गायत्री को जमानत पर लखनऊ में आज से बैठेगी जांच कमेटी
मुख्य न्यायाधीश भोंसले ने लखनऊ के जिला जज राजेंद्र सिंह को हाईकोर्ट का जज बनाने की संस्तुति वापस ले ली है। जांच पूरी होने पर जिला जज पर भी गाज गिर सकती है।
इलाहाबाद (जेएनएन)। पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति को बलात्कार के आरोप में दर्ज मामले में जमानत देने वाले न्यायाधीश की मुश्किलें बढऩे वाली हैं। जमानत स्वीकार करने में अनुचित लाभ लेने की शिकायत की जांच लखनऊ में 20 व 21 जून को होगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल मामले की विभागीय जांच कर रहे हैं।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले ने शिकायत मिलने पर प्रजापति की जमानत याचिका निरस्त करते हुए जमानत देने वाले लखनऊ के न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्र को निलंबित कर दिया था और न्यायिक जांच का आदेश दिया था, तभी से इस मामले की जांच चल रही है। दूसरी तरफ जमानत देने में करोड़ों के लेनदेन की शिकायत की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की जांच में यदि आरोप की पुष्टि होती है तो सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्र सहित इस मामले में लिप्त अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी कायम हो सकता है। अब तक हुई जांच का असर यह हुआ है कि मुख्य न्यायाधीश भोंसले ने लखनऊ के जिला जज राजेंद्र सिंह को हाईकोर्ट का जज बनाने की संस्तुति वापस ले ली है। जांच पूरी होने पर जिला जज पर भी गाज गिर सकती है। साथ ही इस मामले में लिप्त कुछ अधिवक्ताओं को भी आपराधिक मामले का सामना करना पड़ सकता है।
सूत्र बताते हैं कि गायत्री प्रजापति को जमानत देने की डील में हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश भी संदेह के घेरे में हैं। इस संबंध में जब हाईकोर्ट के महानिबंधक से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कार्यवाही को गोपनीय बताते हुए कुछ भी बताने से असमर्थता व्यक्त की। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि मामले की न्यायिक जांच जारी है।
गायत्री के लिए बदले जज
सूत्र यह भी बताते हैं कि एक योजना बनाकर गायत्री प्रजापति को दुष्कर्म के आरोप में जमानत पर छुड़ाने की रणनीति बनाई गई। ओपी मिश्र को तीन दिन पहले प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंस (पॉक्सो) जज के रूप में तैनात किया गया। इस पद पर पहले एलके राठौर तैनात थे। ओपी मिश्र तीन दिन बाद रिटायर होने वाले थे। इन्होंने 25 अप्रैल को प्रजापति को जमानत दे दी। ओपी मिश्र की नियुक्ति लगातार अच्छा काम कर रहे एल के राठौर को हटाकर की गई। इसमें जिला जज राजेंद्र सिंह की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है। पता चला है कि इसमें तीन अधिवक्ताओं की भूमिका भी अहम रही। अब पॉक्सो जज के रूप में एलके राठौर की दोबारा तैनाती मुख्य न्यायाधीश ने कर दी है।
17 फरवरी को हुई थी एफआइआर
प्रजापति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से 17 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज हुई थी। प्रदेश में नई सरकार बनने पर प्रजापति पुलिस से छुपकर भागता रहा, लेकिन 15 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया। 24 अप्रैल को उसकी जमानत अर्जी दाखिल हुई। इससे पहले जिला जज, ओपी मिश्रा व अधिवक्ताओं के बीच कई बैठकें होने का खुलासा हुआ है। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की जांच रिपोर्ट आने पर किस पर गाज गिरेगी और कौन पाक साफ बचेगा यह भविष्य बताएगा।