प्रदूषण पर CPCB की रिपोर्ट पर क्यों खफा है IITR के निदेशक
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान ने जारी की लखनऊ की पर्यावरणीय रिपोर्ट, लेेकिन निदेशक को सीपीसीबी की रिपोर्ट पर है एतराज।
लखनऊ, (जेएनएन)। वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर अब तक की गई कोशिशें हवा-हवाई ही साबित हुई हैं। इन कोशिशों का फिलहाल कोई असर हवा की गुणवत्ता पर नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि एयर क्वालिटी बीते वर्ष के मुकाबले और खराब हुई है। खास बात यह है कि इंदिरानगर और चारबाग की एयर क्वालिटी लगातार खराब हो रही है। वहीं विकास नगर, अलीगंज में भी जबर्दस्त प्रदूषण है। रिहायशी इलाकों में गोमती नगर में प्रदूषण सबसे कम पाया गया है। भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) ने बुधवार को लखनऊ की पोस्ट मानसून पर्यावरणीय रिपोर्ट जारी की। वहीं निदेशक प्रो.आलोक धावन ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं।
आइआइटीआर द्वारा रिहायशी व व्यावसायिक क्षेत्र के चार-चार इलाकों में 28 सितंबर से 26 अक्टूबर के मध्य वायु प्रदूषण की नापजोख की गई। संस्थान द्वारा साल में दो बार वायु व ध्वनि प्रदूषण की नापजोख की जाती है। आवासीय क्षेत्र में इंदिरानगर, गोमतीनगर, अलीगंज और विकासनगर इलाके शामिल हैं जबकि आवासीय क्षेत्र में चारबाग, आलमबाग, अमीनाबाद, चौक व औद्योगिक क्षेत्र में आने वाले अमौसी में वायु गुणवत्ता की जांच की गई।
वैज्ञानिकों ने पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10, पीएम 2.5 के अलावा सल्फरडाइआक्साइड व नाइट्रोजन के आक्साइड की पड़ताल की। पीएम 2.5 सेहत के लिए सर्वाधिक खतरनाक माना जाता है। कारण यह है कि यह हवा में मौजूद प्रदूषण के अत्यंत नन्हें कण होते हैं जो सांस के साथ सीधे फेफड़ों में पैबस्त हो जाते हैं। फेफड़ों में पहुंच कर यह सांस के तमाम रोगों का कारण बनते हैं। इंदिरा नगर में पीएम 2.5 सबसे अधिक 107.8 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के स्तर में पाया गया। यह मानक 60 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर से लगभग दो गुना ज्यादा है। विकास नगर में प्रदूषण स्तर 105.5, अलीगंज में 102.5, व गोमती नगर में 96.8 रिकार्ड किया गया। आवासीय व रिहायशी इलाके ही नहीं औद्योगिक क्षेत्र अमौसी में भी प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है।
सीपीसीबी की प्रदूषण रिपोर्ट को दी चुनौती
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) के निदेशक प्रो.आलोक धावन ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि महज एक-दो जगह पर एयर क्वालिटी की नापजोख कर पूरे शहर को प्रदूषित कहना कतई सही नहीं है।
प्रो.धावन ने कहा कि दिल्ली में एयर क्वालिटी की जांच के लिए 33 स्टेशन हैं, जबकि लखनऊ में मात्र तीन जगह ही एयर क्वालिटी की जांच की जा रही हैं। यही नहीं गाजियाबाद, जिसे सर्वाधिक प्रदूषित शहर बताया जा रहा है वहां केवल एक स्थान पर ही प्रदूषण की जांच की जाती है।
सवाल यह है कि सीपीसीबी जैसी केंद्रीय संस्था केवल एक जगह हवा की गुणवत्ता की नापजोख कर कैसे पूरे शहर को प्रदूषित बता सकती है। उन्होंने कहा कि केवल गाजियाबाद ही नहीं बहुत से शहरों में केवल एक ही स्थान पर प्रदूषण की जांच करके रिपोर्ट जारी की जा रही है। यह बहुत ज्यादा गंभीर इसलिए है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन इसी रिपोर्ट को आधार बनाता है, जिससे देश की बहुत बदनामी होती है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार चाहे तो लखनऊ में आइआइटीआर यह जिम्मेदारी वहन करने को तैयार है। बशर्ते संस्थान को इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया जाए। बुधवार को देश के 12 शहरों में एक्यूआइ 300 से अधिक यानी अत्यंत खराब स्थिति में रिकार्ड हुआ जिसमें से नौ उत्तर प्रदेश के हैं। लखनऊ छोड़ सभी जगह केवल एक स्थान के आधार पर प्रदूषण रिपोर्ट जारी की जा रही है। बुधवार को राजधानी में एक्यूआइ 300 की रेंज में रहा।