जब अस्थमा की बीमारी ने बढ़ा दीं थी मुश्किलें, कोच के सपोर्ट से लखनऊ के दिव्यांश ने लिखी सफलता की इबादत
लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी दिव्यांश के पिता की है परचून की दुकान। डॉक्टर ने दी थी इंडोर गेम खेलने की सलाह। टेबल टेनिस में अपनी किस्मत बनाने की ठानी कोच ने निश्शुल्क दी ट्रेनिंग तीन बार राष्ट्रीय चैंपियन बने 16 वर्षीय दिव्यांश।
लखनऊ [विकास मिश्र]। करीब सात साल पहले की बात है। अस्थमा से पीड़ित लखनऊ के दिव्यांश श्रीवास्तव को एक डॉक्टर ने सिर्फ इंडोर गेम खेलने की सलाह दी। खराब आर्थिक स्थिति के साथ दिव्यांश की बीमारी ने उनके माता-पिता की मुश्किलें और बढ़ा दीं। हालांकि, इसी बीच इस छोटे बच्चे ने टेबल टेनिस में अपनी किस्मत बनाने की ठानी, लेकिन घर की माली हालत ठीक न होने से हौसला टूटने लगा। किसी ने दिव्यांश के परिवार को टेबल टेनिस के कोच योगेंद्र अग्रवाल के पास जाने के लिए कहा। फिर क्या था, योगेंद्र के मार्गदर्शन से दिव्यांश ने न सिर्फ टेबल टेनिस सीखा बल्कि, इस खेल में सफलता की इबारत लिख दी। शहर का यह उभरता टेनिस खिलाड़ी में अभी तक तीन बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुका है।
दैनिक जागरण से खास बातचीत में 16 वर्षीय दिव्यांश कहते हैं, करीब सालभर पहले जब मां योगेंद्र सर के पास ले गईं तो एक बार मुझे लगा कि यहां फीस बहुत अधिक होगी, मेरे लिए यहां कोचिंग करना असंभव है। लेकिन, मां से बात करने और मेरी आर्थिक स्थिति जानने के बाद योगेंद्र सर ने मुझे फ्री कोचिंग देने का आश्वासन दिया। वह दिन मेरे परिवार के लिए बेहद खास था। दिव्यांश कहते हैं, बेशक मैं अच्छा खेलता था, बिना कोच के आप राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप के लायक नहीं बन सकते। योगेंद्र सर ने शुरुआत से मेरी कमियों पर फोकस किया और हमेशा एक पिता की तरह मार्गदर्शन दिया। शायद यही कारण रहा कि वर्ष 2016, और वर्ष 2018 में मैं कैडेट वर्ग में मैं राष्ट्रीय चैंपियन बना। बेहद कम उम्र में उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस छोटे से खिलाड़ी ने अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर सात कांस्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो रजत और पांच कांस्य पदक जीत चुका है।
अस्थमा से कमजोर नहीं, प्रेरणा मिली
दिव्यांश कहते हैं, जब डॉक्टर ने बताया कि मैं अस्थमा से पीड़ित हूं तो थोड़ा डर गया था। लेकिन, मां ने डॉक्टर ने समझाया कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सौरव गांगुली और अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार का उदाहरण भी दिया। सच कहूं तो गांगुली और अमिताभ के उदाहरण से मुझे आगे बढऩे के लिए प्रेरणा मिली। बोले, डॉक्टर ने इंडोर गेम की सलाह दी थी, इसलिए टेबल टेनिस चुना। मैंने कई बड़ा मुकाबला खेला, पर किसी भी मैच के दौरान अस्थमा की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई।
अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बनने का सपना
दिव्यांश राष्ट्रीय स्तर पर तो दो बार चैंपियन रह चुके हैं, सात अंतरराष्ट्रीय पदक भी जीत चुके हैं लेकिन, उनका सपना गोल्ड जीतना है। उन्होंने कहा, इसके लिए मैं कड़ी मेहनत भी कर रहा हूं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड जीतना बड़ी चुनौती है पर, अगले एक-दो साल में कामयाब हो जाऊंगा।