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Good News : गन्ना किसानों के लिए अच्छी खबर, सात नई प्रजातियां विकसित- ऐसे बढ़ेगा उत्पादन

Good News For Sugarcane Farmers भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की पहल उर्वरक में कमी के साथ सिंचाई कम लगेगा पानी। चार प्रजातियां उत्तर भारतीय जमीन के अनुरूप और तीन दक्षिण भारत की जलवायु के अनुरूप तैयार की गई हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 11:56 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:56 AM (IST)
Good News : गन्ना किसानों के लिए अच्छी खबर, सात नई प्रजातियां विकसित- ऐसे बढ़ेगा उत्पादन
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की पहल, उर्वरक में कमी के साथ सिंचाई कम लगेगा पानी।

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। Good News For Sugarcane Farmers : यदि आप गन्ना किसान हैं। गन्ने की फसल के उत्पादन और चीनी मिल द्वारा कम चीनी निकलने पर गन्ने के वाजिब दाम न मिलने से परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। राजधानी स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने गन्ने की सात नई प्रजातियों को विकसित किया है। शीघ्र ही यह किसानों के लिए उपलब्ध होगी। चार प्रजातियां उत्तर भारतीय जमीन के अनुरूप और तीन दक्षिण भारत की जलवायु के अनुरूप तैयार की गई हैं।

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गन्ने की फसल किसानों के लिए नकदी की फसल हाेती है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की ओर से पिछले वर्ष सात नई प्रजातियों को परीक्षण कर उनकी बुआई की गई थी। बुआई के बाद आए सार्थक परिणाम से संस्थान अब इन प्रजातियों को किसानों  के लिए तैयार करने की बात कह रहा है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.अजय कुमार साह ने बताया कि इन नई प्रजाजियों से चीनी की मात्रा में बढ़ोतरी के साथी ही गन्ने के उत्पादन में भी 10 से 20 फीसद तक इजाफा होगा। गन्ने के विकास को लेकर संस्थान की ओर से समय-समय पर शोध किए जाते हैं। कई वर्षों की मेहनत के बाद नई प्रजातियां विकसित होती हैं। परिसर में दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने उर्वरक की मात्रा कम करने और हल्की सिंचाई से गन्ने की उत्कृष्ट और अधिक चीनी उत्पादन वाली गन्ने की किस्म विकसित करने की वकालत की थी। इस परिप्रेक्ष्य में ये किस्में काफी सार्थक होंगी। ड्रिप विधि से गन्ने की सिंचाई पानी की मात्रा को कम करेगी।

ये हैं गन्ने की नई प्रजातियां

उत्तर भारत के लिए

सीओएलके14204

सीओ15023

सीओपीबी14185

सीओएसई11453

दक्षिण भारत के लिए

एमएस130081

वीएसआइ12121

सीओ13013

क्या कहते हैं अफसर ? 

लखनऊ भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान निदेशक डॉ.एडी पाठक के मुताबिक, 2022 तक 10 फीसद और 2030 तक 20 फीसद एथेनॉल पेट्रोल में मिलाने की मांग होगी जिसके लिए हमारे वैज्ञानिक तैयार हैं। नई किस्मों से चीनी की मात्रा बढ़ेगी और एथेनॉल की बढ़ती मांग को भी हम पूरा कर सकेंगे। वैज्ञानिकों की सोच का ही नतीजा है कि हम नई प्रजातियों को विकसित कर सके हैं।


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