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नेपाल सीमा के सुहाने सफर में एनओसी बनी रोड़ा, फंसी इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड Lucknow News

सात सीमाई जिलों को जोड़ने वाला इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड का प्रोजेक्ट फंसा पेड़ों की वजह से नहीं मिली एनओसी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 09:45 AM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 09:45 AM (IST)
नेपाल सीमा के सुहाने सफर में एनओसी बनी रोड़ा, फंसी इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड Lucknow News
नेपाल सीमा के सुहाने सफर में एनओसी बनी रोड़ा, फंसी इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड Lucknow News

बलरामपुर [रमन मिश्र]। बजट के अभाव में नौ साल से इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड प्रोजेक्ट सुस्त गति से आगे बढ़ रहा है। सात सीमाई जिलों को जोड़ने वाले इस प्रोजेक्ट के तीन जिलों में कार्यों को रफ्तार देने के लिए 60.48 करोड़ का बजट जारी हुआ है। इसमें बलरामपुर भी शामिल है। इसके बाद भी इसे रफ्तार नहीं मिल पा रही है, क्योंकि यहां करीब 82 किलोमीटर सड़क वन विभाग की एनओसी के फेर में फंसी है।

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इंडो-नेपाल बॉर्डर प्रोजेक्ट के तहत पड़ोसी बलरामपुर, श्रवस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी, महराजगंज व पीलीभीत जिलों से सटी 570 किलोमीटर लंबी सड़क बननी है। इसमें पीलीभीत से सिद्धार्थनगर और श्रवस्ती व बलरामपुर का करीब 120 किलोमीटर मार्ग वन क्षेत्र में आता है। गृह मंत्रलय ने भारत-नेपाल सीमा पर आइएसआइ की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए वर्ष 2010-11 में इसे मंजूरी दी थी, लेकिन जंगल के हरे पेड़ इसमें बाधा बन गए हैं। इससे यह परियोजना जिले में शुरू नहीं हो पा रही है।

55 हजार पेड़ हैं निशाने पर

इंडो-नेपाल बॉर्डर प्रोजेक्ट के सड़क मार्ग में 120 किलोमीटर घना जंगल है, जिसमें करीब 55 हजार हरे पेड़ हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई वन्य जीव समिति की बैठक में वैकल्पिक मार्ग पर सहमति हुई थी। रास्ता बनाने व पेड़ों को बचाने के लिए वन विभाग ने नो मैंस लैंड का रास्ता भी प्रस्तावित किया, लेकिन एसएसबी व लोक निर्माण विभाग में अब तक सहमति नहीं बन सकी है।

रजनीकांत मित्तल, डीएफओ ने बताया कि वैकल्पिक मार्ग के लिए सर्वेक्षण अभी पूरा नहीं हो सका है। जिसके चलते परियोजना का कार्य ठप है। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद आगे की तैयारी की जाएगी।

अनिल कुमार, अधिशासी अभियंता इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड ने बताया कि करीब 82 किलोमीटर सड़क जंगल क्षेत्र में आ रही है। एनओसी न मिलने से सड़क का निर्माण बाधित है। 


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