पीजीआइ में ब्रेन स्ट्रोक का बिना नश्तर लगाए हुई पहली सफल सर्जरी Lucknow news
इंडो वस्कुलर एम्बोलाइजेशन ऑफ ब्रेन एन्यूरिज्म यूजिंग वेब डिवाइस तकनीक हुई स्थापित। देश में कुल पांच केस में हुआ है इस तकनीक से इलाज पीजीआइ का यह पहला केस।
लखनऊ, (कुमार संजय)। संजय गांधी पीजीआइ देश के उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल हो गया जहां पर ब्रेन एन्यूरिज्म विद वाइड माउथ का इलाज बिना दिमाग खोले वेब तकनीक से संभव हो गया है। इस तकनीक को डॉक्टरी भाषा में इंडो वस्कुलर एंबोलाइजेशन ऑफ ब्रेन एन्यूरिज्म यूजिंग वेब डिवाइस कहते है। इस तकनीक से देश में केवल चार-पांच मरीजों का इलाज हुआ है। पीजीआइ में पहला केस इस तकनीक से किया गया जो पूरी तरह सफल रहा।
तकनीक को अंजाम देने में इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रो. विवेक सिंह, प्रो. सूर्या नंदन, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. मनीष सिंह और आदित्य, शिवम व इंद्रजीत शामिल रहे। प्रो. विवेक सिंह के मुताबिक 60 वर्षीय उमरावती को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। सीटी स्कैन में पता चला कि ब्रेन एन्यूरिज्म हुआ, जिससे नस फट गई और दिमाग में रक्तस्राव हुआ। डॉक्टर ने मरीज को सीधे संस्थान के इंटरवेंशन रेडियोलॉजी विभाग में भेज दिया। हम लोगों ने देखा कि एन्यूरिज्म का मुंह काफी चौड़ा है, जिसमें प्रचलित तकनीक क्वायलिंग से इलाज जटिल था।
उन्होंने बताया कि हम लोगों ने इस नई तकनीक के विकल्प पर काम किया। इसी दौरान दोबारा एन्यूरिज्म हुआ और फट गया। हम लोगों ने वेब तकनीक से दिमाग में स्थित दो मिमी की एकॉम आर्टरी जहां पर एन्यूरिज्म था वहां पहुंचकर वेब को प्लांट कर दिया। इससे एन्यूरिज्म में रक्तप्रवाह बंद हो गया। मरीज पूरी तरह फिट है। वेब डिवाइस एक तरह का गुब्बारा होता जिसे नस के जरिए जहां पर एन्यूरिज्म होता है, वहां फिट किया जाता है।
क्या है एन्यूरिज्म
दिमाग की किसी नस का फैलकर उसमें खून भर जाने से कमजोर हो जाना (गुब्बारा बनना)। खोपड़ी के अंदर नसों में होने वाले ज्यादातर एन्यूरिज्म दिमाग के निचले भाग और खोपड़ी के तल के बीच होते हैं। एन्यूरिज्म से खून निकल सकता है या नस फट सकती है।
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फटने से पहले आमतौर पर एन्यूरिज्म का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, लेकिन अचानक बहुत तेज सिरदर्द होना, उल्टी एन्यूरिज्म के फट जाने का प्रमुख लक्षण है।