दो साल में UP में बढ़ेगी ट्रेनें चलाने की क्षमता, रायबरेली को अगले साल मिलेगा ये तोहफा
नई दिल्ली से वाराणसी तक वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन के सफर में चेयरमैन ने दैनिक जागरण से खास बातचीत की।
लखनऊ, [निशांत यादव]। उत्तर प्रदेश में ट्रैफिक की क्षमता दो साल के भीतर बढ़ जाएगी। रेलवे ऑन डिमांड ट्रेनें चलाने के लिए रेल दोहरीकरण, विद्युतीकरण और बोगियों की संख्या बढ़ाने का काम दो साल के भीतर पूरा कर लेगा। माडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली जल्द ही अपग्रेड की जाएगी। इसमें भी देश की पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस के रैक का उत्पादन अगले वित्तीय वर्ष से होगा। यह कहना है भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव का। नई दिल्ली से वाराणसी तक वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन के सफर में चेयरमैन ने दैनिक जागरण से खास बातचीत की।
चेयरमैन ने बताया कि रायबरेली में अब एक हजार बोगियां बनाने की क्षमता हो गई है। अगले वित्तीय वर्ष में यहां तीन हजार बोगियां बनेंगी। मानकनगर से ऐशबाग के बीच कार्ट लाइन को बनाकर कुछ ट्रेनें ऐशबाग शिफ्ट कर दी गई हैं। यह देखा गया है कि बहुत सी ट्रेनें प्लेटफार्मो की उपलब्धता न होने से वेटिंग में रहती हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस के 30 रैक को स्वीकृति दी गई है। एक रैक को नई दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू कर दिया गया है। अगले वित्तीय वर्ष में 10 और रैक तैयार करेंगे। जबकि 20 रैक उसके अगले वित्तीय वर्ष में पटरियों पर दौड़ेंगे। अगले तीन से पांच साल में ट्रेन 18 के 100 और रैक बनाए जाएंगे। इस तरह कुल 130 रैक होंगे।
चेयरमैन ने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम तेजी से चल रहा है। लक्ष्य दिसंबर 2023 में बुलेट ट्रेन चलाने का है। इसका 50 किलोमीटर का काम 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। हमारी तैयारी है कि बुलेट टेन की बोगियां मेक इन इंडिया के तहत हम भारत में बनाएंगे। रेल मंत्रलय का प्लान है कि मुंबई अहमदाबाद के बाद कई रूटों पर इसे शुरू किया जाए। कुछ रूटों पर फिजिबिलिटी स्टडी हो रही है। कुछ की फिजिबिलिटी स्टडी हो गई है।
बढ़ाना होगा आधारभूत ढांचा
सीआरबी ने बताया कि पिछले पचास साल में ट्रैफिक 15-16 गुना तक बढ़ा। जबकि आधारभूत ढांचा केवल 30-35 प्रतिशत ही बढ़ा पाए हैं। इस समय पूर्वाचल में छपरा-इलाहाबाद पूरा डबलिंग विद्युतीकरण चल रहा है। मऊ-शाहगंज रूट पर भी डबलिंग और विद्युतीकरण को मंजूरी मिली है। पिछले चार साल में जो प्रोजेक्ट शुरू किए गए उनका फायदा मिलने लगा है।
नहीं भिड़ेंगी ट्रेनें
सीआरबी ने बताया कि ट्रेनों में ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम लगाने के लिए 77 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं। इसमें भारतीय तकनीक ट्रेन कोलिजन एवाइडेंस सिस्टम चार रूटों पर 650 किलोमीटर पर लगाया जाएगा। इसमें साउथ सेंट्रल रेलवे का 250 किलोमीटर पर ट्रायल कामयाब रहा। अब 1250 किलोमीटर और रूट पर इसे लगाया जाएगा। इसमें सिग्नल की पोजीशन लोको पायलट को कैब में ही दिखेगी। यदि लाल सिग्नल पर लोको पायलट ब्रेक नहीं लगाएगा तो यह प्रणाली खुद ही ब्रेक लगा देगी।