UP: मामा ने पकड़ाई थी हॉकी स्टिक, चार साल की कड़ी मेहनत से ओलंपिक तक पहुंचे दानिश
लखनऊ निवासी भारतीय हॉकी खिलाड़ी दानिश मुज्तबा दो बार देश के लिए ओलंपिक में खेल चुके हैं। हॉकी खिलाड़ी बनने में मामा की अहम भूमिका वर्ष 2017 की हॉकी लीग में पैर में लगी थी गंभीर चोट। डॉक्टर ने बोला अब मैदान में दोबारा वापसी करना संभव नहीं है।
लखनऊ [विकास मिश्र]। तीन साल पहले यानी वर्ष 2017 की बात है। हॉकी इंडिया लीग में रांची के खिलाफ वह मैच मैं कभी नहीं भूल सकता। मैं दबंग मुंबई टीम का हिस्सा था। गोल बचाने के लिए तेजी से आगे बढ़ा लेकिन, लड़खड़ाकर गिर गया। साथी खिलाड़ियों के सहारे जब खड़ा हुआ तो बाएं पैर का पंजा पूरी तरह से मुड़ गया था और मैं दर्द से कराह उठा। स्टेडियम में थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। टीम के कोच मुझे सांत्वना देते हुए बोले, चोट ज्यादा गंभीर नहीं है, जल्द ठीक हो जाएगा। मैंने भी सोचा कि अक्सर खिलाड़ी चोटिल होते रहते हैं, एक-दो मैच में वापसी कर लूंगा। लेकिन, जब डॉक्टरों ने सीटी स्कैन की रिपोर्ट बताई तो मेरे पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। यह कहना है दो बार देश के लिए ओलंपिक खेल चुके भारतीय हॉकी खिलाड़ी दानिश मुज्तबा का।
हॉकी खिलाड़ी बनने में मामा की अहम भूमिका
जागरण से खास बातचीत में पूर्व ओलंपियन ने बताया कि हॉकी खिलाड़ी बनने में मामा आतिफ इदरीश का अहम रोल है। वह खुद हॉकी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके हैं। सबसे पहले मेरे हाथों में हॉकी मामा ने ही पकड़ाई थी। उनके प्रयास से ही मुझे स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में दाखिला मिला था। 32 वर्षीय दिग्गज हॉकी खिलाड़ी ने कहा, जब वर्ष 2012 लंदन ओलंपिक के लिए मेरा चयन भारतीय टीम में हुआ तो सबसे ज्यादा खुश मामा थे। ओलंपिक खेलकर जब मैं घर वापस आया तो मामा ने मुझसे कहा, आज तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया। उनके शब्द सुनकर मेरी आंखे खुशी से छलक उठीं।
एयर इंडिया अकादमी से बदली किस्मत
32 वर्षीय ओलंपियन दानिश बताते हैं। स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में करीब चार साल तक कड़ी ट्रेनिंग के बाद मेरा चयन एयर इंडिया हॉकी अकादमी में हो गया। इस अकादमी में कदम रखते ही मेरी किस्मत बदलने लगी। यहीं से मुझे अंडर-18 और अंडर-21 में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। वर्ष 2009 में पहली बार मेरा चयन भारतीय हॉकी टीम में हुआ। वह दिन मेरे और परिवार के लिए बेहद खास था। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्रालय में स्पोर्ट्स अधिकारी के पद पर कार्यरत दानिश बताते हैं, शुरुआती दिनों में घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन पिता गुलाम मुज्तबा और मां शाहीन ने मेरे सामने कभी इस बात का एहसास नहीं होने दिया। मुझे हमेशा परिवार का साथ मिला, जिसकी बदौलत ही हॉकी के प्रति खुद को पूरी तरह समर्पित कर सका। दानिश ने देश को कई यादगार पल दिए हैं। इस दिग्गज हॉकी खिलाड़ी ने वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक और वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक सहित कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट देश का प्रतिनिधित्व किया है।
अब वापसी संभव नहीं
दानिश ने कहा, मेरे पैर की चोट बहुत गंभीर थी। हालांकि, इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई, लेकिन डॉक्टरों ने बताया है कि बाएं पैर के लिगामेंट में इसका गंभीर असर पड़ा है। अब मैदान में दोबारा वापसी करना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मैंने कई बड़े डॉक्टरों से भी सलाह ली, लेकिन किसी ने खेलने की अनुमति नहीं दी। दानिश की शादी हो चुकी है। मूलरूप से इलाहाबाद के रहने वाले दानिश वर्तमान में पत्नी के साथ लखनऊ के निशातंगज में रहते हैं।