Move to Jagran APP

Lockdown in Lucknow Day 9: पांच माह के शिशु को कोरोना का मरीज समझ डॉक्टरों ने नहीं छुआ, तड़प-तड़पकर हुई मौत

लखनऊ में पांच माह के शिशु को डॉक्टरों ने नहीं किया इलाज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ते रहे परिजन हुई मौत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 07:38 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 03:57 PM (IST)
Lockdown in Lucknow Day 9:  पांच माह के शिशु को कोरोना का मरीज समझ डॉक्टरों ने नहीं छुआ, तड़प-तड़पकर हुई मौत
Lockdown in Lucknow Day 9: पांच माह के शिशु को कोरोना का मरीज समझ डॉक्टरों ने नहीं छुआ, तड़प-तड़पकर हुई मौत

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस के खौफ के चलते निजी अस्पताल के डॉक्टर ने पांच माह के मासूम का इलाज नहीं किया। डॉक्टर ने बच्चे को छुआ तक नहीं। बच्चे की श्वास नली में मंगलवार रात दूध फंस गया था। परिवारजन काफी देर तक बच्चे को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकते रहे। जब इलाज मिला, तब तक काफी देर हो चुकी थी और बच्चे ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।

loksabha election banner

जानकीपुरम निवासी निशांत सिंह सेंगर के पांच माह के बेटे की श्वांसनली में मंगलवार रात दूध फंस जाने से तबीयत बिगड़ गई। बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। परिवारजन कुछ समझ नहीं पाए और पास के एक निजी अस्पताल में लेकर भागे, लेकिन उसका ताला बंद मिला। फिर वह रिंग रोड स्थित दूसरे निजी अस्पताल में पहुंचे। वहां भी गेट बंद मिला। इसके बाद वे बच्चे को रिस्पांस न मिलने पर उसे निशातगंज स्थित एक अन्य निजी अस्पताल ले गए। परिवारीजन के अनुसार रो रहे बच्चे को सांस में तकलीफ को देख डॉक्टर कोरोना वायरस की आशंका समझ बैठे और बिना देखे दवा लिखकर वापस लौटा दिया। परिवारजन ने जब ठीक से देखने की मिन्नत की तो बदसुलूकी भी की। उसे छुआ तक नहीं। कहने लगे दवा पिलाओ, ठीक हो जाएगा।

मायूस परिवारजन घर की ओर इस उम्मीद में लौट लिए कि शायद दवा पिलाने पर आराम मिल जाए। मगर बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। निशांत के साले शुभम ने बताया कि जब उसे दोबारा अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने नली डालकर श्वांसनली में फंसे दूध को निकाला। मगर तब तक काफी देर हो गई थी। थोड़ी ही देर में बच्चे ने दम तोड़ दिया। आरोप है कि कोरोना की आशंका में डॉक्टर ने मासूम का पहली बार में सही से इलाज नहीं किया, जबकि उसकी श्वासनली में दूध फंस गया था। अगर उसी दौरान ठीक से इलाज किया गया होता तो शायद बच्चे की जान नहीं जाती। उधर, इस संबंध में सीएमओ डॉ नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अभी उनको कोई शिकायत इस संबंध में नहीं मिली है। मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

दवा उपलब्ध कराने की मांग

केजीएमयू में गरीब मरीजों के इलाज पर संकट गहरा रहा है। कारण, बीपीएल, असाध्य रोगों के मरीजों की दवा आपूर्ति बाधित होना है। ऐसे में मेडिकल स्टोर संचालक ने पत्र लिखकर दवा उपलब्ध कराने पर असमर्थता जताई। लिहाजा, कैंसर, किडनी, लिवर के तमाम मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है।

डॉक्टरों के लिए विशेषज्ञों की सलाह

  • कोरोना के नाम पर मरीजों को न करें नजरअंदाज
  • हर खांसने-छींकने वाला कोरोना का मरीज नहीं होता
  • कोरोना का पहला लक्षण तेज बुखार है
  • अगर कोरोना का भी कोई संदिग्ध है तो मानकों को ध्यान में रखकर उसको देखा जाना चाहिए
  • डॉक्टर का फर्ज हर मरीज को महत्व देना है, न कि उससे परहेज करना है
  • अगर कहीं कोई असुविधा है तो सीनियर डॉक्टरों से ले सकते हैं सलाह

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.