International Day of Action for Women's Health 2020: महिलाओं की ताकत के आगे बेदम हो रहा कोरोना
International Day of Action for Womens Health 2020 राजधानी में कोरोना पीड़ितों में एक तिहाई से कम महिलाएं बुजुर्ग भी जीत रही जंग।
लखनऊ, (संदीप पांडेय)। International Day of Action for Women's Health 2020: खतरनाक कोरोना वायरस महिलाओं के आगे बेदम हो रहा है। नारी शक्ति के इम्युनिटी के समक्ष वायरस ढेर हो रहा है। चिकित्सा विज्ञानी भी महिलाओं की ताकत का लोहा मान रहे हैं। अब लखनऊ में कोरोना संक्रमण का प्रभाव भी इस पर मुहर लगा रहा है। यहां की महिलाएं न सिर्फ वायरस की चपेट कम अाईं , बल्कि बीमारी से जल्द उबरने में भी कामयाबी हासिल की हैं।
शहर में कोरोना का पहला मामला 11 मार्च को आया। यह कनाडा से लौटी महिला ही रहीं। वहीं अब कोरोनॉ पॉजिटिव मरीजों की संख्या 337 हो गई है। इसमें सिर्फ 98 महिलाएं ही संक्रमित हुई हैं। ऐसे में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में संक्रमण का औसत करीब 29 फीसद ही है। इसमें 91 वर्ष की बुजुर्ग समेत 79 मरीज ठीक होकर घर जा चुकी हैं। यानी कि कोरोना संक्रमित महिलाओं का रिकवरी रेट 80 फीसद से भी अधिक है। वहीं शेष की हालत भी स्थिर है, जल्द ही उनमें वायरस लोड कम हो रहा है। इसके पीछे चिकत्सा विज्ञानी महिलाओं की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को ही अहम मान रहे हैं।
डबल ’एक्स’ क्रोमोसाेम में छिपा है इम्युनिटी का राज
केजीएमयू के पल्मोरी एंडक्रिटिकल केयर मेडसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने महिलाओं में कम संक्रमण के पीछे इम्युनिटी का राज है। कि जॉन हाॅकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ प ब्लिक हेल्थ के एक्सपर्ट ने महिलाओं में कोरोना के संक्रमण पुरुषों की अपेक्षा कम होने के बायोलॉजिकल व लाइफ स्टाइल को प्रमुख अंतर स्पष्ट किए हैं। इसमेें महिलाओं के एस्ट्रोजेन हार्मोन में इम्युनिटी जींस अधिक होने का अनुमान लगाया गया है। दावा है कि इम्युनिटी जींस की अधिकतर लोकेशन एक्स क्रोमोसाेम पर मिलती हैं। ऐसे में महिलाओं में जहां डबल एक्स क्रोमोसाेम होते हैं। वहीं, पुरुषों में एक्स-वाई क्रोमाेसाेम होते हैं। यानी कि एक्स क्रोमोसोम सिंगल ही होता है। लिहाजा, महिलाओं के एक्स-एक्स क्रोमोसोम पर इम्युनिटी जींस अधिक होने से वह रोगों की से लड़ने में अधिक ताकतवर हैं।
इम्यूनिटी ट्रांसफर करने की क्षमता
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक महिलाओं में इम्युनिटी ट्रांसफर करने की प्राकृतिक क्षमता होती है। वह बच्चों को स्तनपान कराती हैं। मां के दूध में भरपूर इम्युनिटी होती है। उनकी इस प्राकृतिक क्षमता के चलते इम्युन सेल अधिक सक्रिय रहते हैं। लिहाजा, वह परागकण, वायरस के शरीर में प्रवेश करते वक्त जल्द ही एक्शन में आ जाते हैं। यह खूबी भी इन्हें पुरुषों से अलग करती है। इसके अलावा मेमोरी इम्यून रिस्पांस भी महिलाओं में ज्यादा बताई गई है। यह उन्हें संक्रमण से बचाव के लिए सतर्क करता है। स्टडी में जिन म हिलाओं में पूर्व में वैक्सीन लगीं। उनमें इम्युनिटी अधिक पाई गई। यह वैक्सीन पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं पर अधिक प्रभावकारी बताई गई हैं।
जीवन शैली भी है खास
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक स्टडी में पुरुषोें की जीवन शैली को अधिक दोष पूर्ण बताया गया। वहीं महिलाओं की जीवनशैली संयमित होने से वह संक्रमण की कम चपेट में आती हैं। इसमें पुरुष का बाहर अधिक मूवमेंट करना, ज्यादा लोगों से मिलना, धूमपान, शराब का सेवन जैसे दोष अधिक पाए जाते हैं। ऐसे में इनका रेस्पेटरी इंफक्शन रेट भी ज्यादा होता है। वहीं महिलाओं की लाइफ स्टाइल में दोष कम होते हैं। लिहाजा, गलत लाइफ स्टाइल भी पुरुषों को वायरस की चपेट में ला रहा है।
प्रसूता, बुजुर्ग सभी बीमारी से उबरीं
राजधानी में कोरोना से दो मौतें हुईं। इसमें एक भी महिला नहीं है। यहां तक गर्भवती, प्रसूता व 91 वर्ष की बुजुर्ग ने भी कोरोना से जंग जीत ली है। यह सभी महिलाएं कोरोना के हाई रिस्क ग्रुप में शामिल रहीं। ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी रखी गईं। मगर, वह बीमारी को हराकर अस्पताल से वह घर लौटीं।
सार्स वन-मर्स को दे चुकीं मात
कोरोना का यह सार्स कोव-टू वायरस है। ऐसे में सिर्फ यही वायरस महिलाओं की ताकत के समक्ष बेदम नहीं हुआ है । इससे पहले 2003 में सार्स-वन में कुल मरीजों में पुरुषों की मौतें महिलाओं की अपेक्षा दो गुना रहीं। महिलाओं की मृत्यु दर 50 फीसद पुरुषों से कम थी। वहीं मर्स वायरस में 32 फीसद पुरुष चपेट में आए, जब कि महिलाओं का औसत 25 फीसद के करीब रहा।