पढ़े-लिखे नौजवानों की भी यहां कमी नहीं हैै इसलिए मैैं आश्वस्त हूं कि राज्य में उद्योग बढ़ेंगे। इन्वेस्टर समिट में बड़े पैमाने पर हुए एमओयू से भी यही लग रहा है। मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए उच्च शिक्षा के कोर्स में बदलाव करने व विश्वविद्यालयों में रिसर्च के कार्य को बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा।

  • इलाहाबाद का नाम बदलने के बारे में आपकी क्या राय है?

मेरा मानना है कि नाम वही होना चाहिए जिससे शहर की पहचान हो। मैैंने बम्बई को उसका सही नाम मुम्बई दिलाया। बाद में कई और शहरों के भी नाम बदले। मेरा मानना है कि इलाहाबाद का भी नाम प्रयागराज होना चाहिए। वैसे इस संबंध में निर्णय तो राज्य सरकार को करना है।

  •  परिवार को समय दे पाते हैं?

पहले भी कह चुका हूं कि मेरी पत्नी कुंदा नाईक को राजभवन सोने का पिंजरा लगता है क्योंकि हरियाली, अच्छी हवा, ताजी सब्जी, गाय का दूध आदि तो यहां है लेकिन मुम्बई की तरह वह न बाहर जा सकती और न ही मिलने-जुलने वाले हैं। मैं भी व्यस्तता के चलते पिछले एक वर्ष के दौरान सिर्फ 24 दिन ही प्रदेश से बाहर रहा। महाराष्ट्र भी कम ही जा सका। वैसे तो राज्यपाल 20 दिन के वार्षिक अवकाश पर रह सकता है लेकिन मैैं दो वर्ष में एक भी दिन व्यक्तिगत अवकाश पर नहीं रहे।

साक्षात्कार की खास बातें

  • केंद्र-राज्य में एक पार्टी की सरकार से मुश्किलें कम 
  • यूपी दिवस मनाया जाना एक बड़ी उपलब्धि 
  • सपा की सरकार भी मेरी थी और भाजपा की भी 
  • सरकार उनकी सुनेगी अब राजभवन आने वाले मानते हैैं
  • अंतिम वर्ष में उद्योगों को यूपी में बढ़ाने पर खास फोकस 
  • कौन मेरे बारे में क्या बोलता है, इससे फर्क नहीं पड़ता

 

राम नाईक एक परिचय

  • जन्म : 16 अप्रैल 1934 को महाराष्ट्र के सांगली मे -शिक्षा : बीकाम, एलएलबी
  • प्रारंभिक कार्य: पहले एजी ऑफिस में अपर श्रेणी लिपिक और फिर निजी क्षेत्र में नौकरी की
  • राजनीतिक अनुभव : 1959 में भारतीय जनसंघ से जुड़े
  • भाजपा मुम्बई के तीन बार अध्यक्ष रहे।
  • 1978 में पहली बार विधायक बने,  तीन बार विधायक और फिर पांच बार सांसद चुने गए।
  • अटल सरकार में 1999 से 2004 तक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री रहने के साथ ही केंद्रीय रेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। गृह, योजना, संसदीय कार्य राज्यमंत्री भी रहे हैैं।
  • 25 सितंबर 2013 को चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा
  • कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर विजय हासिल की
  • वर्ष 2014 से उत्तर प्रदेश के राज्यपाल

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