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अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव से लोगों में बढ़ेगा वैज्ञानिक दृष्टिकोण, दूर होंगी समाज में फैली भ्रांत‍िया

सीएसआइआर की प्रयोगशाला भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2021 का आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किया। दिल्ली चेन्नई लखनऊ और कोलकाता के बाद अब इसे गोवा में आयोजित करने की तैयारी की गई है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 05:05 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 05:05 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव से लोगों में बढ़ेगा वैज्ञानिक दृष्टिकोण, दूर होंगी समाज में फैली भ्रांत‍िया
एनबीआरआई और आईआईटीआर के निदेशक डॉ एस के बारिक ने बताया कि यह आइआइएसएफ का सातवां वर्ष है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। विज्ञान हमेशा से ही लोगों के रुच‍ि का केंद्र रहा है। इससे जहां एक ओर समाज में अंधविश्वास घटता है वहीं इसके नए प्रयोग लोगों को रोमांच‍ित भी करते हैं। राजधानी में सीएसआइआर की प्रयोगशाला भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) ने मिलकर आइआइटीआर के एच एस जैदी सभागार में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आइआइएसएफ)- 2021 का आउटरीच कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर विज्ञान भर्ती के संरक्षक डा शंकर तत्ववादी और केजीएमयू के पूर्व कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट आभासी रूप में जुड़ कर उपस्थित रहे।

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मुख्य अतिथि डॉ शंकर तत्ववादी ने इस अवसर पर कहा कि पिछले 7 वर्षों से इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल मनाया जा रहा है। दिल्ली, चेन्नई, लखनऊ और कोलकाता के बाद अब इसे गोवा में आयोजित करने की तैयारी की गई है। भारत के विभिन्न विद्यालयों में आउटरीच कार्यक्रमों से लोगों तक विज्ञान पहुंच रहा है। नवाचार के माध्यम से कई नए आयाम भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थी वर्ग का आह्वान करते हुए कहा कि देश के हर वैज्ञानिक प्रयोगशाला में विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए इस तरह के आउटरीच कार्यक्रम किए जाने चाहिए ताकि उनके अंदर वैज्ञानिक दृष्टिकोण जन्मे और वह विज्ञान में अपना बेहतर योगदान दे सकें।

इस अवसर पर एनबीआरआई और आईआईटीआर के निदेशक डॉ एस के बारिक ने बताया कि यह आइआइएसएफ का सातवां वर्ष है। जब हम किसी प्रयोगशाला में काम करते हैं तब हमें एक कार्य दिया जाता है उसी में हमारी जिंदगी बीत जाती है। कभी कभी हम बाहर की दुनिया से भी वंचित रह जाते हैं। उस बीच समाज मे कई भ्रांतियां फैल जाती है। उदाहरण के तौर पर वैक्सीन के लिए यह भ्रांति फैली कि इससे हमारे शरीर में नुकसान होगा। इसका कारण यह है कि हमारे समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है। इस वजह से वह वैज्ञानिक और विज्ञान का सम्मान नहीं कर पाते। इसे समझना, उस पर काम करना और विज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के लिए इस तरह के आउटरीच कार्यक्रम आवश्यक होते हैं ताकि विद्यार्थियों में विज्ञान की नई उपलब्धियों के बारे में पता चला सके।

इस अवसर पर विज्ञान भारती के संयोजक श्रेयांश मंडलोई ने कहा कि आइआइएसएफ 2021 गोआ में आयोजित किया जा रहा है। इस आयोजन में प्रदर्शनी नवाचार नए अविष्कार, विभिन्न प्रतियोगिताएं, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, समेत कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इसमें देश के विभिन्न राज्यों समेत विदेशों से भी लोग सम्मिलित होंगे। जो लोग वहां जा नही सकते वे आभासी रूप से आयोजन में शामिल हो सकते हैं।

इस अवसर पर प्रो एमएलबी भट्ट ने कहा कि आई आई एस एफ के आउटरीच कार्यक्रम में विद्यार्थी वर्ग में तर्क शक्ति और विज्ञान के विभिन्न आयामों को खोजने और परखने का मौका मिलेगा। जनसामान्य में विज्ञान को लोकप्रिय करने के लिए विज्ञान भारती लगातार कार्यरत है। मनुष्य एक वैज्ञानिक प्राणी है। श्वेत क्रांति,हरित क्रांति से लेकर कोरोना काल के माध्यम से हम कह सकते हैं कि आज कोई भी व्यक्ति विज्ञान से अछूता नहीं रह गया है। कोरोना काल में भी अरटीपीसीआर के माध्यम से संक्रमण के बारे में पता लगाया। यह भी विज्ञान का एक विषय है।

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ विनय पाठक ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण विज्ञान के आयामों को स्थापित करने के लिए आईआईएसएफ का आयोजन महत्वपूर्ण है। भारत के वैज्ञानिक खोज और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की पहुंच काफी आगे है, यह पूरा विश्व समझ रहा है। हमारे देश की संस्कृति और डीएनए में धर्म और ज्ञान की अभिरुचि भी सम्मिलित है इसीलिए विज्ञान के साथ इन्हें भी साथ रखा जाता है। हमारी खोज और काम करने की प्रवृत्ति से ही हम आगे बढ़ रहे हैं। आज हम विज्ञान का महोत्सव मना रहे हैं ये काफी बड़ी बात है। ऐसे बहुत सारे छोटे छोटे महोत्सव ग्रामीण इलाकों में भी होते रहने चाहिए। हम सभी को मिलकर गांव और शहरों में ऐसे प्रयोग करते रहने चाहिए जिससे विज्ञान को लोगों के बीच लोकप्रिय कर पाएं।


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